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हुसैन की याद में निकले आंसू, गम के साथ कर्बला मे दफन हुए 14 ताजिया

 

आजाद नगर से कर्बला तक गूंजा..या हुसैन, या हुसैन--

---हर चौराहे पर पुलिस की रही चाक चौबंद व्यवस्था--

  • अल्हागंज-7 जुलाई  2025 (अमित वाजपेयी). मोहर्रम का जुलूस रविवार से सोमवार शाम तक कस्बें में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच निकाला गया। ताजियों के आगे नवयुवकों की टोली से या हुसैन, या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। देर शाम आबादी से बाहर कर्बला में फातिया के साथ 14 ताजिये दफन किए गए।


विभिन्न आकारों में बने ताजिए आकर्षण का केंद्र रहे। इस पर्व को मुस्लिम समाज के शिया वर्ग के अलावा सुन्नी वर्ग के लोगों ने भी उपवास रखकर मनाया। मन्नतें पूरी होने वाले छोटी ताजिया बनवाकर फातिहा करवाया और शीरनी बांटी। पायक बने लोग ताजियों को हवा देते वक्त ..या हुसैन, या हुसैन की आवाजें लगाते देखे गए। इस दौरान जगह-जगह शरबत आदि का भी प्रबंध रहा। इस दौरान पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। अन्य क्षेत्रों के ताजियों को कस्बे में जुलूस निकालकर स्थानीय कर्बला में दफन किए गए नगर अल्लाहगंज में लगातार 2 दिन 2 रात निकलने वाले मोहर्रम जुलूस आवाम ने बड़े अदब एहतराम के साथ निकला है।  जिसमे सभी समाज के लोग अकीदत ( श्रद्धा भाव ) के साथ लोगों ने बढ़ चढ़ कर जुलूस में शामिल हुए करबला का वाकिया 10 मुहर्रम सन 61 हिजरी मौजूदा इराक में करबला नामक स्थान पर हुआ।  ताजिया का जुलूस  एस वी आई सी रोड से होते हुए मोहल्ला पीरगंज, आजाद नगर से होते हुए मुख्य चौराहे से होते हुए होली चौक से आनन्द मिश्रा के घर के सामने बाली रोड से होते हुए जनाब शेर मौहम्मद के घर के पास रुका बाई पास बगिया मोहल्ला से राजू भाई व आकिल शाह ताजिये का जुलूस बाई पास रोड मैन मार्केट से होते हुए शामिल हुआ इसके बाद एहसान शाह के घर के पास के साथ होकर मोहल्ला मेवाती शिवपुरी से होते हुए थाने के पीछे बाली गली बाबू टेलर के घर पास से पुनः मुख्य चौराहे होते हुए मदीना मस्जिद से ईदगाह रोड बारह पत्थर मन्दिर से होते हुए कर्बला शरीफ पहुंचा।


बताते है  ये जंग पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 साथियों और रिश्तेदारों के साथ  यज़ीद  के द्वारा हुई। इस जंग का कारण था की यज़ीद  बुरे कामों अत्याचार और हिंसा को बढ़ावा देना चाहता था ,और इस काम में हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को भी अपने साथ करना चाहता था  और ऐसा न करने पर हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ जंग शुरू कर दी क्योंकि हज़रत इमाम हुसैन ने सच्चाई और अहिंसा और सत्य मार्ग का रास्ता चुना और अपने चाहने वालों को उर संदेश दिया कि जान देकर भी अगर लोगों की भलाई की जा सके और अहिंसा को बढ़ावा दिया जा सके तो हर प्रकार की परेशानी उठाकर इंसान को सत्य और अहुंस एक साथ देना चाहिए। 


देर रात तक ताजिये  ईदगाह के पास कर्बला में दफन किए जाते रहे। शहीद ए आजम कॉन्फ्रेंस मोहर्रम कमेटी के पदाधिकारी व सदस्यों ने जुलूस में व्यवस्था देखी। जिसमें मोहर्रम कमेटी  एहसान शाह , गुड्डू , राजू शाह, नाइमुद्दीन,नाजिम अली  सादाब शाह , सहरून अली , राहिल शाह , शानू , शेर मोहम्मद , तौफीक अली ,दीपू भाई,जीशान शाह आदि मौजूद रहे।



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