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बुखार की पहचान में अल्हागंज की लैबे फेल


--सरकारी अस्पताल मे 500 मरीज पर दो डाक्टर तैनात--

--बगैर डिग्री धारक डाक्टर मरीजों के साथ कर रहे खिलबाड़---

  • अल्हागंज।  मरीज को बुखार है। बुखार कौन सा है, इसकी पहचान करने में कस्बे की प्रमुख  पैथोलॉजी लैबे ही फेल हो रही है। ज्यादा तर मरीजों मे टाइफाईड और प्लेट कम होने की रिपोर्ट बनाकर मरीजों से 300 से 500 तक बसूल रहे। वही बगैर डिग्री होल्डर डाक्टर्स बायरल बुखार को अपनी सीजन मानकर कमाई कर रहे है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बें मे चार पांच पैथोलॉजी लैब का संचालन हो रहा है जिला प्रशासन इन लैबो की जांच कराना तक मुनासिब नही समझता जिसके कारण वह खुलेआम जनता की जेबो पर डाका डाल रहे है। बगैर डिग्री होल्डर मेडिकल के नाम पर डाक्टरी कर रहे है जहा इस समय बुखार के मरीजों की लाइने लगी रहती है। उन डाक्टरों की लैबे भी कमीशन से चलती है जहां वह ब्लड सेंपल के लिए अपनी अपनी पसंदीदा लैब पर मरीजों का सेंपल भेंज कर जांच कराते है। जहां पहले से ही तैयार रिपोर्ट के आधार पर टाइफाइड व प्लेट कम होने की रिपोर्ट बनाकर दे देते है। जहां मरीजों से 350 से लेकर 600 तक बसूली की जाती है। जिसके बाद डाक्टर्स लाल पीली गोली पकडाकर यह कहे देते है कि यह फीबर है आठ दिन दबा चलेगी। धीरे धीरे मरीज जेब खाली करता रहता आठ दिन बाद वह या तो सरकारी अस्पताल पहुच जाता है या फिर पडोसी जनपद फर्रुखाबाद जहां उसे पहले दिन ही बुखार से राहत मिलता है। बगैर डिग्री होल्डर डाक्टर्स व लैबो की मेहरबानी से  बुखार के मरीजों की संख्या एक सप्ताह में अचानक  सरकारी अस्पताल मे तेजी से बढ़ी है। पहले जहा एक दिन में औसतन 100 से 150 तक मरीज बुखार के पहुचते  थे, वहीं अब यह संख्या 300 से 500 तक पहुंचती है जहां मरीज के बुखार की जाच के लिए रक्त का सैंपल लेकर सरकारी अस्पताल में जाच को भेजा जाता है।जिसकी जांच रिपोर्ट के बाद इलाज होकर मरीज सही हो रहे है। जबकि दो डाक्टर्स पर इस समय 500 मरीज है। फिर भी मरीज सही हो रहे है। वही घरो मे चल रही प्राईवेट लैबे मरीजों के साथ धन उगाही कर खिलबाड़ कर रही है।



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