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प्रथम सोमवार को हजारों श्रद्धालुओं ने सिध्देश्वरनाथ महादेव मंदिर में किया जलाभिषेक

 

  •  शाहजहांपुर-(अमित वाजपेयी/शिवम गुप्ता)। पवित्र श्रावण मास के   प्रथम सोमवार को सिध्देश्वरनाथ महादेव मंदिर बिवियापुर में हजारों भक्तों ने जला अभिषेक कर पूजा अर्चना की। किया। 
क्षेत्र में श्रद्धालुओं की आस्था व भक्ति का केंद्र सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर विवियापुर  अल्हागंज से पांच किलोमीटर दूर धानी नगला गांव के पास स्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर विवियापुर श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है।  भक्तों का अटूट विश्वास है कि जिस किसी भी इंसान ने यहां आकर बाबा भोलेनाथ से कामना की उसकी मनोकामना जरूर पूरी हुई। प्रत्येक तेरस और सोमवार को यहां काफी भीड़ रहती है। श्रावण मास की तैयारी पहले से ही चल रही थी। प्रशासन ने भी अपनी तैयारी कर रखी थी। जिससे आने वालों भक्तों को कोई परेशानी ना हो। पवित्र श्रावण मास के प्रथम सोमवार को सुबह 4:00 बजे से ही भक्त आने लगे थे बम बम भोले नाथ के जयकारा लगा रहे थे श्रद्धालुओं ने अपनी मन्नत मांग कर जलाभिषेक किया ।

--पांडव कालीन है बाबा सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर--

बताते चले की धानी नगला गांव के पास बाबा सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर पांडव कालीन है मान्यता है कि भ्रमण करते दौरान पांडव चकराछा गांव में रुके थे। उसके बाद यहां आए थे कहा जाता है कि पांडवों ने ही इस शिवलिंग की स्थापना की थी चंद कदम दूरी पर स्थित हडहा गांव जहां हिडिम्ब नामक राक्षस रहता था भीम सेन ने उसका बध कर उसकी बहन से विवाह कर लिया था बताते हैं कि पांडव उसके बाद फर्रुखाबाद के पंडा बाग गए यहां भी शिवलिंग को स्थापित किया जो आज भी पांडेश्वर नाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध है फर्रुखाबाद के बाद कंपिल क्षेत्र में गए जो उसे समय राजा द्रुपद की राजधानी थी यहीं अर्जुन ने ब्राह्मण वेश में मछली की आंख का भेदन कर द्रौपदी को हासिल किया था। यहां 31 वर्ष पहले घना जंगल हुआ करता था अल्लाहगंज के  भक्त ओम प्रकाश मिश्रा ने इस शिवलिंग के ऊपर भव्य मंदिर निर्माण कराया मंदिर के पुजारी के मुताबिक आसपास के ग्रामीणों ने शिवलिंग को दूसरी जगह ले जाने का भी काफी प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुए इतना ही नहीं शिवलिंग के नीचे खुदाई भी की गई पानी का ही स्रोत निकला आखिर लोगों ने शिवलिंग को मूल स्थान पर ही रहने दिया वर्ष 2001 में पर्यटन विभाग ने सौंदर्यीकरण कराया मंदिर के दक्षिण एक पक्के तालाब का निर्माण भी कराया गया मुख्य मन्दिर के पीछे पूरव की और गणेश जी का मंदिर और श्री सीताराम जी का मंदिर है पास ही हनुमान जी आदिशक्ति मां दुर्गा जी एवं राधे कृष्ण जी का मंदिर स्थापित है। पार्टन विभाग ने मंदिर परिसर की 40 बीघा भूमि के चारों ओर ऊंची ऊंची चार दिवारी का भी निर्माण सुंदरीकरण कराया मंदिर परिसर में धर्मशाला विशाल हॉल प्रशासनिक भवन भी निर्मित किए गए पुजारी ने बताया कि सावन भर यहां मेला लगता है दूर दराज तक के लोग यहां आकर भगवान भोलेनाथ जी की पूजा अर्चना करते हैं। आधे फाल्गुन के बाद भव्य मेला लगता है जिसमें हजारों श्रद्धालु वक्त विभिन्न जनपदों से आते हैं पांडव कालीन इस देवालय पर आकर जो भी भगवान भोले शंकर जी से जो मांगता है उसकी मनोकामना जरुर पूरी होती है मनोकामना पूरी होने के बाद भक्तों की ओर से मंदिर में बांधे गए हजारों घंटे इस बात की तस्दीक करते है।

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