कबीर जयंती मनाओ,
सहर्ष,महापुरुष महान
दोहा-संग्रह से पहचान
जात-पात में न भेद।।
सादगीपूर्ण जीवन,था,
उच्च थे विचार,चेतना
हिन्दी,प्राकृत,उर्दू,में
पकड़ था जबरदस्त।।
संन्कृत,अपभ्रंशका भी
किया प्रयोग रचनाकार
उनके दोहा,उच्चकोटि
के थे,आज भी सटिक।।
गुरू का बढ़ाया मान ,
गोविंद से ऊंचा स्थान,
दया रखें प्राणी मात्र री
यही श्रेष्ठ उपदेश,मुरार।।
विद्यार्थीवर्ग करें शोध
जो लिखा था सुजान
उच्चतम भावार्थ दोहे
जो लिखा कबीरा,मानी।।
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प्रेषिका
श्रीमती अरुणा अग्रवाल
लोरमी, जिला मुंगेली, छ, ग,