- अल्हागंज। निजी स्कूलों का नया शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया है। भले ही शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद स्कूलों में किताबें नहीं बिक रही हो लेकिन कस्बे के हर स्कूल की दुकानें तय हैं। निजी स्कूलों की हर वर्ष बढ़ती फीस और महंगी होती किताबों का बोझ अभिभावकों का तनाव बढ़ा रहा है। प्राइवेट स्कूलों की किताबों के दाम आसमान छू रहे हैं, यह शिक्षा के व्यापार की ओर इशारा कर रहे हैं।
नया सत्र शुरू होते ही स्कूल हर वर्ष 5 से 10 प्रतिशत फीस बढ़ा देते हैं। हर वर्ष बच्चों को नई किताबें खरीदनी पड़ती हैं, क्योंकि निजी स्कूल हर वर्ष बच्चों से नई किताबें मंगवाते हैं। कई अभिभावकों ने बताया कि सभी स्कूलों ने दुकानें तय कर रखी है। वही जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार छूट के हवाले से किताबों पर अधिक प्रिंट हो गये है। पहली कक्षा के सेट की बात करे तो वह एक हजार से दो हजार रुपये तक का है। यूनिफार्म और जूतों के दाम अधिक है और वह भी स्कूल द्वारा बताई गई दुकानों पर ही मिल रहे हैं। तथा टाई बेल्ट आई कार्ड फीस कार्ड आदि सहित तमाम अन्य चार्जर लग रहे है। ऐसे में अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों की मनमानी पर रोक लगनी चाहिए।
अन्य दुकानों पर नहीं मिल रही किताबें
स्कूल प्रवंधक सेट लाकर मनमानी किताबों की दुकान पर रख रहे है। महंगी होने की वजह से दूसरी दुकानों पर तलाशा जाए तो कही वो किताबे नही मिलेगी वापस वहीं लौटकर आना पड़ेगा। कॉपी किताबों के साथ अन्य सामान पर भी दोगुने दाम पर मिल रहे हैं।