नये वर्ष की नव नव बेला,नव नव कलियां खिली रहें ।
नया वर्ष मंगलमय सबको ,
नव नव खुशियां मिली रहें ।
सत्य सनातन संवत्सर से ,
चैत्र मास प्रतिपदा कहो ।
फसलें वायु प्रकाश नया सब ,
नव चेतन सा प्राण गहो ।
मनसा वाचा और कर्मणा ,
मानवता हो पग पग में ।
देश प्रेम वा भाईचारा,
मानव मन के रग-रग में ।
संयम सेवा सह संस्कार से ,
संपूर्ण जगत संपन्न रहे ।
शहर ग्राम की हर बस्ती में ,
सुख शांति धन धान्य लहे ।
बालक वृद्ध बहू बेटी सब ,
घर व बाहर संरक्षित हों ।
न्याय परायण जन प्रिय जन जन ,
सबको सुलभ उपस्थित हों ।
ऊंच-नीच ना भेद किसी में ,
जात पांत ना हो चक्कर ।
"अनजान" स मानव मानव हों,
देश प्रेम की हो शक्कर ।
तभी हमारा नया वर्ष यह ,
तन गंगा सा पावन हो ।
कर्म शुभाशुभ होय हमारा ,
हर दिन माह सुहावन हो ।।
स्वरचित व मौलिक
डॉ. आर. बी. पटेल "अनजान "
शिक्षक व साहित्यकार
नये वर्ष की नव नव बेला, नव नव कलियां खिली रहें ।
Sunday, March 30, 2025
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