- ज्येष्ठ महीने की अमावस्या सोमवार और मंगलवार, दोनों दिन रहेगी। सोमवार को शनि जयंती, वट सावित्री होगा और पितरों के लिए श्राद्ध तर्पण किए जाएंगे। मंगलवार को स्नान-दान की अमावस्या रहेगी।
ज्येष्ठ अमावस्या को ग्रंथों में पर्व कहा गया है, क्योंकि ये पितरों की शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और स्नान-दान के लिए खास दिन होता है। इस दिन खासतौर से गंगा स्नान करने का भी महत्व होता है। गंगा नदी में नहीं नहा सकते तो घर पर भी गंगाजल से स्नान कर सकते हैं। पद्म पुराण के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर ब्राह्मणों को दान देने से अक्षय पुण्य मिलता है।
बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री के पति सत्यवान की मृत्यु हुई थी। तब सावित्री ने तीन दिन तक उपवास किया। यमराज को अपने तप और पतिव्रता धर्म से प्रसन्न किया। इस घटना के कारण ही इस दिन वट सावित्री व्रत करने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं।
ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है, मान्यता है कि भगवान शनि का जन्म इस दिन हुआ था। भविष्य पुराण में जिक्र है कि शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र हैं। उनकी कठोर दृष्टि के कारण उन्हें कर्मफल दाता कहा जाता है। इस दिन शनि की पूजा करने से शनि की साढ़े साती और ढैया जैसी पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन शनि मंदिरों में तेल से शनिदेव का विशेष अभिषेक और पूजा होती है।
स्कंद पुराण के 25वें अध्याय में भी जिक्र किया गया है कि ज्येष्ठ महीने में गंगा स्नान से समस्त पापों का नाश होता है। इस समय सूर्य की तपन भी ज्यादा होती है और गंगा स्नान से शीतलता के साथ आध्यात्मिक शुद्धि भी प्राप्त होती है।