उलछी उलझी सी उम्र बीत रही है।
क्योंकि समझने सवरने का मुझको सलीका नहीं आया।
उलझनों से कोशिश की अपने को बचाने की।
मगर बच नहीं पाई गुलाब के कंटको से
छुपाती रहूंगी ,अपने को।
क्योंकि कांटो से बचने का सलीका नहीं आया।
प्रश्न करती रही हर पल बच्चो सा आज तक
प्रश्न करने का सलीका नही आया।।
आंसू आंखों मे आए ,हर पल छुपाने का सलीका नही आया।।
बनाते बो मेरी खिल्ली।।
जिन्हें जीने का तरीका सिखाया।
आसूं देखकर मेरे उनका मजाक उड़ाया ।।
क्यों की मुझे रोने का सलीका नही आया।।
प्यार किया उनसे गुनाह किया क्योंकि मुझे स्वार्थी, बेबफा बनाना नही आया।
क्योंकि मुझे बफा करने का सलीका नही आया।
तड़पी रात दिन जिनके लिए
करवटें बदल कर रातें गुजारी आज तक अब बो कहते है मुझे सोने का सलीका नहीं आया ।।
सब के लिए पल उपलब्ध रही,सब की परेशानी समझी
फिर भी मुझे दरिया दिल होने का सलीका नहीं आया ।।
खाई पल पल चोट दिल पर अव वो कहते हैं
मुझे पत्थर बने का सलीका नहीं आया ।।
वफा ही करनी है उनसे वचन दिया है उनको,,
बचन तोड़ने का मुझको सलीका नहीं आया।।।
जिंदगी बीत रही
हर हाल में हैं।
आपको भूलना तो चाहा,
भूल न पाई।
भीड़ लाखों की है, यहां
खुद को तन्हा पायी।
जिन्दगी के बरसो बाद भी,
याद दिल से मिटा पाई ना।
हर तरफ दिल के कोने में तस्वीर तेरी, हर तरफ दिल के कोने मेंतस्वीर तेरी, क्यों मिटती नहीं यादें तेरी,
आज से तेरी कसमे मुझे याद आई।।
क्यों दी मुझे कसमे ओ मीत मेरे, हद से ज्यादा तेरी, आज याद आईं हैं।
हद से जादा तेरी हां ज्यादा है
तेरी याद आई है।
क्यों तन्हाई , तन्हाई तन्हाई आई। क्यों पीछा नहीं छोड़ती तेरी यादें, क्यों पीछा नहीं छोड़ती तेरी बातें
क्यों मान नहीं लेती कि तूने कदर नहीं की मेरी।
जब पास में थी मैं ,तेरे ,तुम पास नहीं था मेरे।
तब न कभी कीमत की,
दिल में प्रेम दिखाकर कहां चले गए तुम बेवफा वन के।
झूठे वादे किए साथ देंगे तेरा।
तूने क्यों बादे किए।
मोर पंखी की तेरी लाई हुई रखी है आज तक सजोकर मैंने ।
वह पेज मेरे पास बो कलम मेरे पास जिससे तूने लिख्खा तेरे बिन दिल है उदास।।
तेरे दिए गुलाब सूख गये।
खुशबू आज भी आती है
खुशबू की सहारे जीती हुं।
तन्हाई सह लेती हूं।
जिस राह से तू गया
उस राह को निहार रही हूं।।
तुम्हारी वो प्यार भरी बातें जिनके सहारा जीती हूं।
कहां हो तुम कैसे हो कोई, मिल जाए खबर उस उम्मीद के सहारे जीती हुं।
वैसे तो कहने को मेरा भी एक परिवार है।
वजह से आपने दूरी बना ली है।
भूल गये तुम कैसे, परिवार तुम्हारा हैं।
आंखें ढूढ़ती है तुम्हें,आज तक। ये सच्चा प्यार तुम्हारा है।
पूछा था ना मैंने ,
साथ कहां तक दोगे तुम
बीच राह में आकर
मेरा हाथ तो न छोड़ दोगे तुम।
अगर जानते तो जरूर बताते हम।
जीवन हर पल तेरे साथ बिताते
सच तो यह है ,।
जीवन है किसी का,
नैनों में चेहरा है ,आपका।
खामोश तुम नहीं हो,
,खामोश मैं भी हूं।
फिर भी खामोशी से सफर जी रही हूं।
याचित वेदना तुम समझ क्यों नहीं पा रहे हो।
जिसमें मेरा अंग-अंग तुम्हारे रंग में रंग रहा है।
क्यों न समझ रहे हो,
समझ न सका तुम्हारा जवाब मे,
शायद मन ही मन बोले थे तुम
दिल बहलाने वाले शब्द
दिल से खेल जाने वाले ,
निभाते नहीं कभी जीवन हम भर साथ।।
नहीं येसा प्यार में कभी हो नहीं सकता।।
तुम्हारे साथ गुजारा जो वक्त भुला दिया जाएं।।
वहीं मौसम, वहीसावन, वहीं झूले,
वहीं यादें वहीं खुशबू आज तक सांसों में बसी है।
कैसे कह दिया प्यार को खिलौना
क्यों समझते नहीं हो तुम...
हर पल तुम्हारे साथ रह ने की रहने की रहती चाहत ,
वक्त को शायद यही मंजूर हैं।
ना समझो बेबफा मुझको।।
हर पतझड़ के बाद बहार आती हैं,समय बदलेगा एक दिन जरूर,
तुम भी समझोगे मेरे प्यार को।।
अब न आते दिल में जज्बात कोई तुम्हारे सिवा ।।।
तेरे बिन कल्पना करना गुनाहा
बस तुम ही हो, तुम ही हो, तुम ही हो तुम।।
क्यों समझने की भूल कर रहें हों।
तेरे मिलने के बाद,
मेरी हर खुशी हो तुम,
मेरा चैन हो तुम।
तुझसे जीवन की हर खुशी है
तुझ ही से जीवन कीआस है।।
दिल में बस चाहत तुम्हारी और ना भाती कोई बात।।
दिल चाहता है पल-पल तुम्हें ,
हर सांस में हो तुम्हारा साथ।।
रखू यूं ही सदा लब्जों पर तेरा नाम । ।
तेरे मिलने के बाद,हुआ दिल का हाल ये,
कहीं भूल न जाना सनम मुझे,
इस दुनिया की पथरीली राहों में।।
हम हैं ,सनम तुम्हारे
तुम्हारे लिए ये जीवन हमारा,
जीवन का हर सुख तेरी राहों में हों।
तू हर पल हो मेरी बाहों में।
तुम हो गीत मेरा,तुम ही जीवन की डोर,मेरे मितवा ।।
ये दिल हर पल तड़पता, तुम्हारे लिए है।
तुम हो तो सदा मुझको मिलती है जीत।।।
मत भुलाना मुझे मत भुलाना मुझे जी पांऊगां तेरे बिन,
मेरे मीत ,ओ मेरे मीत, ओ मेरे मीत ,ओ मेरे मितवा।।
तुम ही जान हो, तुम ही हो मेरा मेरा जीवन सफर।।
तुमने छोड़ा जो साथ, मैं जाऊंगी विखर।।
ओ मेरे मीत, तुम से हर खुशी।
तुम हो मेरी रूह तुम ही प्यास हो
हर आस हो विश्वास हो।।
दिल चाहता है ,तुम्हे बस तुम्हें, हीओ मेरे मीत
तुझसे मिलने के बाद
तुम्हारे लिए ये साँसों का चलना, तुम्हें ये न पाएं, इनका रुकना है लाजमी है लाजमी, ओ मीत मेरे मितवा।।
तुझसे मिलने के बाद दिल हो गया है तुम्हारा।।
ओ मीत मेरे मितवा।।
सब के हृदय में बसते राम सीताराम सीताराम।
बोलो राम - राम - राम बोलो राम - राम - राम।
पतित पावन नाम राम का जीवन का आधार,
रामलला को पूजिए राम नाम से करिए प्यार,
जन जन के ह्रदय बसे जन जन के अति प्यारे,
कौशल्या के प्यारे और दशरथ नंदन राज दुलारे,
सज गई अवध नगरिया, सजे सभी हैं नर नारी,
रामलला हैं वहाँ विराजे जिनकी छवि लगती न्यारी,
राम, लखन और भारत, शत्रुघन थे अयोध्या की जान,
धाम अयोध्या बनी है देखो अपने भारत की पहचान,
सिया, उर्मिला, मांडवी, श्रुतिकीर्ति प्यारी अवध दुलारी,
राज भवन की बहुएं ये सास ससुर की सबसे प्यारी,
मात के बचन निभाए लौट लखन संग बापस आए,
चौदह वरस वनवास लिया आज्ञाकारी जो कहलाए,
संतो के हितार्थ बने जो संत जनो के तारणहारे,
दुष्टो का संहार किया सब संतो के कष्ट उबारे,
अवध में राम जी आए राम नाम है प्यारा नाम,
बोलो राम राम राम राम सीता राम राम राम।
सब के हृदय में बसते राम सीताराम सीताराम।
बोलो राम - राम - राम बोलो राम - राम - राम।
पतित पावन नाम राम का जीवन का आधार,
रामलला को पूजिए राम नाम से करिए प्यार,
जन जन के ह्रदय बसे जन जन के अति प्यारे,
कौशल्या के प्यारे और दशरथ नंदन राज दुलारे,
सज गई अवध नगरिया, सजे सभी हैं नर नारी,
रामलला हैं वहाँ विराजे जिनकी छवि लगती न्यारी,
राम, लखन और भारत, शत्रुघन थे अयोध्या की जान,
धाम अयोध्या बनी है देखो अपने भारत की पहचान,
सिया, उर्मिला, मांडवी, श्रुतिकीर्ति प्यारी अवध दुलारी,
राज भवन की बहुएं ये सास ससुर की सबसे प्यारी,
मात के बचन निभाए लौट लखन संग बापस आए,
चौदह वरस वनवास लिया आज्ञाकारी जो कहलाए,
संतो के हितार्थ बने जो संत जनो के तारणहारे,
दुष्टो का संहार किया सब संतो के कष्ट उबारे,
अवध में राम जी आए राम नाम है प्यारा नाम,
बोलो राम राम राम राम सीता राम राम राम।
बोलो राम- राम- राम -बोलो राम राम -राम।
सीताराम राम- राम सीतराम राम राम।
पतित पावन नाम राम का ,
जीवन का आधार, बोलो राम- राम -राम बोलो राम - राम- राम
दशरथ नंदन राज दुलारे, कौशल्या के प्राणों प्यारे ,
बोलो राम -राम- राम बोलो राम राम- राम- राम
सीताराम राम- राम-राम।
सज गई अवध नगरिया, सज गए सब नर नारी,।।
बोलो राम -राम -राम- राम
बोलो राम- राम -राम ।।
कोई मंगल गीत गाए, कोई करे आरती, बोलो राम -राम -राम।।
राम, लखन और भारत शत्रुघन थे अयोध्या की जान, बोलो राम राम- राम- राम।।
बोलो राम राम- राम सिया ,उर्मिला मांडवी, श्रुतिकीर्ति प्यारी अवध की राज दुलारी बहुएं ,
वोलो राम -राम- राम सीता राम राम- राम राम- राम ।।
मात पिता की वचन निभाए लौट के वापस अयोध्या आए।
सबने अपने-अपने धर्म निभाएं, कोई किसी से शिकवा न करता बोलो राम- राम -राम।
कैकेई के राम प्राण प्यारे,
कैसे बन को भेजे दुलारे सबके राम है तारण हारे ,सब का हित चाहे कैकई माता।।
हृदय पर रख के पत्थर कैसे बन को भेजे राम।।
बोलो -राम- राम -राम बोलो राम राम राम
आज राम घर वापस आए
सबसे अधिक कैकेई हर्षित ,
आज राम घर वापस आए ।
चौदह वर्ष बिन लाल बिताएं।
आज अवध में राम जी आए बोलो राम राम नाम बोलो राम राम राम राम
राम राज्य में सब जन सुख पाया।
ना था कोई रोगी, सबकी सुंदर काया।
बोलो राम- राम -राम -राम सीता राम राम राम।
सब के हृदय में बसते सीताराम बोलो राम राम राम बोलो राम राम।।
तेरे मिलने के बाद
चलो आज एक कहानी सुनाती हूं।
अपनी जिंदगी के कुछ सपनों कि किस्से बताती हूं।
रात दिन सपने देखती रही आसमान छूने के बाद क्या हुआ उसकी एक झलक दिखाती हूं।
तुझसे मिलने के बाद।
न जाने कोई रात बीती हो जिस दिन तू और तेरी बातें मेरे मन को न सताती हो ।।
तू बात ना करें मन का कचोटता है बिबस ,लाचार होती हूं मैं
बात करने बहुत मन करता है, रात को भी तुझसे।।
कई रात नींद नहीं आई, तुझसे ही बातें करती रही अकेले सो नहीं पाई। ।
मन बहुत अधीर होता है ,
जब तू परेशान होता है।
