Type Here to Get Search Results !

लाख कोशिशें ही करती रह गयी नारियां,


 लाख कोशिशें ही करती रह गयी नारियां,

बराबरी का दर्जा फिर भी न पायी नारियां।


माता पिता भी जिसके दर्द को समझे नहीं, 

ऐसी ही एक अभागिन सी रह गयी नारियां।


अपने ही घर में भेदभाव का यूं शिकार हुई, 

तालीम की दौलत से महरूम रह गयी नारियां।


रोज नई चुनौतियां से वो अकेली जूझती हैं, 

फिर भी आंख का तारा बन न पायी नारियां। 


सारे जहां का दर्द ख़ुदमें समेटे यह फिरती हैं, 

पर, खुद की तकलीफ़ कह न पायी नारियां। 


हर एक रिश्ते से ज़ख़्म ही खाए हैं ताउम्र,

किसी एक से भी मरहम न पायी नारियां।


लफ़्ज़ों के खंजर भी चलाना आता इन्हें बखूबी, 

पर एक तीर भी तरकश से चला ना पायी नारियां।


मगर अब आया है वक्त जहां के बदलाव का, 

आज अलग ही मकाम है ले रही हैं नारियां।


उठने लगे सर फक्र से बेटी के मां-बाप के भी,

कि… बेटों से भी आगे को बढ़ रही हैं नारियां।


आश हम्द, पटना

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Hollywood Movies