चारो ओर हर्ष, उत्कर्ष होहर्षित,प्रफुल्लित नववर्ष हो
दया, करुणा से हृदय भरा
साधना से पावन कलश धरा
नव पल्लव,सुमन खिल आये
बैठी वसुधा रूप सजाये
है हर्षित गगन धरती सारी
सुवासित उपवन सजी क्यारी
सनातन नववर्ष का प्रारंभ है
नवीन कालखंड का शुभारंभ है
उल्लास है ये सर्वत्र छाया
पड़वा, तो चेटीचंड कहलाया
सनातन संस्कृति के रक्षक बनें
हिंद सभ्यता के संरक्षक बनें
मानवीय मूल्य हम सिखलाये
सात्विक,धार्मिक पथ अपनाये
अन्याय, अत्याचार से दूर रहे
प्रेम, सद्भाव की बात कहें
नेह,करुणा से भरा हिय सदा
आज मनाये नववर्ष प्रतिपदा।
✍🏻 "कविता चौहान"
स्वरचित एवं मौलिक
चारो ओर हर्ष, उत्कर्ष हो हर्षित,प्रफुल्लित नववर्ष हो
Sunday, March 30, 2025
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