भक्त की पीरमुझसे छीनी मेरी तस्वीर,बताओ कान्हा !काहें लिखी ऐसी तकदीर।।जिंदगी की राह कठिन क्यों की ?पथ जब चलूं तो, जाय पग फिसली।काहें बिछाई ऐसी कंकरीट।बताओ कान्हा ?काहें लिखी ऐसी तकदीर।।मंजिल मुख मोड़, मेरे मार्ग से खड़ी।छूने जब चली तो, पड़ी हाथ हथकड़ी।मुझे काहें बांधी ऐसी जंजीर।बताओ कान्हा ?काहें लिखी ऐसी तकदीर।।प्रेम पूज्य पंथ की मैं प्रहरी,ना समझे ये निष्ठुर नगरी।ठगी गई मैं सरेआम सगरी।कहां दूं मैं अपनी तहरीर।बताओ कान्हा ?काहें लिखी ऐसी तकदीर।।स्वरचित_मौलिक_अर्चना आनंद गाजीपुर उत्तर प्रदेश
भक्त की पीर
Wednesday, December 04, 2024
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