कितनी परेशान होती हूं ,,शायद तुझे यकीन ही नहीं होगा ,जब से मिली हूं ,तुझसे तेरी हो गई हूं ।
हर पल तेरे ही बारे में सोचती रहती हूं ,
कौन सा दिन वह होगा जब तेरी जिंदगी में चमत्कार होगा ,तेरे पास भी शानदार बंगला सुंदर सी गाड़ी होगी।
न जाने कितनी वार दिन में अकेले रहने का मन करता है।।
मगर रह नहीं पाती तुझसे बातें बगैर करें।।
बहुत बार मन को समझाती हूं,
ना परेशान करे तुझे।।
तुझसे बात नहीं की उस दिन
ऐसा लगा मानो जिंदगी अधूरी हो गई।।
मेरा तेरा रिश्ता अद्भुत है, अनमोल।
इस दुनिया में बस तेरा ही साथ हैं बस अब तो यूं लगता है।
तू नहीं होगा जिस दिन जहां में, मेरी भी आखिरी रात होगी।।
वैसे तो कोई रिश्ता नहीं है ,मेरा तेरा, बस तू वो अहसास है जिस का कोई नाम नहीं।।
तो फिर क्यों तू मेरा दिल तोड़ देता है।।
हां माना कि मेरी भी कोई गलती होगी।।
तू रूठता है मनाती हूं।।
मुझे भी तो लगता कभी तो भी मुझे मनाएं।
ये दोस्त मेरी तेरी दोस्ती को किसी की नजर ना लग जाए।।
धन्य था, धन्य था, वो वीर,
सहना अन्याय जिसने,
सीखा नहीं ।।
मां प्रभावती पिता जानकी दास, के लाल को नमन।।
देश के लाल को नमन है ।।
नमन हां, नमन है, नमन हां नमन है नमन नमन नमन नमन ।।
स्वतंत्रता ही जिसका एक स्वप्न था ,
उस लाल को नमन।।
सिविल सेवा काम उसको नहीं है भाया।।
कर दिया त्याग देश के लिए।
उस लाल को नमन।।
राष्ट्रीय आंदोलन में कूद पड़ा वो,
दे दिया नारा जय हिंद का,
कर दिया आजाद हिंद फौज का गठन उस लाल को नमन।।
सत्यमेव जयते में जिसका का था विश्वास, देश का वो सरताज था।
उस लाल को नमन।।
सौम्यता झलकती थी जिसके चेहरे पर, खौलता था खून फिरंगियों के बोल पर,
उस लाल को नमन उस लाल को नमन।।
महानायक स्वतंत्रता संग्राम का जिसने हर युवा को जगा दिया, अपना पराक्रम दिखा दिया, उस लाल को नमन।।
अपनी शक्ति के साहस जिसने, अपने देश के लिए हर पल जिया उनकी तपस्या का फल हम सब को मिल गया,
ऐसे वीर को नमन ।।
सीता त्रिवेदी शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश
बेटियां बोझ नहीं
किसने कहा में बोझ हूं।
मैं अपने पिता की शान हूं।
मां की संस्कारों की पहचान हूं।
अपने पिता का अभिमान हूं।
हर संघर्ष लड़ने को तैयार हूं ।
मैं आन ,वान ,शान हूं ,कितनी भी मुसीबतें क्यों ना जीवन में
,उन सबसे लड़ने को तैयार हूं।
मैं लक्ष्मी का ही अवतार हूं।।
मैं परमात्मा का वरदान हूं ।
हर रूप में ही तो हूं । मां
बेटी ,पत्नी बुआ ,चाची ,नानी,मामी, मैं कैसे, बोझ हो सकती हूं ।
क्योंकि मैं वसुंधरा हूं ।
अधिकारों की चाहा नहीं।
यह सब अधिकार हमारे है ।
मां बनकर पुरुष को जन्म दिया। उसको पाल पोषकर बड़ा किया।
सबका बोझ सहने ,वाली बोझ नहीं सकती हूं।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर
आओ गुफ्तगू करें,
ऐ दोस्त मिले हो एक अरसे के बाद आओ बैठ कर कुछ बातें करें।
कहां खो गए वो दिन, जब एक दूसरे के बातें समाप्त नहीं होती थी ,ना कोई डर था ना भय था।
आपस में अनोखा प्रेम था।
कभी तूअपनी कहता कभी मैं अपनी कहती, बिना भेदभाव
के जीवन था।
कभी मैं अपने घर के किस्से सुनाती तो कभी तू कितने खुशी की वो पल होते थे।
कभी तो, तू अपनी छत होता मैं अपनी छत पर इशारो इशारो में घंटो बातें होती रहती थी।
मम्मी पापा की डांट खाकर बड़े खुश होते थे।
ये दोस्त वो। भी क्या दिन होते थे
आओ कुछ फिर गुफ्तगू करते हैं
वो खुशी फिर कहीं ढूढ़ते हैं।
तू खामोश हो जाता तो ,मैं तुझे हिलाती थी , और बोलती कहां खो गया है।
तू धीरे से मुस्कुरा कर कहता था मैं देख रहा हूं कि तेरी सुन रही है कि नहीं ।
हम दोनो इसी तरह बात पर घंटो हंसते रहते थे।
फिर मैं खामोश हो जाती
फिर तू आहिस्ता बोलता
क्यों चुप हो गई मेरी गुफ्तगू रानी
मैं पूछती थी तुम्हारा पढ़ाई में दिल नहीं लगता क्या ।
कहीं प्यार तो नहीं हो गया है।
इसलिए नहीं करते हो गुफ्तगू।
नहीं मुझे प्रेम और तुमसे ऐसा नहीं सकता।
इन दो शब्दों में दिन बीत जाता था।
जाने कहां चले गए वो दिन।
जब तू मिला नहीं तब पता लगा।
कि तेरे बिन जिंदगी कितनी अधूरी हो गई है।
तुझे आज भी आंखें ढूढ़ती है
कहां चले गए वो दिन, एक साथ खाना उठा बैठना लड़ना फिर बातें करना।
कोई रोक टोक नहीं थी जीवन में,
न छल ना कपट न संदेह ना रिश्तो में मलीनता थी ,वह जिंदगी बेमिसाल थी।
आज बरसों बाद मिला तू मुझे। बड़ा सकून पाया।
हा सच है तू अपने में खो गया, मैं अपनी में खो गई, भले मै किसी की हो गई, तू किसी का हो गया
वो सकून नहीं मिला आज तक जो तेरे साथ होने से मिलता था।
दोस्त
अब तो रिश्तो में जिंदगी
बंधगई है, सब स्वार्थी रिश्ते हैं।
प्रेम तो ऐसे लगता है कि जीवन से खो गया है।
आज मिले हो तो आओ गुफ्तगू कर ले।
चलो तुम कुछ मुझसे कह लो,
नहीं अब दिल नहीं है कोई गुफ्तगू करने को।।
अब मन करता है सारे संसार को छोड़कर फिर उसी बचपन में हम खो जाए वैसे ही हो जाए
ए झमेले की जिंदगी रास नहीं आती मुझे।
बस तू छोटा हो जाए और मैं छोटी हो जाऊं फिर गुप्तगूं कर लूं।।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर
अक्सर मेरी बात अधूरी छोड़कर,
कहां चले जाते हो तुम।
समझ नहीं आता किससे घवराते हो तुम, फिर दोस्ती करने की जरूरत क्या थी।
अब तो नफरत हो ने लगी है खुद से लगता कोई बदला ले रहे थे हमसे तुम।
क्या जरूरत थी तुम्हें हर बार सताने की आंखों में आंसू देने की अब तो ग़म को अपना लिया मैने।
क्यों कि यही काम आता है हर बार बार बार।
था कोई खास प्यारा तुम्हारा,
तो हमें जरूर बताते तुम ।
विना बताएं बात नहीं करना,रास ना आता मुझे।
कुछ पूछना चाह हमने, क्षमा करना कहकर काम चलाते तुम।
आज की बात को भूल न जाना तुम।।
मोहब्बत है येसा कहते थे, उससे,
फिर क्यों येसा करते थे, तुम सामने आना नहीं कभी तुम्हारे अब।
दिल थोड़ते हो बार बार तुम।।
अब दगा नहीं दे ना पाओगे तुम।।
मैंने तो परिवार माना तुम्हें,
तुम जाने क्या मानते थे मुझे।।
हम दोनों तो दोस्त थे फिर क्यों बंदिशें थी बात में। ना
निभाओगे ये दोस्ती तुम।।
दोस्त को भूल जाओगे तुम।।
मुझे पता नहीं था पहले।
कि इतना रुलाओगे तुम।
अक्सर लोग प्रेम,दोस्ती में,
दोस्ती को ही चुनते थे।
आप जो किया अच्छा किया।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर।
जिंदगी बीत रही
हर हाल में हैं।
आपको भूलना तो चाहा,
भूल न पाई।
भीड़ लाखों की है, यहां
खुद को तन्हा पायी।
जिन्दगी के बरसो बाद भी,
याद दिल से मिटा पाई ना।
हर तरफ दिल के कोने में तस्वीर तेरी, हर तरफ दिल के कोने मेंतस्वीर तेरी, क्यों मिटती नहीं यादें तेरी,
आज फिर तेरी कसमे मुझे याद आई।।
क्यों दी मुझे कसमे ओ मीत मेरे,
हद से ज्यादा तेरी,आज याद आईं हैं।
क्यों तन्हाई , तन्हाई तन्हाई आई।
क्यों पीछा नहीं छोड़ती तेरी यादें,
क्यों पीछा नहीं छोड़ती तेरी बातें
क्यों मान नहीं लेती कि
तूने कदर नहीं की मेरी।
जब पास में थी तेरे,
तू पास नहीं था मेरे।
तब न कभी कीमत की,
दिल में प्रेम दिखाकर कहां चले गए तुम बेवफा वन के।
झूठे वादे किए साथ देंगे तेरा।
तूने क्यों बादे किए।
मोर पंखी की तेरी लाई हुई रखी है आज तक सजोकर मैंने ।
वह पेज मेरे पास बो कलम मेरे पास जिससे तूने लिख्खा तेरे बिन दिल है उदास।।
तेरे दिए गुलाब सूख गये।
खुशबू आज भी आती है
खुशबू की सहारे जीती हुं।
तन्हाई सह लेती हूं।
जिस राह से तू गया
उस राह को निहार रही हूं।।
तुम्हारी वो प्यार भरी बातें जिनके सहारा जीती हूं।
कहां हो तुम कैसे हो कोई, मिल जाए खबर उस उम्मीद के सहारे जीती हुं।
वैसे तो कहने को मेरा भी एक परिवार है।
वजह से आपने दूरी बना ली है।
भूल गये तुम कैसे, परिवार तुम्हारा हैं।
आंखें ढूढ़ती है तुम्हें,आज तक। ये सच्चा प्यार तुम्हारा है।
उलछी उलझी सी उम्र बीत रही है।
क्योंकि समझने सवरने का मुझको सलीका नहीं आया।
उलझनों से कोशिश की अपने को बचाने की।
मगर बच नहीं पाई गुलाब के कंटको से
छुपाती रहूंगी ,अपने को।
क्योंकि कांटो से बचने का सलीका नहीं आया।
प्रश्न करती रही हर पल बच्चो सा आज तक
प्रश्न करने का सलीका नही आया।।
आंसू आंखों मे आए ,हर पल छुपाने का सलीका नही आया।।
बनाते बो मेरी खिल्ली।।
जिन्हें जीने का तरीका सिखाया।
आसूं देखकर मेरे उनका मजाक उड़ाया ।।
क्यों की मुझे रोने का सलीका नही आया।।
प्यार किया उनसे गुनाह किया क्योंकि मुझे स्वार्थी, बेबफा बनाना नही आया।
क्योंकि मुझे बफा करने का सलीका नही आया।
तड़पी रात दिन जिनके लिए
करवटें बदल कर रातें गुजारी आज तक अब बो कहते है मुझे सोने का सलीका नहीं आया ।।
सब के लिए पल उपलब्ध रही,सब की परेशानी समझी
फिर भी मुझे दरिया दिल होने का सलीका नहीं आया ।।
खाई पल पल चोट दिल पर अव वो कहते हैं
मुझे पत्थर बने का सलीका नहीं आया ।।
वफा ही करनी है उनसे वचन दिया है उनको,,
बचन तोड़ने का मुझको सलीका नहीं आया।।।
दिन बीता साथ तुम्हारे ,
हर पल संघर्ष में देखा।
दया ,धर्म, यश, कीर्ति ,दिल में
सभी के लिए दर्द देखा।
दिन बीता साथ ,तुम्हारे
हर पल जीवन में नया नूतनपन देखा। दिन भर क्या हुआ ?
जब शाम आई ।
एक मीठी सी याद की उम्मीद आई।
सारा दिन कैसे वीता ?
