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पौध रोपते फोटो खिंचाई फिर पौधे पर ध्यान नहीं।।

 



पौध रोपते फोटो खिंचाई

फिर पौधे पर ध्यान नहीं।।

एक पौधे को पकड़ा दस-दस  जनों ने,हां दस-दस जनों ने, जिम्मेदारी एक ना निभाई सिर्फ फोटो खिंचाई।।

फोटो खींचने से क्या पेड़ बचत हैं।।

बिना पेड़ क्या होता है जीवन।

उसकी ही करनी पाई सिर्फ फोटो खिंचाई।।

कंक्रीट के महल ऊंचे , ऊंचे बनाएं, उसमें भी कृत्रिम पौधे लगाए एसी लगाकर फिर इतराएं 

अब क्यों रोते ताप देखकर।

है सबकी असामत आई,

सिर्फ फोटो खिंचाई।।

पौध रोपत फोटो खिंचाई फिर पौधे पर ध्यान नहीं।।

कर्म के फल तुम ही पाओगे।

पर्यावरण की करते दुहाई।

 सिर्फ फोटो खिंचाई।।

भाषण लंबे-लंबे मंच पर सुनाएं हर वर्ष पौधे, ग्राम पंचायत में लगाएं,  लंबे-लंबे बजट देखो डाटा में आएं।

पौधे कहां वह खबर नहीं पायें

सिर्फ फोटो खिंचाई।।

पौधे लगाकर खबर ली नहीं,

पूछा गया तो फिर क्या है बताया,,

कभी सुख का बहाना कभी बाढ़ को बताया कभी बकरी का बहाना बताया,

सिर्फ फोटो खिंचाई,

लगे हुए पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलवाई।

अपनी मौत तुमने खुद है बुलाई।।

क्यों रो रहे हो अब मेरे भाई।।

सिर्फ फोटों खिंचाई।

सुधर जाओ अभी कुछ नहीं बिगड़ा, पौधे लगा कर धरा को सजाओ।

ये जीवन आधार सभी का, 

वृक्ष लगाकर पालन पोषण करो, 

अपनी जिम्मेदारी भी निभाओ ,

वृक्ष जीवन का आधार यहीहैं,

अपना कुछ दायित्व निभाओ।

पौध रोपते फोटो खिंचाई

फिर पौधे पर ध्यान नहीं।।।

सीता सर्वेश त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर।

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