आज निर्जला एकादशी है। ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को ये व्रत करते हैं। निर्जला एकादशी का व्रत महाभारत काल में भीम ने किया था। जिससे उन्हें ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिली थी। यही वजह है कि इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।
महाभारत, स्कंद और पद्म पुराण के मुताबिक इस व्रत के दौरान सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक पानी नहीं पिया जाता। इस कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। ग्रंथों का कहना है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने वालों की उम्र बढ़ती है और मोक्ष मिलता है।
निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि
इस व्रत में सूर्योदय से पहले उठना जरूरी होता है। फिर तीर्थ स्नान करने का विधान है। ऐसा न कर पाएं तो पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे और एक चुटकी तिल मिलाकर नहाते हैं। फिर व्रत करने का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद उगते हुए सूरज को जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत होती है। एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल नहीं पिया जाता और भोजन भी नहीं किया जाता है।
1. भगवान विष्णु की पूजा, दान और दिनभर व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
2. पीले कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। पूजा में पीले फूल और पीली मिठाई जरूरी शामिल करनी चाहिए।
3. इसके बाद ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। फिर श्रद्धा और भक्ति से कथा सुननी चाहिए।
4. जल से कलश भरे और उसे सफेद वस्त्र से ढंक कर रखें। उस पर चीनी और दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें।
जल कलश और तिल दान से अश्वमेध यज्ञ का पुण्य
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक निर्जला एकादशी पर जरुरतमंद लोगों को जल दान के साथ ही अन्न, कपड़े, आसन, जूता, छाता, पंखा और फलों का दान करना चाहिए। इस दिन जल से भरे कलश और तिल का दान करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है। जिससे पाप खत्म हो जाते हैं।
इस दान से व्रत करने वाले के पितर भी तृप्त हो जाते हैं। इस व्रत से अन्य एकादशियों पर अन्न खाने का दोष भी खत्म हो जाता है और हर एकादशी व्रत के पुण्य का फल मिलता है। श्रद्धा से जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह हर तरह के पापों से मुक्त होता है।
नौतपा के चलते जलदान से मिलता है पुण्य
निर्जला एकादशी ज्येष्ठ महीने में नौतपा के दौरान आती है, इस महीने में जल की पूजा और दान करने का भी बहुत महत्व होता है, ये ही वजह है कि इस दिन पानी से भरे मटकों का दान करते हैं और जरुरतमंद लोगों को पानी पिलाया जाता है। इस तिथि पर तुलसी, पीपल और बरगद में भी पानी चढ़ाने से कई गुना पुण्य मिलता है।