श्रम के चर्चे आत्मविश्वास से भरा चेहरा मसीहा बनके सामने आया।
एक नहीं रोशनी लाया ।।
सहजने को एक एक बात,
बीते पलों के लिए रात आई।।
अपनी गोद में रखने के लिए चांदनी की किरणें एहसास लाई।।
दिन बीता उलझनो में।
आराम के लिए रात आई ।
मां का दुलार , लोरी की याद आई।।
अब थकी आंखें बोलती की रात आई ।
मत सोच कुछ भी ,
तू सुखद आगोश् में खो जा।
रात आई ।।
भूल जा सभी कशमकश को,रात
आई ।।
दिन वीता साथ तेरे रात आई ।।
हां रात आई।।
यह जिंदगी के पल भी ,
क्या अजीब होते हैं।
कभी बहुत प्यार कभी,
नफरत देते हैं ।
कभी हद से ज्यादा सकून,
कभी हस से ज्यादा खुशिया देते हैं ।
कभी हद से ज्यादा तकलीफ देते है।
कभी वो दवा दुआ बनकर जीवन देती है।
कभी वही दवा विश बनकर प्राण लेती है।।
जिंदगी के पल कितने अजीब होते हैं।।
कभी जीवन अनचाही खुशियां और देते हैं।
कभी अन चाहा दर्द दे देते हैं सहन करना मुश्किल पड़ता है।
जिंदगी की पल भी क्या अजीब होते।
कब किसे मसीहा बनाकर पेश कर दे,।
कब किसी दुश्मन बना दे भेष बदल दे।
जिंदगी के पल भी क्या अजीब होते हैं।।
कब किसे जमीन से उठाकर आसमां से बिठा दे।।।
कब किसकी तकदीर में भीख लिखने।।
जिंदगी के पल क्या अजीब होते।।
मैं नूतन वर्ष हूं ।
नूतन वर्ष हूं।
समय की आगाज़ हूं।
मैं ही नव वर्ष हूं ।
सदियों से वक्त की उदगार हूं।
संभल सको तो ,
संभल जाओ ।
मैं जीवन की बौछार हूं ।
जीवन का विस्तार हूं।
मैं नूतन वर्ष हूं।
वक्त हूं आपका ।
सदियों से ,
गुजरे वक्त का मंथन हूं।
क्या खोया ,क्या पाया ,अनवरत पहचान हूं।
सुख-दुख सब समाहित मुझमें सब करते हो आप ही।
मैं गजल हूं ।।
सजल हूं।।
संस्कृति , सभ्यता ,सच का प्रमाण हूं।
मैं वर्ष हूं ,नव वर्ष , हूं।
जीवन की हरआओ और हवा हूं।
मुझमें ही वर्ष हैं।
दुखियों की पुकार ।
सुख का भंडार हूं ।
कभी इंतिहान हूं।
मैं हर पल नई बहार हूं ।
मैं जीवन का जय घोष हूं।
संभलने का अवसर और चेतावनी में हीं हूं।
मैं नव वर्ष हूं ।
मैं संकल्पित विश्व का प्रमाण हूं।
शांत हूं ,अखंड हूं
मैं ही समय हूं।
मैं अभी के लिए नव बर्ष हूं।
मै अनंत हूं ।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर
सांसें
सांसो का क्याl
आयी न आयी।
तन का भरोसा
कब मिट जाये।
पता नही।।
आज है कल का पता नही।
किसने देखा यहां जीवन में,
जब जीवन का पता नही।
कब आयी जबानी कब
चली गयी, पता नही ।।
किसके हिस्से मे क्या
सांसो का पता नही।।
इसलिए सकून से जियो जीवन को हैं सांसों का पता नहीं।।
कभी सोचती हूं;
दिन रात काम ही,काम
नही कही आराम,फुर्सत के दो पल
ढूंढ़ती हू तुझमे ,
थोडी सी जिन्दगी
सकून भरी अपने हिस्से की
सासों का पता नही।।।
शिकायत नही करना चाहती कभी
दिल से हकीकत ये है।
मगर ये निगाहें अटकती कही
तेरी नजरों मे नसीले बदन में।
और नखरे भरी अदाओ पे
सांसो का पता नही है।
रात दिन तड़पतीं सिसकियां भरती ,अश्क बहाती रातों मे।
नही जानता कोई यहां
क्या हालत है ,दिल दारों की।
सामने तू फिर भी खामोशी,
क्यो होता तू यांदो मे।
दिल धक -धक करता
क्यो हर पल जैसे ,
तू नही मिला हो
बरसों से।
ऐसी तड़प क्यो है दिल मे
तू हर पल रहे ख्वाबों मे।
आसान नही जीवन जीना
कब तक रखूं दिल मे धीरज।
वे जुवां निगाहें।।।।
क्यो ढूंढ़ती हर पल तुझे
इसका कोई जबाब नही।।।
पढी चिट्ठियां तुम्हारी।
मिले हाल सब तुम्हारे।
फिर भी चैन मिला न दिल को क्यों।।
जो हाल है हमारा,
क्या हाल है, तुम्हारा क्यो लगा मुझे,इस में अधूरी हैं बातें, अधूरी हैं रातें, लगा पाती से क्यों।।
कब के बिछड़ें हैं हम,कब से,
जो ख्वाइश हैं हमारी क्या ख्वाइश है तुम्हारी, तन् में मिलने की जो है, तड़प।।
चैन नही ,है दिल को
तुम कहां हम कहां,
और रैन कहां,
चैन मिले ,ना पल -पल
अब मिलन की आस जगी है।।
पढी चिट्ठियां तुम्हारी
ना कुछ तुमनें सुनाया ना कुछ हमने सुनाया
ये सब मूक रहेगा कब तक।।
खफा होना ही था
कभी तुम्हें कभी हमें, फिर मिलने की हसरतें है क्यों,
मुझे लगता है जो, क्या तुम्हें लगता है वो,
कब मिलेगी प्यार से नजरें
होगी प्यार की बातें,
रूठना मनाना चलता ही रहेगा।।
तू कुछ मुझसे कहे मे कुछ तुझसे
यहू ये जीवन चलता रहेगा।।
समय है, ना किसी के बस मे,
जो जाते यहा से ,फिर मिलते नही
इसलिए जिद करते नही।।
तूने वादे किये,
मैंने वादे किये।
अब उनको निभाना होगा।।
तुझे जिद को छोड़ना होगा,
तू किताब बन गया मेरी जिन्दगी की।।
मै पन्ना, नही बनना चाहती।
मनाने के तरीके, नही आते मुझे,
प्यार से वास्ता पड़ा ही नही ,
तू मेरा दोस्त है।
पहला और आखिरी,
दिल दुखाने का पूरा हक है तुझे,
मत रूठ इस कदर टूटती है सांसे मेरी।।।।।
पढी चिट्ठियां तुम्हारी।।
मेरी ख्वाहिश
तू हंसता रहे हर पल
कभी दुख की छाया भी न हो तेरे पास।।
तेरे चारों ओर हों खुशियों की बगिया, न हो कोई पा बन्दियां।
काम का बोझ तुझे सताये ना।।
तू हर पल साथ हो हमारे, तूं, बने प्रियतम हमारा,
बन जाऊं तेरी प्रियतमा,बस हो तेरी बाहों का सहारा।।
खुशियों से भर दूं जीवन सारा,
दुख का एक पल भी ना हो जीवन में ,
रवि से मांगू दुआं बस यहीं।
तुझे पाने की ज़िद है मेरी।।
ज़िद है मेरी, ज़िद है मेरी,।।
चाहे सारी दुनिया आवारा पागल कहें मुझे,
चांहे आशिक दीवाना कहें,
तेरी खुशियों का बगीचा बनू मैं
सारा बदन ढक लू तेरा
कोई संकट की किरणे पड़े ना
जीवन में
तू हंसता रहे हर - पल ,हर पल
हर ख्वाहिश पूरी करू मै।।
मेरा सपना है बस यहीं।।
बात दिल की मान कर तो देखो
सत्य पथ अपना कर देखों, मिलेगी हर मंजिल तुम्हें जरा संघर्ष करके देखो।।
व्यर्थ संशय व्यर्थ बातें,कुत्सित भाव त्याग कर देखों।
बनेंगे सभी अपने जरा अपना बनाकर देखो, दिल की बात मानकर देखो।
दिल कहता सच सदा कभी अपने को अन्दर झांक कर देखो।।
सत्य पथ साधु संत की संगत, अपनेको सन्मार्ग पर चलाकर देखों मिट जाएंगे सारे कष्ट
कभी अपना कर देखो।।
निति साथी मिले सही और गलत,
उनको उत्तम रहा दिखाकर देखो।
बिखरे शूल है धरा पर जरा फूलों को बिछाकर देखो।।
बन जाएंगे सभी अपने यहां जरा दिल से बनाकर देखो।।
कोई नीचा दिखाएं तो दिखाने दो,
झगड़े तो झगड़ने दो , अपना मन शांत बनाकर देखो मिट जाएंगे झगड़े सभी जरा दिल की मान कर देखो।।।
हां सच हैं कि दुनिया में अलग-अलग मत भेद भरे,
मगर अक्षर बही है शब्द बनाकर देखो, बन जाएंगे मनमीत जरा दिल मिलाकर देखो।।
सबको आगे रहने की आदत होती है, जहां पर
आप जहां हो अपने को प्रथम मानकर देखो ,कोई आगे न होगा कोई पीछे न होगा ।।
कभी यह दिल से मानकर देखो,
मिट जाएंगे सारे गिले-शिकवे यहां सभी को अपनी नजर से अपना बनाकर देखो।।
अपनी मन मर्जी से पहले, दूसरों की मर्जी जानकर देखो,
खुश हो जाएगा हर पल ,खुशनुमा झोली में खुशियां भर के देखों ,
खुशियां भर के देखो।।।।
कभी अपने नजरिए को बदल कर देखो।।
मिट जाएंगे सारे गिले-शिकवे सभी उसको अपनी नजर से देखों
उसकी मजबूरी समझकर देखो छोड़िए बेमतलब की तकरार को ,थोड़ा सा प्यार बांटकर देखो।।
थोड़ी दिल की बात मानकर देखो।
सारा जहां अपना हैं ।
ये जानकर देखो।।
मिलेगा बड़ा सकून दिल से मानकर देखो।।।।।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर
मेरी ख्वाहिश
तू हंसता रहे हर पल
कभी दुख की छाया भी न हो तेरे पास।।
तेरे चारों ओर हों खुशियों की बगिया, न हो कोई पा बन्दियां।
काम का बोझ तुझे सताये ना।।
तू हर पल साथ हो हमारे, तूं, बने प्रियतम हमारा,
बन जाऊं तेरी प्रियतमा,बस हो तेरी बाहों का सहारा।।
खुशियों से भर दूं जीवन सारा,
दुख का एक पल भी ना हो जीवन में ,
रवि से मांगू दुआं बस यहीं।
तुझे पाने की ज़िद है मेरी।।
ज़िद है मेरी, ज़िद है मेरी,।।
चाहे सारी दुनिया आवारा पागल कहें मुझे,
चांहे आशिक दीवाना कहें,
तेरी खुशियों का बगीचा बनू मैं
सारा बदन ढक लू तेरा
कोई संकट की किरणे पड़े ना
जीवन में
तू हंसता रहे हर - पल ,हर पल
हर ख्वाहिश पूरी करू मै।।
मेरा सपना है बस यहीं।।
बात दिल की मान कर तो देखो
सत्य पथ अपना कर देखों, मिलेगी हर मंजिल तुम्हें जरा संघर्ष करके देखो।।
व्यर्थ संशय व्यर्थ बातें,कुत्सित भाव त्याग कर देखों।
बनेंगे सभी अपने जरा अपना बनाकर देखो, दिल की बात मानकर देखो।
दिल कहता सच सदा कभी अपने को अन्दर झांक कर देखो।।
सत्य पथ साधु संत की संगत, अपनेको सन्मार्ग पर चलाकर देखों मिट जाएंगे सारे कष्ट
कभी अपना कर देखो।।
निति साथी मिले सही और गलत,
उनको उत्तम रहा दिखाकर देखो।
बिखरे शूल है धरा पर जरा फूलों को बिछाकर देखो।।
बन जाएंगे सभी अपने यहां जरा दिल से बनाकर देखो।।
कोई नीचा दिखाएं तो दिखाने दो,
झगड़े तो झगड़ने दो , अपना मन शांत बनाकर देखो मिट जाएंगे झगड़े सभी जरा दिल की मान कर देखो।।।
हां सच हैं कि दुनिया में अलग-अलग मत भेद भरे,
मगर अक्षर बही है शब्द बनाकर देखो, बन जाएंगे मनमीत जरा दिल मिलाकर देखो।।
सबको आगे रहने की आदत होती है, जहां पर
आप जहां हो अपने को प्रथम मानकर देखो ,कोई आगे न होगा कोई पीछे न होगा ।।
कभी यह दिल से मानकर देखो,
मिट जाएंगे सारे गिले-शिकवे यहां सभी को अपनी नजर से अपना बनाकर देखो।।
अपनी मन मर्जी से पहले, दूसरों की मर्जी जानकर देखो,
खुश हो जाएगा हर पल ,खुशनुमा झोली में खुशियां भर के देखों ,
खुशियां भर के देखो।।।।
कभी अपने नजरिए को बदल कर देखो।।
मिट जाएंगे सारे गिले-शिकवे सभी उसको अपनी नजर से देखों
उसकी मजबूरी समझकर देखो छोड़िए बेमतलब की तकरार को ,थोड़ा सा प्यार बांटकर देखो।।
थोड़ी दिल की बात मानकर देखो।
सारा जहां अपना हैं ।
ये जानकर देखो।।
मिलेगा बड़ा सकून दिल से मानकर देखो।।।।।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर से
मन कि बात
मन से मन की हर बात करती हूं हर दिन।
कभी लगी नही दूरियां है,क्यों की आत्मा मे बसते है बो।
बो हर सांस कब बन गए मेरी,
अजब सी कसमकस है,बता भी नही सकती उन्हें,
जिस्म से जिस्म मिलने की तमन्ना ही नहीं है ।।
रूह से रूह की हर बात हो रही है हर पल
अब संवेदनाएं सारी तुम्हारे लिए है।।
कविता ,कहानी आती है तुमसे पता नही कैसी मोहब्बत हो तुम
ढूंढती हैं निगाहें मेरी तुझे ही हर लम्हें में ,,
बिन कहे सब कुछ तो आज मैं कह ही रही ।।
सच क्या झूठ क्या सही क्या गलत क्या अब पता ही नहीं
अब भरोसा है तुझ पर तो मेरा ही है।।
यह शरीर भले किसी को दिया है मन और भावनाएं तुझको ही दी है सब कुछ है तू किस से कहूं ।।
मैं
तेरी आवाज के जादू में मैं खो ही रही तेरी खुशियों मैं क्यों में ही ढूंढती हूं खुशियां सारी यह दौलत तुम्हारे लिए है।
जो मन को भाता है वह कह ही देती हूँ मैं,
कब कौन इस जहाँ में रहे या ना रहे यह मुझको पता भी नहीं है।।
तू विश्वास मेरा भले तोड़ दे मैं विश्वास तेरा न तोड़ू कभी।।
ये स्नेह शाश्वत बने यह आज मैं लिख ही रही ।।
जाने क्यों ये लेखनी बिन लिखे रुकती ही नहीं ,,
तेरी हर बात का जबाब हर बार मै
दे रही थी मैं ।।
प्रेम क्या है मुझे ए पता तो नही मगर तेरे बिन जिंदा भी नही।
कभी कुछ कहने का तेरा मन जो कहे मुझसे आप किस भरोसे को सलाम।।
दुआ दो ना दो पता तो नहीं
जब तक हूं जहां मे,प्रभु से मांगू दुआ सलामत रहे तेरा परिवार सदा।।।
गिले सिकबे को जीवन में हटा कर देखो।
रिश्तों में कुछ हल्कीनरमी लाकर देखो ।।
नीरस मत बनाओ ज़िन्दगी को थोड़ा मुस्कराकर देखो।
मिली है बढ़ी मुस्किल से ये जिंदगी जरा परमार्थ कर के देखो।।।
मिलेगी सारी खुशियां तुम्हे जरा खुशी लुटाकर देखो।।
हम ना भागे परछाइयों के पीछे
जरा सच्चाई समझ कर देखो।।
सुकून को आदत बनाकर देखो।
बनेंगे बेगाने भी यहां अपने ज़रा
दिल में बसाकर देखो।।
ज़िन्दगी यूँ ही न बीत जाये गिले शिकवों में कही।।
बेचैनियों को राहत बनाकर देखो।
बदल रहा बे वजह मौसम यहां।
जरा मौसम मे रिश्तों की लियाकल देखो।।
बेवजह मत कसो ताने किसी पर
उसकी वजह समझ कर देखो।।
सुलझ जायेगे सारे मसले यहां,
उसकी जगह खुद को रखकर देखो।।
मोहब्बत कुर्बानियां है लाखों, देखो।
कभी किसी से मोहब्बत कर के देखो।।
