- इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी में तरबूज की रसीली मिठास लोगों का गला तर कर देती है। अब इसकी मिठास दिल्ली तक पहुंच गई है। फर्रुखाबाद जिले से प्रतिदिन 2 से 3 ट्रक तरबूज दिल्ली जा रहा है। जिले में गंगा की तलहटी सहित अन्य स्थानों पर 3,200 हेक्टेयर में तरबूज की खेती हुई है।
गर्मियों के दिनों में तरबूज का सर्वाधिक उपयोग होता है। पुरानी कहावत है, तरबूज ग्लूकोज का कार्य करता है। जिले से तरबूज दिल्ली, मुरादाबाद ,अमरोहा, आगरा, मथुरा और हरियाणा की मंडियों में जा रहा है। तरबूज की खेती कर रहे किसानों ने बताया, 15 दिनों से तरबूज की चौड़ाई जोरों पर है। यहां के तरबूज की लदान देश के विभिन्न शहरों के लिए हो रही है।
शेखपुर निवासी तरबूज उत्पादक इंद्रेश यादव ने बताया, इस बार भाव में गिरावट से मुनाफा गिर गया है। जिन लोगों का तरबूज पहले से तैयार हो गया था, उन्हें तो अच्छा भाव मिल गया। अब जो भाव है, उससे नुकसान भी हो सकता है। पहले प्रति बीघा रेती में 50 से 60 क्विंटल तरबूज निकलता था। इस बार 20 से 25 क्विंटल ही निकला।इंद्रेश यादव ने बताया, गर्मी में रोज पानी लगाना पड़ा। इससे लागत बढ़कर 15,000 बीघा तक पहुंच गई। 25 क्विंटल तरबूज 600 रुपए में बिका तो लागत ही निकलेगी मेहनत और मुनाफा का कुछ नहीं होगा। 600 रुपए प्रति क्विंटल से कम बिका तो नुकसान हो जाएगा।गांव जरारी निवासी व्यापारी अब्दुल कलाम का कहना है, रमजान में बाहर की मंडियों में तरबूज की मांग बनी हुई थी। ईद के बाद खपत घट गई है। इससे भाव और भी कम हो गया है। हरियाणा के बल्लभगढ़ में 600 रुपए प्रति क्विंटल भाव था। 200 रुपए प्रति क्विंटल का खर्चा था। इससे 400 रुपए किलो खरीद में ही कुछ बचत हो रही थी। इस बार महाराष्ट्र राजस्थान आदि राज्यों से भी मंडियों में काफी तरबूज पहुंचा। इससे भी भाव ऊंचा ठहर नहीं पाया।