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पौधा एक लगाऊं मैं भी, उसको पालूं बालक -सा।

 


नन्हा पौधा

पौधा एक लगाऊं मैं भी,

उसको पालूं बालक -सा।

भोर - साझ ,उसमे पानी लगाऊं।

पानी लगाऊं ,उसे लोरी सुनाऊं।

खरपतवार से उसको बचाऊं,

जैविक खाद फिर उस में लगाऊं।

अपने पौधे को मैं स्वस्थ रखूंगी।

जीवन मूल्य समर्पित करूंगी।

पालू बालक सा।।

जब मेरा पौधा बड़ा हो जाएगा,

छाया भी देगा फल भी देगा,

औषधि बनकर जख्म भर देगा,

साथ में जीवन बचाएंगा।।

पौधा एक लगाऊं मैं भी,

पालूं बालक सा,

जीव जंतुओं का आशियाना बन जाएगा। 

सूर्य की गर्मी से सबको बचाएगा।

सबको बचाएगा, हां सबको बचाएगा।

फिर से गौरैया मेरे आंगन में आएगी, 

आंगन आएगी गीत को सुनाएंगी,

                                                           जीते कृष्ण की बसंत फिर आएगा,

                                                        बसंती फिर आएगा पानी बरसाएंगा आएंगा।

पानी बरसेगा, पानी बरसेगा,

सारा जग खुशियां फिर पाएगा।

प्यासी धरा की प्यासी बुझेगी,

सारे, जग का ताप मिट जाएगा।

जीवन दाता वह कहलाएगा।।

पौधा एक लगाऊं मैं भी,

उसको पालूं बालक-सा।।

 


सीता सर्वेश त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर

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