- 30 अप्रैल, शनिवार को साल की पहली शनैश्चरी अमावस्या रहेगी। इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी रहेगा। वैशाख महीने में शनिवार को अमावस्या का होना बहुत ही खास माना गया है। ग्रंथों में इस शुभ संयोग को स्नान-दान का महा पर्व कहा गया है। इस दिन किए गए पुण्य कर्म से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना शुभ फल मिलता है।
स्कंद, पद्म और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक वैशाख महीने में आने वाली शनैश्चरी अमावस्या पर तीर्थ स्नान या पवित्र नदियों में नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस पर्व पर किए गए दान से कई यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है। साथ ही इस अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितर पूरे साल के लिए संतुष्ट हो जाते हैं।
14 साल बाद बनेगा ऐसा संयोग
जब कोई अमावस्या शनिवार को पड़ती है तो उसे शनिचरी अमावस्या कहा जाता है। इस बार 30 अप्रैल, शनिवार को वैशाख महीने की पहली शनैश्चरी अमावस्या है। शनिवार को अमावस्या का शुभ संयोग कम ही बनता है। आज से तीन साल पहले ऐसा संयोग 4 मई 2019 को बना था। जब वैशाख महीने की शनैश्चरी अमावस्या थी। अब 14 साल बाद 26 अप्रैल 2036 को वैशाख महीने में शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बनेगा।
अमावस्या कब से कब तक
29 अप्रैल की रात 12 बजे बाद यानी 30 तारीख शुरू होने के बाद रात करीब 1 बजे से वैशाख महीने की शनैश्चरी अमावस्या शुरू हो जाएगी। जो शनिवार को पूरे दिन रहेगी और रात में करीब 2 बजे खत्म होगी। वैशाख महीने में अमावस्या तिथि पर स्नान का महत्व ग्रंथों में बताया गया है। पद्म, मत्स्य और स्कंद पुराण में अमावस्या तिथि को पर्व कहा गया है। इसलिए इस दिन तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान करने से हर तरह के दोष दूर हो जाते हैं।
शनि स्वराशि में इसलिए खास अमावस्या
ग्रंथों में बताया गया है कि शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या शुभ फल देती है। इस तिथि पर तीर्थ स्नान और दान का कई गुना पुण्य फल मिलता है। अमावस्या शनि देव की जन्म तिथि भी है। इसलिए इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म होते हैं। इस दिन शनि देव की कृपा पाने के लिए व्रत रखना चाहिए और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना चाहिए। ये शनिश्चर अमावस्या खास इसलिए है क्योंकि शनि अपनी ही राशि यानी कुंभ में है।