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मां दुर्गे का छटा रूप माता कात्यायनी कहलाई

 

मां दुर्गे का छटा रूप माता कात्यायनी कहलाई।

महर्षि कात्यायन के घर पुत्री बनकर आई।


बाएं हाथ तलवार सोहे,पुष्प कमल सुहाई।

सिंह की करे सवारी,शक्ति गज़ब दिखाई।


दीन दुखियों की करती रक्षा,भक्तों की सदा सहाई।

महिषासुर का वध कर,महिषासुर मर्दनी कहलाई।


जायफल अतिप्रिय,शहद मां को भाए।

श्रद्धापूर्वक जो भोग लगाए,सुख समृद्धि पाए।


बैजनाथ धाम में माता,भक्तों को हर्षाए।

हर रोग से मुक्ति दे,काया स्वस्थ बनाए।


सच्चे मन से भक्ति कर,श्रध्दा सुमन जो चढ़ाए।

शक्ति संयम और शांति ,जीवन में वह पाए।


माता का सोलह श्रृंगार कर,पूजन में जो ध्यान लगाए।

माता से सौभाग्य का ,वरदान वह पाए।


आओ मिलकर करें भक्ति ,

माता के चरणों में झुकाएं शीश।

सुखी जीवन निरोगी काया का ,

मां कात्यायनी दे सबको आशीष।।


ममता साहू कांकेर छत्तीसगढ़।

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