गिले सिकबे को जीवन में हटा कर देखो
रिश्तों में कुछ हल्की नरमी लाकर देखो
नीरस मत बनाओ ज़िन्दगी को थोड़ा मुस्कराकर देखो।
मिली है बढ़ी मुस्किल से ये जिंदगी जरा परमार्थ कर के देखो।।।
मिलेगी सारी खुशियां तुम्हे जरा खुशी लुटाकर देखो।
हम ना भागे परछाइयों के पीछे
जरा सच्चाई समझ कर देखो।।
सुकून को आदत बनाकर देखो।
बनेंगे बेगाने भी यहां अपने ज़रा
दिल में बसाकर देखो।।
ज़िन्दगी यूँ ही न बीत जाये गिले शिकवों में कही।।
बेचैनियों को राहत बनाकर देखो।
बदल रहा वे वजह मौसम यहां।
जरा मौसम मे रिश्तों की लियाकत देखो।।
बेवजह मत कसो ताने किसी पर
उसकी वजह समझ कर देखो।।
सुलझ जायेगे सारे मसले यहां,
उसकी जगह खुद को रखकर देखो।।
मोहब्बत कुर्बानियां है लाखों देखो।
कभी किसी से मोहब्बत कर के देखो।।
कौन है किसका यहां।
हर दिन न सही कभी कभार
खुशनुमा पलो की याद करनी, पड़ती यहां ।।
कितने भी बनो स्वाभिमानी यहां सब को जररूरत पढ़ती हैं एक ना एक दिन यहां।।
अमृत की ना पानी की भी जरूरत पढ़ती जिसके बिना जीवन ना यहां।।
जीवन भर किसने साथ निभाया किसका का अपना मूल्य समझना पढ़ता खुद सबको यहां।।
कौन किसके लिए जीता यहां
सब अपने लिए जीना पड़ता है यहां।।
दिन के भी होते यहां चार पहिर उसको भी अलग अलग तरीकों से जीना पड़ता यहां।।
कौन कहिता जीवन सरल है यहां हर प्रकार की परिस्थितियों से लड़ना पड़ता है यहां।।
शिक्षा अशिक्षा ,गरीबी अमीरी, ऊंच नीच तमाम भेदभाव समाप्त है यहां उसके लिए है तमाम शास्त्र यहां।
फिर भी नजरों से गिराता एक दूसरे को मनुष्य यहां।।
तमाम परिस्थितियों से जूझी हूं आज ऊब गई हू यहां अब अकेली राहिना चाहती हुं यहां।।
हरदिन जीने लिए कामना पड़ता है यहां मिले नहीं गर काम भूखे पेट सोना पड़ता है यहां।।
कौन किसे पूछता यहां सब जीते अपने लिए यहां ।।
मत तड़पो किसी के लिए यहां
लोग समझते खिलौना दिल बहिलाते और फेकतें यहां।।
मत रो मेरे दिल चलो कही इस जहां से दूर चलते हैं आज कही। सफर तन्हा तेरे साथ।।
सभी दिव्यांगजनो को प्रणाम
उस शक्ति को प्रणाम
जो चल नहीं सकते
सुन नहीं सकते
और बोल नहीं सकते,
जिनकी क्रियाएं आधारित हैं
केवल और केवल अन्तर्मन पर।
कहा जाता है जिसे दिव्यांग
जिसके साथ रहती है ईश्वरीय शक्ति
प्रणाम ऐसे उन सभी को।
जो कदमों से नहीं चल सके
मगर
धरा पर दुनियां को दिखाया हौसलों से अपनी
ऊँची उड़ान को।
प्रणाम उनके जज्बे को।
देखी नहीं बाहरी दुनिया
फिर भी अंतर मन से लिख दी किताब।
अपने अंतर्मन के चक्षु से
बिना देखे सारे जहां।
उन सभी को बारम्बार प्रणाम
उनकी अद्भुत शक्ति को प्रणाम।
जिसने सुना नहीं दुनिया का शोर
फिर भी रूह से लिख दी दिल की बात।
भर दिया जग में संगीत
उस व्यक्ति को प्रणाम।
कभी विचलित हुए नहीं।
न शिकायत की संसार से,
जो भी दिया परमात्मा ने उसे
समझा वरदान मिला
उस शक्ति को प्रणाम।
न नयनो की शिकायत न कानों की बात
न होठों से कहीं,चलने फिरने की कोई बात।
न हुए कभी उदास इस दुनिया में
फिर लिखे नए इतिहास
उस शक्ति को प्रणाम।
नहीं कहा हम हैं विकलांग।
गर्व से कर दिखाया हम हैं ,
प्रभु का अद्भुत चमत्कार हम
हम हैं दिव्यांग ,
हां हम हैं दिव्यांग ।
रखते हैं ऊंची उड़ान भरने का दम
नहीं हैं हम किसी से कम।।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद, शाहजहांपुर
गम है
कुछ ग़म हमे कि,
जो बने हमारे
बो हम नही
जो भी था मन में हमे बताना था
क्या शिकायत थी,मुझसे
बोल देते तो हम ऐसे ही
इस ज़िन्दगी से चले जाते
तो होता कोई गम नहीं।।
मेरी आंखे नम है।
ये मुझे गम नही।।
मगर बो अपने बनके।
बेगाने बने ये गम नही।।
अभी तो मिले भी नही।
दर्द इतना दिया ए हमे
गम नहीं,था दिल्लगी
का मौसम नही।
इक वादा तो था ।
कोई थी क़सम नहीं
इस तरह दी सजा।
ए कोई गुना नही था।
चाँद भी रोया हाय
रोई रजनी भी जब
सुनी उसने दर्द की
दास्ता अपना बनके ,
बना बेरहम झूठी खोखली
बातो से तूने क्यू दिया
अपनापन मैने नही मागा था
प्यार फिर क्यों दगा दिया तूने
मैंने कब मांगी थी बफा।
जो तू बेवफा बना।
तू बेदर्द बना
कोई गम नही।
आप सा प्रेमी कोई
किसी का बने नहीं,
जो आपको न लिखूं तो,
अब बो मैं नहीं ।
अब मुझे तुझ से शिक्बा नहीं।
हाँ ये सच है कि, कई बार झूठ बोलता हूँ मैं।
आज ये राज, सभी के सामने खोलता हूँ मैं।
खुश हूँ मैं बहुत, कहता हूँ हर किसी से यहाँ।
लेकिन कौन जाने यहाँ कि, झूठ बोलता हूँ मैं।
मेरे झूठ बोलने से, कई लोग मुस्कुरा जाते हैं।
उस सच्ची मुस्कान के लिए, झूठ बोलता हूँ मैं।
सच बोलकर अक्सर, रिश्ते टूटते देखे हैं मैंने।
बस रिश्ते बचाने के लिए, झूठ बोलता हूँ मैं।
हर जगह तो यहाँ झूठों की, महफ़िल सजी है।
इसलिए महफ़िल में झूठों से, झूठ बोलता हूँ मैं।
वो हमारे बिना नहीं रह सकते, झूठ बोलेते हैं।
मैं उनके बिना खुश हूँ, उनसे झूठ बोलता हूँ मैं।
सच बोल दूंगा, तो कई लोग मुझे झूठा कहेंगे।
इसलिए सच्चा दिखने के लिए, झूठ बोलता हूँ।
मृदा है खान जीवन की
पोषित तुम्हे करती।
मृदा को नही बचाते हो।
है।
भूल मानव की,
सभी जीवो के जीवन का
छुपा है राज खजाने में
मिलाते क्यो मिलावट हो
लगे हो क्यो जीवन गवाने मे
लगाओ प्राकृतिक खादें
फसल अच्छी उगाने मे
स्वस्थ रखो मृदा को
ये जीवन तुम्हारा है
बने क्यो खुद के हो
दुश्मन यहां
अपने ही जीवन के
विश्व को रखना यदि स्वस्थ
खाद्य सुरक्षा जलवायु परिवर्तन
शमन गरीबी उन्मूलन
अगर विकास पथ पर आना है
जगाओ सारी दुनिया को
मृदा को अब बचाना है
क्षरण ना हो मृदा का अब
सबको पौधे लगाना है
खत्म हो निर्जल रेत यहां
मृदा उपजाऊ बनाना है
मृदा हो स्वस्थ
हम हो पुष्ट
अपना जीवन बचाना है
बडे कैसे उपज मेरी
सभी को चिंतन करना है।
धरा रहे सुरक्षित
प्रदूषण मुक्त करना है।
यही संकल्प हमारा है।
धरा मां को बचाना है।
हम सभी मिलकर खुशी के गीत गायेंगे।
धरा मां को बचाएंगे
वो मेरे सामने बैठी है, मुझे ख़्वाब लग रही है।
यहाँ गुल ही गुल खिले हैं, वो गुलाब लग रही है।
वो कितनी खूबसूरत है, उसको खबर नहीं है।
मुझको तो खूबसूरत, वो बेहिसाब लग रही है।
उसकी नशीली आंखे, हाए मैं बहक रहा हूँ।
कोई उसे बता दो, वो शराब लग रही है।
यहां मेरी ज़िंदगी में, बस छाया है अंधेरा।
मेरी काली रातों में, वो माहताब लग रही है।
जो सवाल पूछता हूँ, मैं खुद से अकेले में।
मेरे हर सवालों का, वो जवाब लग रही है।
मेरी नज़र मिली जब, नज़रों से जाके उसकी।
तब से दिल की धड़कन, बेताब लग रही है।
मेरा दिल कह रहा है, उसको आज पढ़ लूँ।
मुझको वो शायर की, एक किताब लग रही है।
यहाँ गुल ही गुल खिले हैं, वो गुलाब लग रही है।
वो कितनी खूबसूरत है, उसको खबर नहीं है।
मुझको तो खूबसूरत, वो बेहिसाब लग रही है।
उसकी नशीली आंखे, हाए मैं बहक रहा हूँ।
कोई उसे बता दो, वो शराब लग रही है।
यहां मेरी ज़िंदगी में, बस छाया है अंधेरा।
मेरी काली रातों में, वो माहताब लग रही है।
जो सवाल पूछता हूँ, मैं खुद से अकेले में।
मेरे हर सवालों का, वो जवाब लग रही है।
मेरी नज़र मिली जब, नज़रों से जाके उसकी।
तब से दिल की धड़कन, बेताब लग रही है।
मेरा दिल कह रहा है, उसको आज पढ़ लूँ।
मुझको वो शायर की, एक किताब लग रही है।
कोई मिलने की वजह
वजह दे दो तुम,
रात दिन तड़पती हूं तुम्हारे लिए
मत रूठों इस कदर गिले शिकवे की वजह दे दो ना।
यूं खामोश होना तुम्हारा कही मार डाले ना मुझे ,दिल में छुपी हसरतो को कहिने की वजह दे दो ना।
नहीं भाती तुम्हारी बेरुखी,अब हमें, थोड़ी खुशियों की वजह, ढूंढो ना।
काश मेरे दिल में भी तेरे दिल के जैसा दिल होता, जितना तू बेखबर है,
मैं भी ऊतनी बेखबर होती है।
जाने क्यों सांसे आती तेरी सांसों से,मुझे भी जहां से जाने का हक दे दो ना ।
जुबां है ,फिर भी खामोसी से सब्र रखने का हक मुझे दे दो।
क्यों किए वादे तूने ,
उन्हे निभाने का हक मुझे दे दो ना।
इश्क़ में हद से बेहद
इंतज़ार कर ने लगे थे क्यूं दोनों ,
अब मिलने की वजह दे दो ना।
जीवन बीत रहा कसमकस मे।
अब ये बंदिशे खत्म करने की वजह दे दो ना।
भूल जाओ बो पल जिनसे रूठे है आप ,अब मानने की वजह दे दो ना
दर्द बहुत है दिल मे एक कॉल करने की वजह दे दो ना।
सीता त्रिवेदी
कोई मिलने की वजह दे दो तुम
रात दिन तड़पती हूं तुम्हारे लिए
मत रूठों इस कदर
गिले शिकवे की वजह दे दो ना
यूं खामोश होना तुम्हारा कही मार डाले ना मुझे
दिल में छुपी हसरतो को कहिने की वजह दे दो ना
नहीं भाती तुम्हारी बेरुखी अब हमें
थोड़ी खुशियों की वजह ढूंढो ना
काश मेरे दिल में भी तेरे दिल के जैसा दिल होता जितना तू बेखबर है मैं भी ऊतनी बेखबर होती
जाने क्यों सांसे आती तेरी सांसों से
मुझे भी जहां से जाने का हक दे दो ना
जुबां है फिर भी खामोसी से
सब्र रखने का हक मुझे दे दो तुम
क्यों किए वादे तूने
उन्हे निभाने का हक मुझे दे दो ना
इश्क़ में हद से बेहद इंतज़ार कर ने लगे थे क्यूं दोनों ,
अब मिलने की वजह दे दो ना
जीवन बीत रहा कसमकस मे
अब ये बंदिशे खत्म करने की वजह दे दो ना
भूल जाओ वो पल जिनसे रूठे है आप
अब मानने की वजह दे दो ना
दर्द बहुत है दिल मे एक कॉल करने की वजह दे दो ना।
!!बीते लम्हे पास नहीं आते!!
,बीते लम्हे हाथ नही आते।
जो फिर गुज़र जाते,।
बो वापस नहीं आते
बनालो अपना उनको,
फिर ये एहसास नहीं आते।
गुजरे हुए पल फिर हाथ नहीं आते।
रह जाते हैं एहसास ,
जो हर पल सताते हैं।।
जी लों इन लम्हों को जो वापस नहीं आते ।।।
मिली जो मुद्दत से चाहत,
ठुक राओ ,ना उसे,
फिर
ऐसी चाहत वापस नहीं
आती।
ओ ओ......
ये जिंदगी क्यों गुजार रहे हो।
सूनी , फिर ये बाहर के मौसम, वापस नहीं आते।
बीते लम्हे बापस नहीं आते।
कल मिले सकून और चैन ,
मत करो दिल से समझौता।
बीते हुए पल वापस नहीं आते।
जो मिला है तुमको रब की मर्जी है,फिर ये मौके वापस नहीं आते।
लगी आग तेरी मोहब्बत की
जले बदन ऐसे ,लम्हे नहीं आते।
मचलता आज तन और मन।
फिर ये प्यार के बादल वापस नहीं आते।
बरसने दो ,आज इनको,लगी है आग तन मन में बुझने दो ।।
ये प्यार के मौसम वापस नहीं आते।
ओ ओ .......
बताए कैसे
मन था परेशान बताए कैसे।
आप से मिला प्यार बताए कैसे।।
हर बात को हमनें , दर किनार किया।
आज की मधुर घटना बताएं कैसे।।
समय बदला बदली किस्मत बदले नज़ारे।
अब बदलते समय की बात बताऐं कैसे।
हर लम्हा जिसके बिन न बीते
बो राज बताएं कैसे।।।
उस को बिन देखे मछली सी तड़प। वो पल बताएं कैसे।
कैसे मिली प्रेम निगाहें।
बो मिलन बताएं कैसे।
बो प्रेम है उसका सबको बताएं कैसे।।
उसकी झलक न मिले खुद को जिंदा ना माने वो बताएं कैसे।।
उस पर हर एतवार प्यार
वो न मिले तो हो परेशान ।
दिल की धड़कन है वो बताए कैसे।।
उसके अरमा हो तुम ,अधूरी कहानी हो तुम ये बात
बताए कैसे।।
आप को लगता हम अपने नही।
मुझे नहीं लगता बताएं कैसे।
ये दस्ता कब शुरू हुई क्यू शुरू हुई राज पता ही नही तो बताएं कैसे।
जिंदगी ठहरी थी अब चले लगी
वो मंजिल है उसकी बताएं कैसे।।।
रूह कब बन गया है बो ।
उसको बताएं कैसे।।।
मन था परेशान बताए कैसे।
आप से मिला प्यार बताए कैसे।।
हर बात को हमनें , दर किनार किया है।
आज की मधुर घटना बताएं कैसे।।
समय बदला, बदली किस्मत, बदले नज़ारे।
अब बदलते समय की बात, बताऐं कैसे।
हर लम्हा जिसके बिन न बीते
वो राज बताएं कैसे।।।
उस को बिन देखे मछली सी तड़प।
वो पल बताएं कैसे।
कैसे मिली प्रेम निगाहें।
बो मिलन बताएं कैसे।
वो प्रेम है उसका सबको बताएं कैसे।।
उसकी झलक न मिले
खुद को जिंदा ना माने वो
बताएं कैसे।।
उस पर हर एतवार प्यार का
वो न मिले तो हो परेशान ।
दिल की धड़कन है वो
बताए कैसे।।
उसके अरमा हो तुम ,अधूरी कहानी हो तुम
ये बात बताए कैसे।।
आप को लगता हम अपने नही।
मुझे नहीं लगता बताएं कैसे।
ये दस्ता कब शुरू हुई क्यू शुरू हुई राज पता ही नही तो बताएं कैसे।
जिंदगी ठहरी थी अब चलने लगी
वो मंजिल है उसकी बताएं कैसे।।।
रूह कब बन गया है बो ।
उसको बताएं कैसे।।।
!!बीते लम्हे पास नहीं आते!!
