--प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माँही, जलधि नाँघि गये अचरज नाहीं
- शाहजहांपुर। मुमुक्षु महोत्सव में आज दूसरे दिन स्वामी सर्वेश्वारानंद ने पूजन किया। तत्श्चात कथा व्यास संत कौशल महाराज ने श्रीराम कथा की पावन धारा में श्रोताओं को जी भरकर डुबकी लगवाई। कथा व्यास संत कौशल महाराज ने आज दूसरे दिन श्रीराम की कथा में राम की भक्ति को पाने के लिए उनके नाम के स्मरण को सबसे सरल और सुगम माध्यम बताया। "बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को।। बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो।
अगुन अनूपम गुन निधान सो।।" उन्होंने श्रीराम कथा के उस प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि एक बार भगवान श्रीराम ने हनुमान से पूंछा यह बताओ तुम समुद्र को कैसे पार कर गये। इस पर हनुमान ने उत्तर दिया कि हे प्रभु हम तो बन्दर है, हम भला इतने विशाल समुद्र को कैसे पार पाते, वह तो आपकी मुद्रिका की कृपा से हम समुद्र पार कर गये। हनुमान ने कहा कि-‘‘प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माँही, जलधि नाँघि गये अचरज नाहीं।। श्रीराम जी ने कहा कि हनुमान इधर से तो मेरी मुद्रिका ने तुम्हें पार कर दिया लेकिन फिर तुम उधर से वापस आते समय समुद्र कैसे पार कर पाये। क्योंकि तब तो तुमने मेरी मुद्रिका जानकी को दे दी थी। तब हनुमान बोले-तोई मुदरी उस पार किये, और चूड़ामणि इस पार किये।। हे प्रभु मैं मां जानकी की चूड़ामणि की कृपा से समुद्र के उस पार से इस पार आ गया। यह सुनकर प्रभु श्रीराम मन ही मन मुस्कराने लगे तब हनुमान जी ने कहा कि प्रभु इस जगत के सारे कार्य आपकी कृपा से ही होते है। आपकी कृपा से ही मैं आपके चरणों का दास हूँ-‘‘नाथ न कछु मोर प्रभु ताई।’’ हनुमान के इस तरह के वार्तालाप पर प्रभु श्रीराम बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा-सुन कपि तोहि उरिन मैं नाहीं। देखउ करि विचार मन माही।। इस पर श्रीराम जी ने हनुमान जी के ऋण से कभी भी उऋण न होने की बात कहीं। कथा व्यास कौशल जी महाराज ने बताया कि राम की कृपा को पाने के लिए सबसे पहले हमें हनुमान जी को स्मरण करना चाहिए क्योंकि हनुमान जी श्रीराम जी के दूत है इस लिए सबसे पहले हम सबको हनुमान जी के चरणों में अर्जी लगानी चाहिए।-श्री हनुमाना अतुलित बलधामा राम नाम जपिओ रे। प्रभु मन बसियों रे।। कथा व्यास संत श्री कौशल महाराज जी ने भगवान श्रीराम की भक्ति को पाने के लिए उनकी कृपा के विशेष पात्र श्री हनुमान जी से प्रथम अरजी लगाने को आवश्यक बताया। और राम नाम के जाप को महा जाप बताया।-महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू।। महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ।। अर्थात् राम के नाम जाप को महामंत्र बताया गया है जिसके स्मरण के द्वारा राम की भक्ति को उनकी कृपा को प्राप्त किया जा सकता है। आदि कवि बाल्मीकि भी राम के नाम का उल्टा जाप करके भी अमर हो गये। यह राम के नाम की महिमा ही है जो बाल्मीकि को अमर कर देता है-जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू।। सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेई पिय संग भवानी।। राम के नाम और रूप की गति की कहानी अकथनीय है वह समझने में सुखदायक है परन्तु उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। नाम के जाप से ही ब्रहा्र के बनाये हुए इस प्रपंच जगत से भलीभांति छूटे हुएँ वैराज्ञवान योगी पुरूषों ने राम नाम के सहारे ही इस प्रपंच से ही मुक्ति पायी है। इसलिए जो परमात्मा के रहस को जानना चाहते हैं, वे राम नाम साधना में लगकर राम नाम का जाप करते है। राम नाम जाप से भक्तो के बड़े-बड़े संकट क्षण मात्र में दूर होते है। और वे सांसारिक भव वाधा को पार कर भगवान की भक्ति को प्राप्त करते है। कलयुग में राम का नाम ही आधार है तुलसी ने कहा है कि-नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू।। श्रीराम कथा की आरती मुख्य यजमान श्रीराम चन्द्र सिंघल जी ने उतारी कथा का समापन हे राजा राम तेरी आरती उताऊँ के साथ हुआ। श्रीराम कथा में एस.एस. कॉलेज के पूर्व सचिव राम चन्द्र सिंघल, अशोक अग्रवाल, महाविद्यालय के सचिव डॉ. अवनीश कुमार मिश्र, प्राचार्य डॉ. अनुराग अग्रवाल डॉ. हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव, डॉ. आलोक मिश्रा, डॉ. मधुकर श्याम शुक्ल, डॉ. प्रभात शुक्ला, डॉ. आदित्य कुमार सिंह, डॉ. शालीन कुमार सिंह डॉ. श्रीप्रकाश डबराल, डॉ. देवेन्द्र सिंह, डॉ. प्रमोद कुमार यादव, डॉ. शिशिर शुक्ला, डॉ. आदर्श पाण्डेय, डॉ. आलोक सिंह, डॉ. अर्चना गर्ग, डॉ. कविता भटनागर, डॉ. बरखा सक्सेना, डॉ. संतोष प्रताप सिंह, डॉ. गौरव सक्सेना, डॉ. विकास खुराना, डॉ. अजीत सिंह चारग, डॉ. सुजीत वर्मा, डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. पवन गुप्ता डॉ. दुर्ग विजय सिंह, डॉ. रामशंकर पाण्डेय, डॉ. बलवीर शर्मा, डॉ. मनोज मिश्रा, डॉ. अनिल यादव, अमित यादव, मृदुल शुक्ला, डॉ. अमरेन्द्र यादव डॉ. धर्मवीर सिंह, डॉ. अमित राज चौहान, डॉ. सन्दीप अवस्थी, रजत कुमार सिंह, श्री सुमित सिंह, डॉ. दीपक दीक्षित, डॉ. सुरजीत वर्मा, डॉ. संदीप दीक्षित, डॉ. मंजीत सिंह, डॉ. शैलेन्द्र सहित हजारो श्रोताओं ने श्रीराम कथा का श्रवण किया।