आया ईद उल फ़ित्र,,आज ईद है, आज ईद है,
खुशियों का बाहार छाया है,,
मुबारकां दूं यां दुनिया भर की खुशियाँ दूं,,
तुम कहो तो ईद का चाँद दे दूं.....
लबों पे हंसी का पैगाम दूं,
दिल में रहने की अनुमति दूं...
प्यार नहीं खुशनुमा सा ईद का तोहफा दूं,
इश्क ऐ-इश्कदा इज्जाजत दूं,,
वफ़ा ऐ-गम को मिटा दूं,
तुम कहो तो ईद का चाँद दे दूं.....
वफ़ा ऐ दामन से थाम लूँ,
कहो तो, क्यूँ न चुपके दीदार दूं,
इजाजत ऐ-नुमाइश की फितूर दूं,,
तेरे जिगर दा टुकड़ा बना फिरूं,,,
मुश्किल में तेरा साथ वफ़ा का दस्तूर दूं,,,
तुम कहो तो ईद का चाँद दे दूं.....
स्वरचित, मौलिक रचना, अप्रकाशित
कवयित्री, लेखिका
दुर्वा दुर्गेश वारीक 'गोदावरी' गोवा
मुबारकां दूं यां दुनिया भर की खुशियाँ दूं,, तुम कहो तो ईद का चाँद दे दूं.
Monday, March 31, 2025
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