- वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया 3 मई को है। इसे अक्षय तृतीया और आखा तीज कहा जाता है। इस दिन किए गए व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है। अक्षय तृतीया पर जल का दान जरूर करना चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार साल में चार अबूझ मुहूर्त आते हैं। इन मुहूर्त में विवाह आदि सभी मांगलिक कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किए जा सकते हैं। ये चार अबूझ मुहूर्त हैं - अक्षय तृतीया, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी। ये चारों तिथियां किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं।
अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु ने लिए कई अवतार
अक्षय तृतीया को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है, क्योंकि इसी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। परशुराम जी चिरंजीवी माने जाते हैं यानी ये सदैव जीवित रहेंगे। इनके अलावा भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव अवतार भी इसी तिथि पर प्रकट हुए थे।
अक्षय तृतीया पर करनी चाहिए विष्णु-लक्ष्मी की विशेष पूजा
अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी और लक्ष्मी जी पूजा करें। सबसे पहले गणेश पूजन करें। इसके बाद गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर दक्षिणावर्ती शंख में भरकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं का अभिषेक करें। इसके बाद शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें।
भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल, इत्र आदि अर्पित करें।
खीर, पीले फल या पीली मिठाई का भोग लगाएं। पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
किसी मंदिर में या जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, जूते-चप्पल, वस्त्र, छाते का दान करें।
सूर्यास्त के बाद शालिग्राम के साथ ही तुलसी के सामने गाय के दूध से बने घी का दीपक जलाएं।
अक्षय तृतीया पर किसी सामूहिक विवाह में धन राशि भेंट करें। किसी अनाथ बालिका की शिक्षा या उसके विवाह में आर्थिक मदद करें।