- शाहजहांपुर। स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय के इतिहास विभाग के तत्वावधान में "प्राचीन भारत में हिंदुत्व की अवधारणा" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. देवी प्रसाद दुबे ने कहा कि "यह कहना गलत है कि हिंदू शब्द ईरानियों द्वारा प्रदत्त है बल्कि सच्चाई यह है कि यह कश्मीरी भाषा का शब्द है। वस्तुतः सत्य यह है कि हिंदुत्व शब्द के मूल में धर्म है, किंतु रिलीजन शब्द इसका व्युत्पन्न नही है बल्कि धर्म वो है जो धारण किया जाए और सभी देश, काल में सार्वभौमिक हो किंतु रिलीजन शब्द के तात्पर्य व्यक्ति की विशेष पूजा पद्धति से है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुमुक्षु शिक्षा संकुल अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व में भारत भूमि ही ऐसी है जहां दुनियाभर के अनेकानेक धर्म तथा विचारधाराएं सह अस्तित्व के सिद्धांत पर साथ साथ पनपी।उन्होंने कहा कि हिंदू मनीषा कहती है कि "जिस तरह विभिन्न नदियों में जल का स्वाद और रंग भिन्न है किंतु वे सभी महासागर तक पहुंचती है,उसी प्रकार समस्त धर्म दर्शनों की व्याख्या भिन्न होते हुए भी वे एक ही ब्रह्म तक पहुंचती है।गोष्ठी की विशिष्ट अतिथि डॉ चारु मेहरोत्रा ने कहा कि "सैंधव सभ्यता काल से ही हिंदू धर्म की धारा अनवरत बह रही है, पुराताविक स्रोतों से पता चलता है कि भगवान शिव तथा देवी उपासना आज से पांच हजार वर्ष पूर्व भी लोकप्रिय थी,तब भगवान शंकर की उपासना पशुपति शिव के रूप में होती थी जिनके सिर से वनस्पति निकलती दिखाई पड़ी, जो उन्हें प्रकृति का संरक्षक बनाती है।गोष्ठी प्रारंभ होने से पूर्व एसएस कालेज के सचिव डॉ. अवनीश मिश्रा ने स्वागत भाषण पढ़ा, विषय स्थापना डॉ. आदित्य सिंह ने की तथा अंत में आभार प्राचार्य डॉ. अनुराग अग्रवाल द्वारा प्रकट किया गया। गोष्ठी के समन्वयक डॉ. आलोक मिश्रा, संयोजक डॉ. विकास खुराना तथा आयोजन सचिव डॉ. दीपक सिंह रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुमुद ने किया। दो दिवसीय चलने वाले तकनीकी सत्र की प्रभारी डॉ. चारु तथा डॉ. सीमा गौतम बनाई गई।सेमिनार में सौ से ज्यादा शोध पत्र पढ़े जायेंगे। इस अवसर पर डॉ. अजीत चारग, डॉ. मधुकर श्याम शुक्ला, डॉ. पूनम, डॉ. शालीन कुमार सिंह, डॉ. शिशिर शुक्ला, डॉ. आदर्श पांडे, डॉ. पद्मजा मिश्रा, डॉ. के के वर्मा, डॉ. श्री कृष्ण यादव, डॉ. अर्चना गर्ग, डॉ. पूनम, डॉ. बरखा सक्सेना, डॉ. रमेश चंद्रा, डॉ. श्रीकांत मिश्रा सहित महाविद्यालय परिवार के शिक्षक तथा अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।