,बीते लम्हे हाथ नही आते।
जो फिर गुज़र जाते,।
बो वापस नहीं आते
बनालो अपना उनको,
फिर ये एहसास नहीं आते।
गुजरे हुए पल फिर हाथ नहीं आते।
रह जाते हैं एहसास ,
जो हर पल सताते हैं।।
जी लों इन लम्हों को जो वापस नहीं आते ।।।
मिली जो मुद्दत से चाहत,
ठुक राओ ,ना उसे,
फिर
ऐसी चाहत वापस नहीं
आती।
ओ ओ......
ये जिंदगी क्यों गुजार रहे हो।
सूनी , फिर ये बाहर के मौसम, वापस नहीं आते।
बीते लम्हे बापस नहीं आते।
कल मिले सकून और चैन ,
मत करो दिल से समझौता।
बीते हुए पल वापस नहीं आते।
जो मिला है तुमको रब की मर्जी है,फिर ये मौके वापस नहीं आते।
लगी आग तेरी मोहब्बत की
जले बदन ऐसे ,लम्हे नहीं आते।
मचलता आज तन और मन।
फिर ये प्यार के बादल वापस नहीं आते।
बरसने दो ,आज इनको,लगी है आग तन मन में बुझने दो ।।
ये प्यार के मौसम वापस नहीं आते।
ओ ओ .......
बिषय-अधूरी ख्वाहिशें
कब पूरी होगी ख्वाहिसे
सारा जहां घूमी ।
मुकम्मल न हुई ख्वाहिशें।।
जिंदगी को मिली ,हर जगह मिली बंदिशें-ही-बंदिशें।।
जी रही ख्वाब मे ख्वासें।।
रिश्तों की दीवारों मैं दम तोड़तें ख्वाब,
चहारदीवारी में कैद होकर रह गई ख्वाइशें।
बचपन में माता-पिता समाज की बंदिशें यह करो वो करो
,ये बोलो मत बोलो , यहां जाओ बहा न जाओ,जीने की स्वतंत्र ख्वाबों में ही रह गई ख्वाइश से।।
जिसके साथ रिश्तों मे बंधी एक शांत सागर सा एक में लहिरों सी हलचल पल खुलकर जीने की अधूरी ख्वाहिशें ।।।
जिंदगी ठहर गई हम सफ़र पाकर भी, बच्चों के ही सपने पूरे कर की जिद्द अपने सपनों कि अधूरी ख्वाहिशे।।
मिला एक मीत जीवन में उसके साथ एक लम्हा बितानें की अधूरी ख्वाहिसें ।।
सारा जग घूमा फिर रहि गई ,अनकही अधूरी ख्वाइशे।।
धारा से अंबर सब देखने की ख्वाहिशे।।
खुशकिश्मत हम इतने ना थे
सब हसरतें पूरी होनें की ख्वाहिशें।।
किसी से क्यो उम्मीद थीं मुझें,
की ये हैं मेरा ,मगर ख्वाब में ही मेरी ख्वाहिशें।।
जीवन भरा उशूलो से क्यों उनका,
बनता तमाशा यहां किस से कहूं
अधूरी ख्वाइसे ।।।
अपने अरमानों को हर पल कुचलती जिंदगी।।
हद से जायदा तन्हाई खोती जिंदगी खवावो मैं आपनो को खोजती ख्वाहिशों।।
किस से कहूं अपना दर्द
दूर-दूर तक दिखता नहीं
कोई सपने पूरा करने बाला,
दिखता नहीं ख्वाब अधूरे ।
दम तोड़ती ख्वाईसे।।
सोचती हूं अपना कभी कभी हर ख्वाब करू पूरा ।।
बार बार मन विचलित करती ख्वाइसें ।।
मुझे
आभास है।
तुम भी रूठ जाओगे।
एक दिन
जानती हूं सब ।
पतझड़ की तरह
उन फूलों का खिलना।
भौरों के आते ही खुशबू।
अपने में समाहित हो जातें।।
बिछड़ने नहीं मिलते।
आसमां और धारा की तरह।
नहीं मिलते ।
मगर
एक दूजे के बिना नहीं कोई मुकाम
फिर भी इंतजार
करने वाले नहीं
कभी थकते।
इंतजार करते करते
किससे कहें ये दर्द और दास्तां।।
जब से मिली निगाहें।
दिल भरता ही नहीं।
विछड़ने के डर का।।
आभास जीने ही नहीं देता हैं।।
मन पीड़ा
आज थक गई हुं बहुत झूठे ।खोखले ,रिश्ते एक तरफा ,निभाते हुए।।
जो मगरूर है अपने मैं
मैं सब कुछ हूं।
जमकर दिल तोड़ते,
अपनो का,समझते आधुनिक
जमकर तमाशा बनाते रिश्तों का,।
लगता बो सही कर रहें।
एक दिन जरूर रोते है।
अपनो को रुलाने वाले।
रंगों से भरी दुनिया में
अपने को खोजती है,
अपनो के सामने,बेरंग ,बदरंग,
बना दिया अपनो को,
क्या मिली दौलत अपनो को,
नफ़रत बढ़ा दी ए दौलत ने
त्रस्त हो दिन रात पूछती है जिंदगी,।
क्यों
आंसू के घूंट पीकर रह गई जिंदगी,
अपनो के बीच ठगी सी,
क्यों रह गई जिंदगी।।
जीने की आशा छोड देती हूं
मगर कुछ और रिश्ते है जीवन के
जुबां है फिर भी चुप हैं,रिश्ते बचाने मैं।
आहों से सॉसें निकल जाती
बिलख बिलख कर रोती है
उफ तक न कह सकती है।
अपनों के लिये जीती है
अपना सर्वस्व निछावर करती
रही ना था उस का कोई मोल
पिघलती रहती मोम की बत्ती जैसा
आख़िर अकेली सब से दूर रह जाती हूं।
ममता से भरा जीवन बताऊं,
किसे अपनो में, ढूंढती
जीने का राह हर पल।।
देती है
किंतु अपने आपको पीड़ा देती हुईं भी
अपने रिश्तों को सजाती हूं।।
तुम्ही हो प्रीत मां
तुम्हें ही मेरी पूजा मां।
तुमसे तो प्यारा कोई दिखेना दूजा मां ।।
किस से कहुं मैं दिल की बात मां तेरे बिन नही कोई दूजा मां।।
मन की सारी ही बात, किस से कहूं मां कोई नहीं हमारा मां पकड़ो हाथ ओ मैया मैं मझधार में अत कई
रख दो मेरे सर पर हाथ, चैन मैं पाऊँ मां ओ मां.....
ओ मां बसी हो तुम ही तो , हर पल मन में दिल में,
आए खुशबू हर लम्हे मां तेरी ममता की।।
दर्श की प्यास बुझा दो मां ,
तू दर्श अपने दिखा दो मां
ओ मां ओ मां।।
व्यथित मन पे कुछ बूँद कृपा की बरसादे मां ,मां।।
सांसे तेरा ही नाम, पुकारे मां आजा मां, आजा मां,
मूरत तेरी ही सूरत , हृदय में रहती
मत मांगो इंसान से,
मांगो खाटू श्याम से।।
चढ़े बोझ जै संसार का जो मांगा इंसान से।।
थोडी सी जिसमें करी मदद ,
बातें करें हजार।।
बदले में ना किया कभी तो, मिलता नहीं सम्मान।।
इसीलिए कहती हूं।।
मत मांगो इंसान से, मांगो खाटू श्याम से।।
मंडप पर चढ़ना दौलत का खुमार, भूलता है, मानवता को।
समझ बैठा खुद को भगवान।।
इसलिए प्रेम से कहती हूं।।
जो,भी तुमको मांगना,
मांगो खाटू श्याम से।।
उपकारी ब्रह्मांड विधाता,
सारे संकट वही मिटता।।
भरत झोली खाली बिना एहसान के।।
इसलिए फिर कहती हूं,
मत मांगो इंसान से ,मांगो खाटू श्याम से।।
रोम रोम में श्याम हो, श्याम हो,, श्याम हो, श्याम हो, श्याम हो,
कलियुग के वरदान हो,ओ मेरे भगवान हो।।
ओ तीन बाड़धारी ,शीश के दानी आई शरण खाटू श्याम के।।
जय बोलो, खाटू श्याम की
जय बोलो खाटू श्याम की
जय बोलो खाटू श्याम की
जय बोलो खाटू श्याम की।।
कहा से बो आ गया जिंदगी
मैं ।
जिंदगी चली जा रही थी।
पता ही नही चला कब बो जिंदगी में समा गया बोआजनबी
का चेहरा खास बन गया।
उसके आने की आहट नहीं थी, मेरे जीवन मैं।
बिना आहट के ही बो आ गया।।
दिल नही था बो
अब दिल के बहुत करीब आ गया
कब प्यार पनप गया उसके लिए।
बो पल ढूंढ रही हूं मैं,
ना चाहते हुए भी जीवन का हिस्सा बनने लगा।
उसे देखना अच्छा लगने लगा
मुझसे एक पल दूर जाना भी मुझे खलने लगा ।।
अब तो सारा दिन उसी के साथ गुजरने लगा।
एक पल भी आखों से ओझल ,मुझे पल पल खालने लगा।
अब लगता हाथों की लकीरों को बदल दू।
और लड़ लू किस्मत से जंग
हर पल इन्तजार इंतजार रहि ता उस का जैसे बो हमारे लिए बना हो ।
अब नहीं है किसी हक ।
चुभन होती उसे किसी के साथ
भी एक पल देखकर।।
दर्पण देखू तो बस बो ही नजर आता।।
हसू तो उसकी हंसी और कुछ नही बो एक पल के लिए भी दिल से नहीं जाता।
जिंदा थी तो अब उसके लिए अब उसमे ही सारा जहां नजर आता।निगाहे खोजती हर पल उसे ही।
बो हटता नही एक पल भी।
इस कदर प्रेम में उससे किए जा रही।।
हरपल
उत्सुक रहती सांसे उस से मिलने को ढूँढ रही निश्चल,
पल-पल
हर खुशी बो मेरी क्यो बन गया।
उसकी रंगत का रंग मुझे चढ़ गया।
अन्नदाता इस दुनिया में क्यों रहता परेशान।
आज पूछूं में सबसे क्यों रहता परेशान रे ,
हे हे हे हे हे हे,,,,, इसके बिना ना चलता जीवन ,
दुखी धरा का भगवान रे।।
रात दिन में मेहनत करता,
क्यों नहीं मिल रहा कोई लाभ।।
कभी प्रकृति मार सहे, कभी आवारा पशुओं की।
कभी मिले न सही कीमत,
किससे कहें किसान अपने दर्द को।
सब देते झूठी दिलासा है, कोई तो बंधाये उसको आशा ।
उसके बिना चलता ना किसी का जीवन है,
दिन भर तपता नहीं निकलता कोई हल ।
मसीहा बनकर आया किसान महा संगठन जब,
जन-जन से बात की धरा के भगवान की।
मत करो आत्म हत्या हम सभी तुम्हारे हैं।
बात करेंगे चल कर सरकार से।।
हे हे हे........
क्यो दुश्मन बने धरा के भगवान के । क्यों अन्नदाता बैठे हैं सड़कों पर,
हम सब मिलकर प्रश्न करें,
वर्तमान सरकार
जय जवान और जय किसान के
नारे का फिर मिलकर सम्मान करें।
गांव गांव में घर-घर जाकर रोज रोजगार दिए
महिला पुरुष चेहरे पर मुस्कान दिए।
सिलाई मशीन बहनों को देखकर रोजी-रोटी के उपकार किये।
जिस बिटिया की हुई ना शादी उसके पीले हाथ किए।
किसान महा संगठन ने हजारों घर रोशन किये।।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर
नयनो मे बसाकर तुम
तस्वीर ना देखो।
तस्वीर नही है वो
तेरे दिल की हकीकत है।
सभल कर तू रहना
उन कातिल निगाहों से
हृदय मे बसाकर
लूट ना ले तुझको
नयनों मे बसाकर यूं तस्वीर ना देखो।
तू जगा रात रात भर
उसे पता है क्या
वो जगती है क्या
उससे पूछा है क्या
धडकता तेरा दिल जिसके लिए
मतलबी संसार किसको कहोगे अपना।
झूठे हैं सब रिश्ते नाते इस जग के मां ओ मां।
तू ही एक सहारा मां, किससे कहूं दिल की बातें ना कोई सुनता मां।।
तू ही तो साथी है माता के दर तेरा सांचा मां।।
खूब भटकली इस दुनिया में कोई मिलाना अपना मां।
सब उलझे अपनी उलझन में कोई किसी को सुलझाएं ना।
बड़ा जटिल दुनिया का मायाजाल है।
उस माया में घिरी पड़ी हूं ओ मां मेरी मां।।
तेरी माया के खेल निराले खेल निराले,
तोड़ दे सारे बंधन मां ओ मां ओ मां ओ मां ओ मां।
तेरी कृपा बिन हिले न पत्ता तू सब जाने मां।
आज बचा ले इस दुनिया से तू ही संभाले मां,
पूरी तरह से बुरी तरह से फंसी हुई हूं इस दुनिया में मां,ओ मां
कृपा करें जगदंबा भवानी मैं हूं तेरी बेटी मां,
भव सागर से तर जाऊंगी तू जो कृपा कर दे मां।।
तू दे दे शक्ति मां तू दे दे शक्ति मां
अन्नदाता इस दुनिया में क्यों रहता परेशान।
आज पूछूं में सबसे क्यों रहता परेशान रे ,
हे हे हे हे हे हे,,,,, इसके बिना ना चलता जीवन ,
दुखी धरा का भगवान रे।।
रात दिन में मेहनत करता,
क्यों नहीं मिल रहा कोई लाभ।।
कभी प्रकृति मार सहे, कभी आवारा पशुओं की।
कभी मिले न सही कीमत,
किससे कहें किसान अपने दर्द को।
सब देते झूठी दिलासा है, कोई तो बंधाये उसको आशा ।
उसके बिना चलता ना किसी का जीवन है,
दिन भर तपता नहीं निकलता कोई हल ।
मसीहा बनकर आया किसान महा संगठन जब,
जन-जन से बात की धरा के भगवान की।
मत करो आत्म हत्या हम सभी तुम्हारे हैं।
बात करेंगे चल कर सरकार से।।
हे हे हे........
