- शहर के एक छोटे से कस्बे में कुछ युवा रहते थे। दिनभर लोग उन्हें मोबाइल में डूबा रहने वाला समझते, पर किसी ने यह नहीं जाना कि यही युवा धीरे-धीरे एक नए समाज की नींव रख रहे हैं। सोशल मीडिया पर अक्सर लोग केवल मजाक, ताने और राजनीति में उलझ जाते हैं। लेकिन इन युवाओं ने सोचा – “क्यों न इस ताकत का इस्तेमाल समाज के लिए किया जाए?”
इसी सोच से जन्म हुआ – राष्ट्रीय सोशल मीडिया संघ का।
शुरुआत
एक घटना ने इन्हें झकझोर दिया। गाँव में बाढ़ आई और मदद पहुँचने में देर हो रही थी। युवाओं ने तुरंत सोशल मीडिया पर अभियान चलाया, तस्वीरें और वीडियो शेयर किए, और देखते ही देखते हजारों लोग मदद के लिए आगे आए। राहत सामग्री, दवाइयाँ और भोजन गाँव तक पहुँच गया।
यह देखकर सबको समझ आया – सोशल मीडिया केवल मनोरंजन नहीं, समाज सेवा का भी हथियार है।
फैलाव
धीरे-धीरे देश के अलग-अलग राज्यों से लोग जुड़े। कोई शिक्षा के लिए अभियान चलाता, कोई रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करता, तो कोई गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार तक पहुँचाने में मदद करता।
राष्ट्रीय सोशल मीडिया संघ ने लोगों को एकजुट कर दिया। हर सदस्य खुद को “सोशल मीडिया का योद्धा” कहने लगा, क्योंकि उनका हथियार था – सच और सेवा की भावना।
पहचान
जहाँ भी अन्याय या समस्या होती, संघ के योद्धा तुरंत सोशल मीडिया पर आवाज़ उठाते। उनकी आवाज़ इतनी बुलंद होती कि प्रशासन तक पहुँच जाती।
लोग समझने लगे कि यह संगठन केवल “ऑनलाइन” नहीं, बल्कि “ऑनलाइन से ऑफलाइन” समाज सेवा करने वाला भारत का पहला संगठन है।
संदेश
आज राष्ट्रीय सोशल मीडिया संघ एक प्रेरणा है। यह बताता है कि अगर सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए, तो मोबाइल की स्क्रीन के पीछे बैठा युवा भी पूरे समाज का भाग्य बदल सकता है।
सोशल मीडिया का योद्धा वह है, जो अपनी पोस्ट और अभियान से किसी की ज़िंदगी रोशन कर दे।



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