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सड़क दुर्घटना में वानर की मौत ग्रामीणों ने हिंदू रीति-रिवाज से किया अंतिम संस्कार


  • अल्हागंज-19 नवम्बर 2024( अमित वाजपेयी)। क्षेत्र के मोहल्ला में सड़क दुर्घटनाओं में आए दिन जान-माल का नुकसान होता है, और ये घटनाएँ न केवल इंसानों के लिए बल्कि अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी खतरनाक साबित होती हैं। हाल ही में एक ऐसी ही दुखद घटना घटी, जिसमें एक वानर भारी स्पीड से आ रहे वाहन की चपेट में आकर मृत्यु के शिकार हो गया। यह घटना न केवल गाँववासियों के लिए शोक का कारण बनी, बल्कि इसने एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल को भी जन्म दिया। गाँव के युवाओं ने मिलकर उस मृत बंदर का विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया, जो न केवल उनकी मानवता का परिचायक था, बल्कि यह दर्शाता था कि वे प्रकृति और सभी जीव-जंतुओं का सम्मान करते हैं।


 क्षेत्र के साहबगंज मंगलवार की सुबह भयंकर कोहरा पड़ रहा था बच्चे स्कूल जा रहे थे इसी दौरान एक स्कूली बैन काफी तेज रफ्तार में निकली और जिसकी चपेट में आकर एक बंदर की मौके पर ही मौत हो गई राष्ट्रीय सोशल मीडिया संघ के चंद्र मोहन व आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो देखा बंदर की मौत हो चुकी है और उसके पास बैठा उसका बच्चा काफी परेशान होकर बार-बार मां को उठा रहा है। यह ममता देख लोगों के आंसू नहीं रुके। एक बच्चा मां से बिछड़ कर बिलक बिलक कर रो रहा था। ग्रामीणों ने  वानर का अंतिम संस्कार करने की तैयारी शुरू की।बंदरों को अक्सर हनुमान जी का रूप माना जाता है, और उनकी पूजा की जाती है। हनुमान जी भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यधिक सम्मानित देवता माने जाते हैं। युवाओ ने यह तय किया कि बंदर का अंतिम संस्कार विधिपूर्वक किया जाएगा, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके और यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि उसका सम्मान सही तरीके से हो। इस निर्णय को लेकर गाँव के युवा राष्ट्रीय सोशल मीडिया संघ के ग्रामीण उपाध्यक्ष चंद्रमोहन, ग्रामीण श्याम सिंह, पंकज कुमार,  रामजीत, पिंकू, रामदेव, नरेंद्र, पवन कुमार, दिलीप कुमार,और सुमित कुमार ने जोश और श्रद्धा से भरे हुए थे, और वे इसे अपनी जिम्मेदारी मानते थे। सभी युवाओं ने मिलकर आवश्यक सामग्री जुटाई और रामगंगा जाने वाले मार्ग के रामगंगा नदी के किनारे के पास गढ्ढा खोदकर विधि पूर्वक अंतिम संस्कार किया।यह घटना केवल एक दुखद दुर्घटना नहीं थी, बल्कि इसने समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। यह संदेश था कि हमें न केवल इंसानों का, बल्कि सभी जीव-जंतुओं का भी सम्मान करना चाहिए। बंदर, जो हनुमान जी का रूप माने जाते हैं, को यह सम्मान देने के लिए गाँव के युवाओं ने जो कदम उठाया, वह अन्य समाजों के लिए एक उदाहरण बन गया।इसके अलावा, यह भी दिखाता है कि हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण में सभी प्राणियों के लिए स्थान है।ग्राम के युवाओं द्वारा मृत बंदर का विधिपूर्वक अंतिम संस्कार न केवल एक धार्मिक कर्तव्य था, बल्कि यह मानवता और सम्मान का प्रतीक था। इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि समाज में जब भी कोई संकट आता है, तो अगर हम एकजुट हो जाएं और अपने धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का पालन करें, तो हम न केवल खुद को, बल्कि पूरे समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं। इस प्रकार की घटनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि हमें जीवन के सभी पहलुओं में संवेदनशील और सहानुभूति से काम लेना चाहिए, चाहे वह इंसान हो या कोई अन्य जीव-जंतु।





 

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