क्यो दुश्मन बने धरा के भगवान के । क्यों अन्नदाता बैठे हैं सड़कों पर,
हम सब मिलकर प्रश्न करें,
वर्तमान सरकार
जय जवान और जय किसान के
नारे का फिर मिलकर सम्मान करें।
गांव गांव में घर-घर जाकर रोज रोजगार दिए
महिला पुरुष चेहरे पर मुस्कान दिए।
सिलाई मशीन बहनों को देखकर रोजी-रोटी के उपकार किये।
जिस बिटिया की हुई ना शादी उसके पीले हाथ किए।
किसान महा संगठन ने हजारों घर रोशन किये।।
कौन करे वफ़ा यहां
किसको कहूं अपना यहां।
दर्द देते सब यहां,
जग रही जिसके लिए में,रात के अंधेरे में, पूछूं आसमाँ के तारों से,
नींद नहीं आती कभी नैनो में, कौन जाकर पूछें, क्या हाल उनका भी है यह।।
कौन की वफ़ा यहां,
ना हम कह सके है,न वो कह सके, अपने इजहार के किस्से, सिर्फ किस्से ,
अनकही पहेली सी जिंदगी रह गई , उनको बाहों में सुलाने की तमन्ना तमन्ना रह गई।
मैं जिक्र करूं तो करु किससे
इस जमानेको हम दोनों गवारा नहीं।।
कभी झूठे वादे और कसमे खाते रहे वो,
प्यार का वास्ता देते रहे वो।
हम समझते रहे कि वह वफा हैं वो
बेवफाई हम से करते रहे।।
जो किसी के लिए वह तड़पते रहे।।
कौन भूल थी उनकी जो सजा पाते रहे।
मजनू जो बने वो उसके प्यार में लोग प्यार पे पत्थर बरसाते रहे
वह तन्हा अकेले ही रोते रहे।
किसने खाए पत्थर फिर उसके लिए।।
कोई तो बता प्यार की यह सजा क्यों।
प्यार बस में नहीं कुदरत की देन है।।।
इस जमाने को सजा देने का क्या हक है यहां।।
कैसे यकीन कर लूं अपनी किस्मत में।।
किस्मत पर यकीन करने वाले रोते रहे।।
अब ना रोना मुझे अपनी किस्मत पे है।।
अब पाना मुझे जो मेरा है
लिखूंगी अपनी ही तकदीर अपने हाथों से, अब रव पर भी मेरा भरोसा नहीं।।
सच्चा है या झूठा है यह पता तो नहीं।।
मैंने अपने लिए बिलखते देखा यहां।।
मैंने आशिकों को आवारा घूमते देखा यहां
कोई पगला ,कहे कोई दीवाना कहे।।
कोई किस्मत का मारा कहता उसे,
प्यार के लिए सब कर दिया कुर्बान ,
अंगारों पर चलते रहे है
नहीं बना मुझे ऐसा आशिक कोई, इस जमाने को आशिक जरूरत नहीं।।
मैं करूं वफा किसके लिए वो वफा की कीमत समझता नहीं।।
कोई तो समझे
कोई समझे उसे,
वो दीवाना बना।
वो दीवाना बना,
वो करे न वफा
वो क्यो इतना खफा
वफा सुनने को
तैयार ना,
आंसू उसके वहे,फिर भी ना कहे,
टूटा है इस कदर से वो,
मिलता नही है किनारा।
दिखाये सुंदर सपने प्यार के।।
प्यार के प्यार के।
प्यार मे जब डूबने लगा वो,
उसमे ही खोने लगा,रात दिन,रात दिन,
हां रात दिन,हां रात दिन,
एहसास ऐसे जगाये थे उसने,
रूह मे बसने लगा,
बसने लगा ,बसने लगा।।
कोई समझे उसे
वो दीवाना बना।।
हां दीवाना बना दीबाना बना।
घायल दिल पंक्षी सा तडपे।
पीडा सही ना जाये,
पीडा सही ना जाये।
न कोई बैध है,ना कोई दवा,
दर्द से आह भरे।।
क्यो वहलाती थी दिल मेरा,
मन मानी वो करे यादो से
बाते करता हू और लड पडता हू।
दिया दर्द उसने फिर भी ना माने।
मन माने, माने मन।
कोई तो समझे
कोई समझे उसे,
वो दीवाना बना।
वो दीवाना बना,
वो करे न वफा
क्यो इतनी खफा
वफा सुनने को
तैयार ना,
आंसू उसके वहे,फिर भी ना कहे,
टूटा है इस कदर से वो,
मिलता नही है, किनारा।
दिखाये सुंदर सपने प्यार के।।
प्यार के प्यार के।
प्यार मे जब डूबने लगा वो,
उस मे ही ,खोने लगा,रात दिन,रात दिन,
हां रात दिन,हां रात दिन,
एहसास ऐसे जगाये थे उसने,
रूह मे बसने लगा,वो
बसने लगा ,बसने लगा।।
कोई समझे उसे
वो दीवाना बना।।
हां दीवाना बना दीबाना बना।
घायल दिल पंक्षी सा तडपे।
पीड़ा सही ना जाये,
पीड़ा सही ना जाये।
न कोई बैध है,ना कोई दवा,
दर्द से आह भरे।।
क्यो वहलाती थी दिल मेरा,
मन मानी वो करे यादो से
बाते करता हूं ।और लड़ पडता हू।
दिया दर्द उसने फिर भी ना माने।
मन माने, माने मन,मेरा मन ।।।
कैसे करूं तेरा ध्यान,
ओ भोले बाबा शिव शंकर।
मेरी सुनलो बिनती आज,
ओ भोले बाबा शिव शंकर।
तन ,मन व्यथित हैं आज,
ओ भोले बाबा शिव शंकर।
कब से खड़ी हूं,तेरे दर पे बाबा,
है, दर्शन की आस बाबा।
शंकर हो संकट के नाशक,
मेरी बिपदा हरो तुम आज।
ओ भोले बाबा शिवशंकर ,
तुम्ही सहारा,तुम्ही किनारा,
तुम पर ही विश्वास ,ओ
भोले बाबा शिवशंकर।
ना मुझमें शक्ति, ना मुझमें भक्ति,
ना वेदों का ज्ञान ,दंभ भरा है ,
इस जीवन में,इस को मिटा दो,
प्रभु आज ओ भोले बाबा शिवशंकर, कैसे करूं तेरा ध्यान, ओ, भोले बाबा शिवशंकर।
सीता त्रिवेदी, शाहजहांपुर
स्वरचित भजन
मेरी माटी ,मेरा देश,
जिस माटी में जन्म लिया,
वह माटी नहीं ,मेरी मां है।।
जिसकी गोद में, हम सबका लालन पालन होता है।
जिस माटी में कृष्ण-राम, भीमा काजी, कमला नेहरू , अरविंद घोष, सरदार पटेल, भगत सिंह,अनसूया, सबका जीवन बीता है।
जहां वेद, पुराण ,कुरान ग्रंथों में गीता है।
रंग -रूप ,अलग-अलग, अलग-अलग भाषाएं अलग-अलग धर्म सभी के,
एक माला के हम सब मोती,
मां भारतीय के लाल ।
वीरों की यह वसुंधरा है,
कतरा ,कतरा मां मे समाया।
मैं इतराती अपने भाग्य पर,
इस धरा पर जन्म मैंने, पाया
जिस की गोदी में, हम सब का लालन-पालन होता है ।
पेड़-पौधे जीव -जंतु ।
सभी इसी में पलते हैं ।
सब की मां है,देश की माटी, खड़ा हिमालय इसी वजह से,
देता है यह संदेश ,
दुश्मन आना पाये,
कभी हमारे देश।
नदियां करती किलकोरे,
मां की गौरव गाथा से मैं हूं निशब्द।
जीवन का सब खेल तुम से चलता मां,।।
थकता जीवन का रथ तुम ही, सुलाती आंचल में मां
सुख -दुख दोनों की साथी,
मेरी माटी मां, तुझ पर मैं बलिहारी हूं।
सब तत्वों का भंडार तुम्हीं में, संसार तुम ही में समाया है,
मेरी माटी मेरा देश
तू ही मेरा साया है ।
,तू नहीं ,तो कुछ भी नहीं।
स्वरचित मौलिक , पंक्तियां सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर
आजाद की आजादी,
आजाद की आजादी को, सलाम करते हैं।
हर दिन तेरी कुर्बानी को याद करते हैं ।
कम उम्र में गौरो से लोहा ले गए, आजाद हंसते-हंसते चौदह वेत
सह गए ।
ऐसे मां सपूत को सलाम करते हैं। काकोरी में अंग्रेजों को सबक सिखा गए,
हम हैं सच्चे भारतीय बात बता गये ।
लाल की मौत का बदला गौरो, से ले गए,
हर जगह अपने वीरता के चर्चे कर गए ।
ऐसे क्रांतिवीर को सलाम करती हूं।
चिंगारी आजादी की हर दिल में जगा गए, अंग्रेजों को लोहे के,चने चबा गये।
देश के खातिर अपना कतरा, कतरा लगा गए ।
ऐसे क्रांतिवीर को सलाम करती हूं चौबीस बरस की जिंदगी में, आजादी का मतलब सिखा गए, हर भारतीय के दिल में एक जज्बा जगा गए ।
ऐसे आजाद वीर को हम याद करते हैं।
हम सलाम करते हैं ।
सीता त्रिवेदी शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश
गुरु है ज्ञान का सागर कोई माने, या न माने , बिना गुरु के कभी कोई कहीं, ना मान पाता है,बिना गुरु के कभी ना, सच्चा ज्ञान पाता है,।
जीवन में अंधियारा जब,
काली घटा बन आता है
विचलित होता मन , मस्तिक, तनाव, तन से जब दिखता ,
रास्ता पाने का कोई मुझे साधन, नहीं दिखता है,।
जीवन में हार,ही हार,
मन के मंथन से,जब ,हल नहीं मिलता।
सिखाता युक्त गुरु ही हैं,
चहरे पर कान्ति लाता हैं।
हमारी हर समस्या को झट से,
सुलझाता है।
मां के रूप में गुरु हमको रास्ता बताती है ।
पिता के रूप में हम को संघर्ष सिखाता है,।
सही क्या है, गलत क्या है,
हमें अनुभव सिखाते हैं।
जीवन की हर डगर पर हमें रास्ता दिखाते है ।
बिना गुरु के कोई सफल नहीं बन पाता ।
गुरु है ज्ञान का सागर, कोई माने या न माने,।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर
फौजी भाई की पत्नियों को समर्पित किया रचना
तुमसे लगी है प्रीत पिया जी
तुमसे लगी है
प्रीत पिया जी
ना दिन कटता
ना रात कटे जी
आप तो बैठे वार्डर पर
मैं चंदा तारों में तुम्हें ढूंढती।
तुमसे लगी है प्रीति पिया जी
आज हैं करवा चौथ पिया जी
माथे पर बिंदी लाल सजी है
हाथों में चूड़ी खन खन बजती
सर पर चुनर लाल सजी हैं
और बालों में गजरा।
पैरों में पायल छन छन बाजे
करवा चौथ का व्रत करती हूं
आज निहारू चांद
चंद्र देव से करूं प्रार्थना
मेरा चांद की रक्षा करना।
इतनी विनती सुन लेना
यह मेरे चांद से तू कह देना
तेरी सजनी तेरी हैं
तू पहरा ऊपर देता
मन को शीतल करता है
मेरा पिया भी तेरी तरह ही देश की रक्षा करता है
मैं खुश हूं आज तुझे देख
तू तो देखा करता है।
हे चंद्र देव तुम रक्षा करना
तुम जग की रक्षा करते हो
वह देश की रक्षा करता है
अमर करो तुम प्रेम हमारा
सोलह श्रृंगार प्रीतम के लिए
यह व्रत मेरा स्वीकार करो।
तुम चंद्र देव
वह चांद हमारा
तुम ही तो हो एक सहारा हो
बॉर्डर पर सब की रक्षा करना
कभी नहीं घबराना
उसे जाकर कह दो चंद्रदेव
तुम जल्दी घर वापस आना।
सजनी तुम्हारी सजी हुई है
सिर्फ आप की खातिर
आप लाखों बहनों के
सुहाग की रक्षा करते हो।
गर्व मुझे होता है तुम पर
मैं तुम्हारी सजनी हूं
कभी नहीं घबराना रण में
तुम ही मेरा हो अभिमान।
तुम देश की शान हो
इस सजनी की जान हो
यह तन तुझ पर ही न्योछावर
,कभी नहीं घबराना
सीता त्रिवेदी
लेखक रचनाकार शाहजहांपुर।
आंखें सच बोलती है
बिना कहे सब कुछ पढ़ लेती हैं, आंखें
नजर और नजरिया दोनों,को देखती है आंखें,
फिर क्यों ना तू इन आंखों का करता विश्वास।
जीवन के सारे राज खोलती है ,आंखें
प्यार हो या नफरत।
खुशी हो या गम।
चेहरे को हर तरफ से आंकती ,है आंखें।
छुपाओ कितना भी इनसे , कुछ नहीं छुपता हैं।
हृदय की गति नापती आंखें।
जमी से आसमां तक देखती हैं आंखें।
कौन क्या है यह सब जानती है आंखें।।
फिर भी शांत रहती हैं आंखें।
प्यार में मुस्कुराये आंखें, दुःख में झील सी डब डबआऐ आंखें,
फिर भी चुप रहती,
सब सहती है आंखें।
प्रकृति की हर चीज का रस लेते हैं आंखें,
बिना कहे ही सब कुछ कह जाती आंखें,।
इसलिए सबसे प्यारी मुझे लगती तेरी आंखें,
बिना छल कपट के अपना बनाती है ,आंखें।
इसलिए जब कोई भी विछुड़ता बिना कहे सब कुछ कहती है आंखें,।
इसलिए रोती है आंखें
इसलिए पवित्र प्यार ढूढ़ लेती आंखें।
हर सच का आईना होती है
आंखें,
हर भेद को खोलती है आंखें।
सबसे प्यारी है तेरी आंखें
विन कहे सब कुछ बोलती है आंखें,
बात नहीं है यह बहुत पुरानी
गुरु गोविंद सिंह की सुनो कहानी
दशम गुरु सिखों के कहलाए
जिसने खालसा पंथ बनाएं
14 युद्ध लड़े मुगलों के सग
वीर योद्धा बहुत बड़े बो दानी
बात नहीं है यह बहुत पुरानी
धर्म की पत रखने को जिसने
पूरे परिवार का बलिदान किया
अलगीदार दशमेश बाजा वाले
जग में ऊंचा नाम किया
नहीं जग में सम कोई बलिदानी
बात नहीं है यह बहुत पुरानी
प्रेम सदाचार भाईचारे का जिसने
सदा ही है संदेश दिया
किया अहित जो अगर किसी ने
तो भी उसे प्रेम किया
भय काहू को देत नहीं नहीं भय मानत आनी
बात नहीं है यह बहुत पुरानी
सहनशीलता और मधुरता सौम्यता थी जिनकी पहचान
