Type Here to Get Search Results !

पहलगाम की पुकार

 

पहलगाम की पुकार 


कलमा, कुरान कहकर,

करते हो।

इंसानियत और ईमान की अवमानना।

तुम समझाने चले हो,

हमें आयत की अवधारणा।।


किसी की कोंख सूनी की,

किसी की कलाई सूनी की,

पर्वत - पहाड़ और पहलगाम की,

सारी कायनात सूनी की

आज तूने ऐसी वारदात खूनी की।।


लहू का कोई रंग नहीं हो सकता।

ईश्वर तुम्हारे,

कभी संग नहीं हो सकता।

मानवता को मारकर,

करते हो मजहब की मिन्नतें

अरे मूर्खो !

ऐसा करने से अल्लाह,

तुम्हारा कभी अंतरंग नहीं हो सकता।।

 

स्वरचित_मौलिक_अर्चना आनंद गाजीपुर उत्तर प्रदेश

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.