उत्तर प्रदेश की सत्ता से डेढ़ दशक से बाहर रहने वाली बसपा की रविवार को एक अहम बैठक हुई। बसपा प्रमुख मायावती ने खुद निकाय चुनाव को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश दिए हैं। मायावती ने प्रदेश की राजनीति में अपनी पुरानी ताकत वापस पाने के लिए अनेक प्रयोग किए, लेकिन कोई सार्थक नतीजे पार्टी को नहीं मिले। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव लड़ने पर पहली बार बसपा ने रणनीति तैयार की है। इसके पीछे एक वजह बसपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाए रखना है। वहीं, दूसरी तरफ 2024 लोकसभा चुनाव से पहले दलित-पिछड़ा और मुस्लिम वोटर जोड़ने पर फोकस है।
बैठक में सभी 75 जिलों के अध्यक्ष और कोऑर्डिनेटर पहुंचे
बसपा मायावती की बैठक में 75 जिलों के सभी अध्यक्ष और नेशनल से लेकर प्रदेश स्तरीय सभी कोऑर्डिनेटर और पदाधिकारी मौजूद रहे। निकाय चुनाव और पार्टी को मजबूत किए जाने पर बसपा प्रमुख का साफ फोकस रहा। बसपा प्रमुख ने पार्टी के सभी नेताओं को बीते डेढ़ दशक की प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देते हुए आगामी चुनाव की तैयारियों पर आगे की रणनीति बताई। बसपा ने कई प्रयोग असफल होने के बाद पहली बार निकाय चुनाव को प्रमुख रूप से लड़ने का प्लान तैयार किया है। 2024 के चुनाव से पहले निकाय चुनाव के जरिए बसपा खुद को यूपी में एक बार फिर से मजबूत करने पर जुटी है।
2024 से पहले निकाय चुनाव से संगठन को मजबूत करने पर फोकस
मायावती द्वारा रविवार को बुलाई गई है बैठक को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बनाई जाने वाली रणनीति के लिए अहम माना गया। बसपा प्रमुख ने सभी पदाधिकारियों के साथ मंथन करते हुए निकाय चुनाव में बेहतर कैंडिडेट और जातीय समीकरण के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारियों की एक रिपोर्ट मांगी है। सभी नेशनल कोऑर्डिनेटर और जोनल कोऑर्डिनेटर के माध्यम से निकाय चुनाव के अच्छे उम्मीदवार कौन हो सकते हैं, इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। 2024 चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने को लेकर भी बसपा प्रमुख ने उचित दिशा निर्देश पार्टी के पदाधिकारियों को दिए हैं।
मुसलमानों को साथ लाने की कोशिश
बसपा कोऑर्डिनेटर ने बताया कि दलित-पिछड़े और अल्पसंख्यक लिए संघर्ष करने का फैसला पार्टी ने तैयार किया है। एक बार फिर से बसपा चुनावी मैदान में दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक साथ उतारने का प्लान तैयार कर चुकी है। बसपा वापस मुसलमानों को साथ लाने का काम शुरू कर रही है। पार्टी में इमरान मसूद समेत कई मुस्लिम नेताओं को तवज्जों देने के साथ उन्हें शामिल भी कराया जा रहा है। पार्टी के सूत्र यह भी बताते हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद पार्टी को नए रूप देने की कोशिश में जुटे हैं। उनकी अगुवाई में पार्टी दलित-पिछड़े वर्ग के युवाओं को जोड़ने पर काम कर रही है। इसके लिए पार्टी युवा दलित पिछड़े अल्पसंख्यक वर्ग की भूमिका बढ़ाए जाने को लेकर भी रणनीति तैयार की है।