धर्म की खातिर त्याग दिया सब दे दी अपनी जान
धर्म का मार्ग न्याय का मार्ग यह थी उनकी वाणी
प्रेम की खातिर जिसने दी हर पल कुर्बानी
बात नहीं है यह बहुत पुरानी
: जवानी
लोगो अपनी जीवन कहानी
सुनाते हैं।
फिर जवानी के किस्से सुनाते हैं।
जिसके पीछे तुम दौड़ोगे वो पल दौड़ता , तुम्हें,आज बताते है
ये बताता, जीवन हैं।।
सादगी क्यों दिखावे की जिंदगी से डर रही है, तू जैसी है वैसी ही अच्छी है, ऐसा क्यों कर रही हैं तू।।
झूठ पर मत इतरा जवानी मेडीक्योर पेडीक्योर थोडें दिन
की निशानी ।
मत आको कम किसी को सब कृतिया प्रभू की निराली।
इसलिए मत इतराओ अपनी जवानी पर
जवानी के जोश में,मत होश खो जवानी में।
मत कमजोर समझ किसी को रावण जैसे विद्वान,न रहे भीम से बलशाली , दुर्योधन से अभिमानी।
इसलिए मानव को मानव समझ जवानी।
ये झूठ का खाका है संसार ये समझ तू जवानी इसलिए मत किसी को सता जवानी।
कभी तन, कभी भौतिक संसाधनों, कभी बनावटी सुंदरता, कभी धन का अभिमान,
मत कर जवानी।
कर्मों का फल बड़ा महान होता है,
इसलिए सोच समझकर कोई कदम बढ़ाओ इस जवानी में।।
दिन को सूरज होता है ,कौन जानता रात कहां होनी है।
नहीं है।
समय का चक्कर घूमते देर नहीं लगती, जिंदगी आम आदमी, और विशेष दोनों को नचाती है।
इसलिए जिंदगी सोच-समझकर जी तू जवानी।
इसलिए मत बन अभिमानी,मत दिल दुखा किसी का, सब देख रहा है ऊपर बैठा इस जग का स्वामी।।
इसलिए प्यार कर सभी से, मत कर ऐसी नादानी ,
जीवन है पल दो पल का आपस में मिल जुलकर खुशी से बिता जवानी।।
कभी
सोचकर देखिए भूल किससे नहीं होती यहां, फिर ये मस्त बीते गीं जवानी।
सादगी पूर्ण सही से जीवन बिता
जीवन का भरोसा नहीं है।।
बात दिल की मान कर तो देखो
सत्य पथ अपना कर देखों, मिलेगी हर मंजिल तुम्हें जरा संघर्ष करके देखो।।
व्यर्थ संशय व्यर्थ बातें,कुत्सित भाव त्याग कर देखों।
बनेंगे सभी अपने जरा अपना बनाकर देखो, दिल की बात मानकर देखो।
दिल कहता सच सदा कभी अपने को अन्दर झांक कर देखो।।
सत्य पथ साधु संत की संगत, अपनेको सन्मार्ग पर चलाकर देखों मिट जाएंगे सारे कष्ट
कभी अपना कर देखो।।
निति साथी मिले सही और गलत,
उनको उत्तम रहा दिखाकर देखो।
बिखरे शूल है धरा पर जरा फूलों को बिछाकर देखो।।
बन जाएंगे सभी अपने यहां जरा दिल से बनाकर देखो।।
कोई नीचा दिखाएं तो दिखाने दो,
झगड़े तो झगड़ने दो , अपना मन शांत बनाकर देखो मिट जाएंगे झगड़े सभी जरा दिल की मान कर देखो।।।
हां सच हैं कि दुनिया में अलग-अलग मत भेद भरे,
मगर अक्षर बही है शब्द बनाकर देखो, बन जाएंगे मनमीत जरा दिल मिलाकर देखो।।
सबको आगे रहने की आदत होती है, जहां पर
आप जहां हो अपने को प्रथम मानकर देखो ,कोई आगे न होगा कोई पीछे न होगा ।।
कभी यह दिल से मानकर देखो,
मिट जाएंगे सारे गिले-शिकवे यहां सभी को अपनी नजर से अपना बनाकर देखो।।
अपनी मन मर्जी से पहले, दूसरों की मर्जी जानकर देखो,
खुश हो जाएगा हर पल ,खुशनुमा झोली में खुशियां भर के देखों ,
खुशियां भर के देखो।।।।
कभी अपने नजरिए को बदल कर देखो।।
मिट जाएंगे सारे गिले-शिकवे सभी उसको अपनी नजर से देखों
उसकी मजबूरी समझकर देखो छोड़िए बेमतलब की तकरार को ,थोड़ा सा प्यार बांटकर देखो।।
थोड़ी दिल की बात मानकर देखो।
सारा जहां अपना हैं ।
ये जानकर देखो।।
मिलेगा बड़ा सकून दिल से मानकर देखो।।।।।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर से
तुमसे लगी है
प्रीत पिया जी
ना दिन कटता
ना रात कटे जी
आप तो बैठे वार्डर पर
मैं चंदा तारों में तुम्हें ढूंढती।
तुमसे लगी है प्रीति पिया जी
आज हैं करवा चौथ पिया जी
माथे पर बिंदी लाल सजी है
हाथों में चूड़ी खन खन बजती
सर पर चुनर लाल सजी हैं
और बालों में गजरा।
पैरों में पायल छन छन बाजे
करवा चौथ का व्रत करती हूं
आज निहारू चांद
चंद्र देव से करूं प्रार्थना
मेरा चांद की रक्षा करना।
इतनी विनती सुन लेना
यह मेरे चांद से तू कह देना
तेरी सजनी तेरी हैं
तू पहरा ऊपर देता
मन को शीतल करता है
मेरा पिया भी तेरी तरह ही देश की रक्षा करता है
मैं खुश हूं आज तुझे देख
तू तो देखा करता है।
हे चंद्र देव तुम रक्षा करना
तुम जग की रक्षा करते हो
वह देश की रक्षा करता है
अमर करो तुम प्रेम हमारा
सोलह श्रृंगार प्रीतम के लिए
यह व्रत मेरा स्वीकार करो।
तुम चंद्र देव
वह चांद हमारा
तुम ही तो हो एक सहारा हो
बॉर्डर पर सब की रक्षा करना
कभी नहीं घबराना
उसे जाकर कह दो चंद्रदेव
तुम जल्दी घर वापस आना।
सजनी तुम्हारी सजी हुई है
सिर्फ आप की खातिर
आप लाखों बहनों के
सुहाग की रक्षा करते हो।
गर्व मुझे होता है तुम पर
मैं तुम्हारी सजनी हूं
कभी नहीं घबराना रण में
तुम ही मेरा हो अभिमान।
तुम देश की शान हो
इस सजनी की जान हो
यह तन तुझ पर ही न्योछावर
,कभी नहीं घबराना
आंखें सच बोलती है
बिना कहे सब कुछ पढ़ लेती हैं, आंखें
नजर और नजरिया दोनों,को देखती है आंखें,
फिर क्यों ना तू इन आंखों का करता विश्वास।
जीवन के सारे राज खोलती है ,आंखें
प्यार हो या नफरत।
खुशी हो या गम।
चेहरे को हर तरफ से आंकती ,है आंखें।
छुपाओ कितना भी इनसे , कुछ नहीं छुपता हैं।
हृदय की गति नापती आंखें।
जमी से आसमां तक देखती हैं आंखें।
कौन क्या है यह सब जानती है आंखें।।
फिर भी शांत रहती हैं आंखें।
प्यार में मुस्कुराये आंखें, दुःख में झील सी डब डबआऐ आंखें,
फिर भी चुप रहती,
सब सहती है आंखें।
प्रकृति की हर चीज का रस लेते हैं आंखें,
बिना कहे ही सब कुछ कह जाती आंखें,।
इसलिए सबसे प्यारी मुझे लगती तेरी आंखें,
बिना छल कपट के अपना बनाती है ,आंखें।
इसलिए जब कोई भी विछुड़ता बिना कहे सब कुछ कहती है आंखें,।
इसलिए रोती है आंखें
इसलिए पवित्र प्यार ढूढ़ लेती आंखें।
हर सच का आईना होती है
आंखें,
हर भेद को खोलती है आंखें।
सबसे प्यारी है तेरी आंखें
विन कहे सब कुछ बोलती है आंखें,
कोई तो समझे
कोई समझे उसे,
वो दीवाना बना।
वो दीवाना बना,
वो करे न वफा
वो क्यो इतना खफा
वफा सुनने को
तैयार ना,
आंसू उसके वहे,फिर भी ना कहे,
टूटा है इस कदर से वो,
मिलता नही है किनारा।
दिखाये सुंदर सपने प्यार के।।
प्यार के प्यार के।
प्यार मे जब डूबने लगा वो,
उसमे ही खोने लगा,रात दिन,रात दिन,
हां रात दिन,हां रात दिन,
एहसास ऐसे जगाये थे उसने,
रूह मे बसने लगा,
बसने लगा ,बसने लगा।।
कोई समझे उसे
वो दीवाना बना।।
हां दीवाना बना दीबाना बना।
घायल दिल पंक्षी सा तडपे।
पीडा सही ना जाये,
पीडा सही ना जाये।
न कोई बैध है,ना कोई दवा,
दर्द से आह भरे।।
क्यो वहलाती थी दिल मेरा,
मन मानी वो करे यादो से
बाते करता हू और लड पडता हू।
दिया दर्द उसने फिर भी ना माने।
मन माने, माने मन।
कौन करे वफ़ा यहां
किसको कहूं अपना यहां।
दर्द देते सब यहां,
जग रही जिसके लिए में, रात के अंधेरे में, पूछूं आसमाँ के तारों से,
नींद नहीं आती कभी नैनो में, कौन जाकर पूछें, क्या हाल उनका भी है यह।।
कौन सी वफ़ा यहां,
ना हम कह सके है, न वो कह सके, अपने इजहार के किस्से, सिर्फ किस्से ,
अनकही पहेली सी जिंदगी रह गई, उनको बाहों में सुलाने की तमन्ना तमन्ना रह गई।
मैं जिक्र करूं तो करु किससे
इस जमाने को हम दोनों गवारा नहीं।।
कभी झूठे वादे और कसमे खाते रहे वो,
प्यार का वास्ता देते रहे वो।
हम समझते रहे कि वह वफा हैं वो
बेवफाई हम से करते रहे।।
जो किसी के लिए वह तड़पते रहे।।
कौन भूल थी उनकी जो सजा देते रहे।
मजनू जो बने वो उसके प्यार में लोग प्यार पे पत्थर बरसाते रहे,
वह तन्हा अकेले ही रोते रहे।
किसने खाए पत्थर फिर उसके लिए।।
कोई तो बता प्यार की यह सजा क्यों।
प्यार बस में नहीं कुदरत की देन है।।।
इस जमाने को सजा देने का क्या हक है यहां।।
कैसे यकीन कर लूं अपनी किस्मत में।।
किस्मत पर यकीन करने वाले रोते रहे।।
अब ना रोना मुझे अपनी किस्मत पे है।।
अब पाना मुझे जो मेरा है
लिखूंगी अपनी ही तकदीर अपने हाथों से, अब रव पर भी मेरा भरोसा नहीं।।
सच्चा है या झूठा है यह पता तो नहीं।।
मैंने अपने लिए बिलखते देखा यहां।।
मैंने आशिकों को आवारा घूमते देखा यहां, सड़कों पे ठोकरे खाते देखा।
कोई पगला ,कहे कोई दीवाना कहे।।
कोई किस्मत का मारा कहता उसे,
प्यार के लिए सब कर दिया कुर्बान ,
अंगारों पर चलते रहे है ।
नहीं बना मुझे ऐसा आशिक कोई, इस जमाने को आशिक जरूरत नहीं।।
मैं करूं वफा किसके लिए वो वफा की कीमत समझता नहीं।।
नयनो मे बसाकर तुम
तस्वीर ना देखो।
तस्वीर नही है वो
तेरे दिल की हकीकत है।
सभल कर तू रहना
उन कातिल निगाहों से
हृदय मे बसाकर
लूट ना ले तुझको
नयनों मे बसाकर यूं तस्वीर ना देखो।
तू जगा रात रात भर
उसे पता है क्या
वो जगती है क्या
उससे पूछा है क्या।
धडकता तेरा दिल जिसके लिए
वह धडका है क्या
तू दुखो को झेले वो
तुझे समझती क्या।
किस्मत की अनोखी
दास्ता उसको सुनाई क्या
नयनों मे बसाकर तू
तस्वीर न देखे उसकी।
तन्हा तडपता है
सबके होते हुए तू
क्यो उसकी वे वफाई को
समझता नही तू
नयनो मे बसाटर तुम
तस्वीर न देखो।
नयनो मे बसाकर तुम
तस्वीर ना देखो।
तस्वीर नही है वो
तेरे दिल की हकीकत है।
सभल कर तू रहना
उन कातिल निगाहों से
हृदय मे बसाकर
लूट ना ले तुझको
नयनों मे बसाकर यूं तस्वीर ना देखो।
तू जगा रात रात भर
उसे पता है क्या
वो जगती है क्या
उससे पूछा है क्या
धडकता तेरा दिल जिसके लिए
सब कुछ छोड कर भी।
अब पाऊ तो क्या पाऊं
दर्द दिल का दिखाऊँ
तो क्या दिखाऊँ
न समझ है वो
क्या समझाऊं
आशा वो ही तो है
जीवन की
रोशनी की किरण
उसे क्या दिखाऊं
अमीरो की वस्ती मे
मत जा तू अब
खोखले है
वो प्यार के लिए
उन्हे वही पसंद
जो उन्हे जरूरत
पूरी कर सके
तुम उनकी जरूरत नही हो
प्यार उनको नही
पैसे की भूख है
उनको
घुटना छोड दो
उन पलो के लिए
जो तुम्हारे नही है
नव निर्माण करो जीवन मे
सम्भालो खुद को
दुराचारों से बचो
सदाचारों को अपना लो तुम
तेरे भोलेपन से ज्यादा
अव कुछ चाहिए नही
मत हो निराश
अव किसी और के लिए
वो बात अलग
तू समझना नही चाहता
मेरी वेवसी का इम्तिहान ना है
फिर तुमसे मुलाकात हो ना हो
हर सांस हे तेरी
बस इसे इतना समझ ले
कहा से वो आ गया जिंदगी मैं।
जिंदगी चली जा रही थी।
पता ही नही चला कब वो जिंदगी में समा गया
वो आजनबी का चेहरा खास बन गया।
उसके आने की आहट नहीं थी, मेरे जीवन मैं।
बिना आहट के ही वो आ गया।।
दिल नही था वो
अब दिल के बहुत करीब आ गया
कब प्यार पनप गया उसके लिए।
वो पल ढूंढ रही हूं मैं,
ना चाहते हुए भी जीवन का हिस्सा बनने लगा।
उसे देखना अच्छा लगने लगा
मुझसे एक पल दूर जाना भी मुझे खलने लगा ।।
अब तो सारा दिन उसी के साथ गुजरने लगा।
एक पल भी आखों से हो ओझल
मुझे पल पल खालने लगा।
अब लगता हाथों की लकीरों को बदल दू।
और लड़ लू किस्मत से जंग
