- सोमवार 30 मई 2022 को ज्येष्ठ माह की अमावस्या है, इसी तिथि पर शनि प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। शनि ग्रह इस समय कुंभ राशि में है। ये शनि के स्वामित्व वाली राशि है। 2022 से पहले कुंभ राशि में शनि और सोमवार के योग में शनि जयंती 1995 में आई थी। उस साल शनि जन्मोत्सव 29 मई 1995 को मनाया गया था।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक कुंभ राशि में शनि बलवान रहता है। शनि सूर्य के पूत्र हैं। सूर्य की पत्नि छाया के पुत्र होने की वजह से इनका रंग काला है और शनि देव हमेशा नीले वस्त्र धारण करते है। मनु, यमराज इनके भाई और यमुना जी इनकी बहन हैं।
शनि की साढ़ेसाती और ढय्या
शनि सूर्य से सदा शत्रुता रखते हैं। बुध, शुक्र शनि के मित्र हैं। गुरु सम है और चंद्र-मंगल भी शत्रु हैं। शनि तुला राशि में उच्च का रहता है और मेष राशि में नीच का होता है।
मकर-कुंभ राशि का यह स्वामी है। शनि जिस राशि में रहता है, उस राशि पर, उसके आगे और पीछे वाली राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहती है।
शनि अभी कुंभ राशि में है तो कुंभ से उसके पीछे की मकर और कुंभ से आगे की मीन राशि में साढ़ेसाती चल रही है।
शनि जिस राशि में है, वहां से षष्ठम राशि में और दसवीं राशि में शनि का ढय्या रहता है। इस समय कर्क और वृश्चिक राशि में शनि का ढय्या चल रहा है।
शनि की प्रसन्नता के लिए दान जरूर करें
शनि की प्रसन्नता के लिए गरीबों को अन्न, कपड़े, जूते-चप्पल, तेल, उड़द, काले तिल, लोहा के बर्तन, काली गाय, काले फूल, नीलम का दान करना चाहिए।
शनि जयंती पर संकल्प लें कि हमारी वजह से कभी किसी को कोई दुख न हो।
इस दिन हनुमान जी की पूजा भी जरूर करें। जो लोग माता-पिता की सेवा करते हैं, उन्हें शनि की कृपा मिलती है।