हर पल इंतजार रहता उस का
जैसे वो हमारे लिए बना हो ।
अब नहीं है किसी का हक ।
चुभन होती उसे किसी के साथ भी एक पल देखकर।।
दर्पण देखू तो बस वो ही नजर आता।।
हसू तो उसकी हंसी और कुछ नही
वो एक पल के लिए भी दिल से नहीं जाता।
जिंदा थी तो अब उसके लिए
अब उसमे ही सारा जहां नजर आता।
निगाहे खोजती हर पल उसे ही।
वो हटता नही एक पल भी।
इस कदर प्रेम में उससे किए जा रही।।
हरपल
उत्सुक रहती सांसे उस से मिलने को ढूँढ रही निश्चल,
पल-पल
हर खुशी बो मेरी क्यो बन गया।
उसकी रंगत का रंग मुझे चढ़ गया।
मन था परेशान बताए कैसे।
आप से मिला प्यार बताए कैसे।।
हर बात को हमनें , दर किनार किया है।
आज की मधुर घटना बताएं कैसे।।
समय बदला, बदली किस्मत, बदले नज़ारे।
अब बदलते समय की बात, बताऐं कैसे।
हर लम्हा जिसके बिन न बीते
वो राज बताएं कैसे।।।
उस को बिन देखे मछली सी तड़पू।
वो पल बताएं कैसे।
कैसे मिली है प्रेम निगाहें।
बो मिलन बताएं कैसे।
वो प्रेम है उसका और मेरा सबको बताएं कैसे।।
उसकी झलक न मिले
खुद को जिंदा ना माने वो
बताएं कैसे।।
उस पर हर एतवार प्यार का
वो न मिले तो हो परेशान ।
दिल की धड़कन है वो
बताए कैसे।।
उसके अरमा हो तुम ,अधूरी कहानी हो तुम
ये बात बताए कैसे।।
आप को लगता हम अपने नही।
मुझे नहीं लगता बताएं कैसे।
ये दस्ता कब शुरू हुई क्यू शुरू हुई राज पता ही नही तो बताएं कैसे।
जिंदगी ठहरी थी अब चलने लगी
वो मंजिल है उसकी बताएं कैसे।।।
रूह कब बन गया है बो ।
उसको बताएं कैसे।।।
कोई मिलने की वजह दे दो तुम
रात दिन तड़पती हूं तुम्हारे लिए
मत रूठों इस कदर
गिले शिकवे की वजह दे दो ना
यूं खामोश होना तुम्हारा कही मार डाले ना मुझे
दिल में छुपी हसरतो को कहिने की वजह दे दो ना
नहीं भाती तुम्हारी बेरुखी अब हमें
थोड़ी खुशियों की वजह ढूंढो ना
काश मेरे दिल में भी तेरे दिल के जैसा दिल होता जितना तू बेखबर है मैं भी ऊतनी बेखबर होती
जाने क्यों सांसे आती तेरी सांसों से
मुझे भी जहां से जाने का हक दे दो ना
जुबां है फिर भी खामोसी से
सब्र रखने का हक मुझे दे दो तुम
क्यों किए वादे तूने
उन्हे निभाने का हक मुझे दे दो ना
इश्क़ में हद से बेहद इंतज़ार कर ने लगे थे क्यूं दोनों ,
अब मिलने की वजह दे दो ना
जीवन बीत रहा कसमकस मे
अब ये बंदिशे खत्म करने की वजह दे दो ना
भूल जाओ वो पल जिनसे रूठे है आप
अब मानने की वजह दे दो ना
दर्द बहुत है दिल मे एक कॉल करने की वजह दे दो ना।
जय बोलो शं नो वरूण:
नील श्वेत बस जिन पेश शोभित
जो भारत मां के वीर सपूत
समुद्री मोर्चे पर शांति बनाए।
जय बोलो शं नो वरूण: ।।
अरब सागर बंगाल की खाड़ी
हिंद महासागर की बलिहारी ।
तटी की सुरक्षा करती नौ सेना
सदा बसत जल की धारा में।।
जय बोलो शं नो वरूण:।
थर थर कांपे घुसपैठी
देख जल के सख्त प्रहरी ।।
सभी सुरक्षित भारतीय जन है।
भारत मां के लाल
जल को रखते अपनी मुट्ठी में ।
आंधी तूफान से लड़ जाते ।
नहीं कभी घबराते हैं।
रोक सकी ना इनको लहरें
यह लहरों में बसे हैं ।
जो आये देश दुश्मन ,
कहर से बरसते हैं ।
नमन करू इन जावाजों को
जो सीना ताने खड़े हुए।
सुसज्जित पनडुब्बी जलियांन
और आधुनिक हथियारों से ।
अपने प्राणों को न्योछावर करने को रहते
जो हर पल तैयार।
जय बोलो शं नो वरूण:
गिले सिकबे को जीवन में हटा कर देखो
रिश्तों में कुछ हल्की नरमी लाकर देखो
नीरस मत बनाओ ज़िन्दगी को थोड़ा मुस्कराकर देखो।
मिली है बढ़ी मुस्किल से ये जिंदगी जरा परमार्थ कर के देखो।।।
मिलेगी सारी खुशियां तुम्हे जरा खुशी लुटाकर देखो।
हम ना भागे परछाइयों के पीछे
जरा सच्चाई समझ कर देखो।।
सुकून को आदत बनाकर देखो।
बनेंगे बेगाने भी यहां अपने ज़रा
दिल में बसाकर देखो।।
ज़िन्दगी यूँ ही न बीत जाये गिले शिकवों में कही।।
बेचैनियों को राहत बनाकर देखो।
बदल रहा वे वजह मौसम यहां।
जरा मौसम मे रिश्तों की लियाकत देखो।।
बेवजह मत कसो ताने किसी पर
उसकी वजह समझ कर देखो।।
सुलझ जायेगे सारे मसले यहां,
उसकी जगह खुद को रखकर देखो।।
मोहब्बत कुर्बानियां है लाखों देखो।
कभी किसी से मोहब्बत कर के देखो।।
: पग- पग नित संघर्षों से जिसमें नऐ आयाम गढ़े।
अपने विराट व्यक्तित्व से जिसने भारत में नये इतिहास लिखे।
थें,मजबूत इरादों के पक्के ,
राजनीति के घोर विरोधी भी रहते थे ,भौंचक्के,।
एक नहीं अनेकों क्षेत्रों में जिसने महारथ हासिल की।
साहित्यिक कलात्मक,
समृद्धि और
समरसता के सच्चे पालक थें।
पग पग निति संघर्षों से जिसने
नएआयाम गढ़े।
मीठी वाणी कोमल हृदय
शीतल मन ,और स्वच्छ
सरल विचार हर वर्ग से पायें
अनंत गहराइयों से प्यार ।।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक बनकर अविवाहित रहने का संकल्प लिया।
राष्ट्रधर्म पांचजन्य अर्जुनवीर राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत पत्रिकाओं के संपादन का कार्य किया।
देश के तीन बार प्रधानमंत्री फिर भी नहीं गुमान किया।
धोती कुर्ता खादी सदरी देशी परिधानों से प्यार किया।।
तीन- तीन भाषाओं का ज्ञाता फिर भी
हर सभा में हिंदी से उद्बोधन दिया।
राष्ट्रभाषा हिंदी को सम्मान दिया।
कारगिल की चोटी पर जब शत्रु ने घुसपैठ किया, मुंह तोड़ जवाब दिया दुश्मन को ,
कारगिल को कब्जा मुक्त किया।।
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना से चहुंदिश विकास किया,।
कावेरी जल विवादों का पल भर में समाधान किया।
संरचनात्मक ढांचे ,कार्य दल, सॉफ्टवेयर विकास प्रौद्योगिकी विद्युतीकरण आयोग का गठन किया। राष्ट्रीय राजमार्ग, हवाई अड्डे ,टेलीकॉम, बुनियादी ढांचों को मजबूत किया निर्धनता उन्मूलन का कार्य प्रारंभ किया अटल ऐसा नाम जगत में,
जिसका कोई दुश्मन ना,
वैचारिक मतभेद भले हो
किसी के मनभेद ना,
सच में अटल अटल थे।
अजातशत्रु भीष्म लोग इन्हें कहते थे।
पग पग से नित् संघर्षों से जिसने नये आयाम गढ़े।
पेड़े के दीवाने ठंडाई के शौकीन रहे मनमौजी स्वभाव ,चेहरे पर मीठी मुस्कान रहे।
भारत रत्न भले मिला को उनको बाद में।
वो पहले से ही हर दिल के भारत रत्न रहे।
हार जीत से नहीं घबराते,
जब जनसभा संबोधित करते उनके व्यक्तित्व को सुनने हिंदू ही नहीं बड़े-बड़े मुस्लिम जन
आते।
कहां तक लिखूं महिमा आपकी अपार रही आज भी आपकी याद हर दिल में बेशुमार रही हर दिल में बेशुमार रही ।।।
आज आप के जन्म दिवस को सुशासन दिवस में मनाते हैं।
सीता त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर
जन्म दिवस के पावन अवसर,
पर गीत गाते हैं , खुशी मनाते हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रणेता,आदर्श पुरुष महामना की उपाधि से विभूषित, भारत के आदर्श महापुरुषका जन्म दिवस मनाते हैं।
पंडित मदन मोहन मालवीय कहते हैं।।
पत्रकारिता वकालत समाज सेवा भारत माता की सेवा अपना जीवन अर्पण कर डाला।
जो स्वयं करते वही करते थी
विद्यार्थी को शिक्षित करना अपना धर्म बना डाला सत्य ब्रह्मचर्य व्यायाम आत्म त्याग देशभक्ति सदा समाहित थी।
सरल और मृदभाषी कभी रोज कड़ी भाषा जीवन में प्रयोग किया ना ऐसे कर्म ही उनका जीवन था। आन मान मर्यादा का जिसे हर पल ध्यान किया।
भारत माँ के लाड़ले आप
देश हित में सारे काम किये।
जब तक सूरज चाँद रहेगा।
मालवीय जी आपका नाम रहेगा।
जन्म पाया धरा पर सफल जीवन किया, बड़े-बड़े कामों से जग में ऊंचा नाम किया।।।।
अच्छा जगत में अपने शिक्षा जगत में अपने नए-नए आयाम दिए भारत नहीं पूरे विश्व की पहचान बनें।
गर्व करें सब भारत वासी, आप सा सपूत धरती मां ने पाया।
आज सिसकती, सीता भी
ऐसा लाल क्यों है गमायां ।।
आज कुछ कहते हैं
जीवन का कड़वा सच
सब बोलते समानता है,
हम पूछते कहा बो सच लिखते है।
आज भी लड़कियों को बोझ समझा जाता बो सच लिखते है।
बेटी को संतान नहीं पराया धन कहिते बो सच लिखते हैं।
बेटी ससुराल में परेशान शादी के बाद तो मां बाप पूछते नही मगर धीरे से कहते आपस मे, निपटो आप ,सच में पराया कर देते
वो अधरों का मौन लिखते हैं।।
भाई बहिन कहने को सब अपने है,नही चूकते ताने देने वो कड़वा
सच लिखते है।।
महिला आज भी है दिल बहलाने खिलौना वो सच लिखते है।।
सब की सेवा करे ,अपने हक में बोल दी तो कुचाल कुलटा जाने क्या क्या उपाधियां
हृदय बिदारक पीड़ा लिखते हैं।।
पुरुष काम करे तो महान सब का पेट पालक सब सेवा में लग जाते हैं ।
उसके आने का इंतजार सब बेसब्री से करते है।
महिला काम करे तो नक चढ़ी घमंडी साथ में घर के सारे काम करे फिर भी संसार कटाक्ष,उसी पर करे हमेशा अपने सपनो को कुचले चुप चाप सब साहिती
वो सच लिखते है।
रिश्तों के इस माया जाल में, अधिकतर दोष महिलाओं को ही दिया जाता वो सच लिखते हैं
पुरुष करे तो शान स्त्री करे बही तो ,सभी करे बदनाम वो समाज का कड़वा सच लिखती हूं।
मन विचलित है बहुत ।
लाखो है इसमें प्रश्न
थोड़े शब्दो से पूरा जहान लिखती हू।
ईश्वर से प्रार्थना करती हूं ,सच मैं
भेदभाव समाप्त खुश हाल करो।
मानव जीवन को।।
मन व्यथित हो फिर कभी ना ऐसा संसार बनाने की फरियाद लिखती हूं।
इस छोटे से जीवन की एक बड़ी उम्मीद लिखती हूं।
कोई छोटा नहीं होता है रिश्तो में बस सही से मर्यादा का अनुपालन हो एक दूसरे के लिए, यही छोटी सी भेंट लिखती हूं।
मौसम सुहाना है,दिल ये दीवाना है।
तू पास नही मेरे,
यही अफसाना है।
ओ साथियां, ओ साथियां
तेरे विन जी ना लगे, साथियां
आजा रे,आजा रे,आजा रे। साथिया ओ ..साथिया.. ओ
कोयल सी कुहकू में
मछली सी तडपू में
तुझे मिलन की आस
ओ साथियां, ओ साथियां।।
मेरा बुरा हाल है।
जो मेरा हाल क्या,तेरा भी ऐसा है।
ओ साथियां, ओ सांथिया।
मौसम बेईमान है,जीने नही देता
तन लेता अगडाई है,
ओ साथिया ओ साथिया।।।
आजा रे आजा रे हरजाई हर
तेरे बदन की खुशबू,
मेरे बदन मेरे बदन से आती है, तेरे मिलने की प्यास अब तो सही जाती है.....ओ साथिया ओ साथिया
ओ मेरे मन मीत रे।
ओ मेरे गीत
मिली जो निगाहे उनकी निगाहों से
तो कुछ यूं सिलसिले हो गए
इरादा तो सिर्फ दोस्ती का था
मगर हम इश्क के घायल हो गए।
क्या उन्हे पता है,आप जिनसे निगाहें मिला बैठे
आप तो मोहब्बत कर बैठे
या उनको भी मोहब्बत तुम से है।
मोहब्बत की हकीकत जाने बगैर
क्यो बेबफा से मोहब्बत कर बैठे
अरे उसकी फिदरत है दिल लगाना और तोड देना
क्यो बेबफा से मोहब्बत कर बैठे।
तुम्हें तडपना ना है तो
तडपो यहां उसको तडपने की आदत ना।
बनकर मेंरी रूह बो मुझे सताती है फिर तन्हा मुझको क्यो छोड़ जाती है।।
दिल ही दिल में हल्के बोल जाती है तू ठहर जरा मैं लौट के आती हूं।
इस तरह से मुझे हर पल सताती हैं है क्यों करती है वह बेवफ़ाई फिर समझ ना आता है।।
मैं सुकून की चाह में उसके पीछे भटक रहा हूं।।
और अब जीने की तमन्ना ना मुझे मर मर के जी रहा हूं।