कभी-कभी,
यूँ ही हो जाता है,
अचानक से,प्यार।
सिर्फ इसलिए,
क्योंकि वो तुम्हें देख मुस्कुराई थी,
तुम उसके हो जाते हो,
और देख लेते हो,
उसके साथ होने का,
एक सुनहरा ख्वाब।
उससे बात करते हुए,
तुम उसकी बातों में खो जाते हो,
और उसके चेहरे से,
अपनी नज़रें नहीं हटा पाते हो,
जब उसके साथ होते हो,
तो खुद को भूल जाते हो,
हर शाम घड़ी की सुइयों का,
एक सीध में आने का इंतजार करते हो,
क्योंकि ये वक़्त उससे मिलने का है,
और ये इंतज़ार करना भी,
तुम्हें अच्छा लगता है,
बस इतनी सी बात भी
कभी-कभी बन जाती है,
प्यार की वजह।
कभी-कभी,
जब अकेले में उदास हो,
और उसकी याद आते ही,
चेहरे पर आ जाती है मुस्कान,
रात को सोने से पहले,
उसके साथ बिताएं वक़्त के बारें में,
सोचने लगते हो तुम,
रात नींद में भी उसका ही,
आता हो ग़र तुम्हे ख्वाब,
और उठकर सबसे पहले,
उससे बात करना,
अगर पसंद है तुमको,
तो समझ लो तुमको भी,
हो गया है प्यार।
तुम्हें क्या बताऊँ,
मैं कैसे समझाऊं,
ये प्यार कैसा होता है?
जब तुम तुम ना रहो,
तुम वही हो जाओ,
जब खुद को सिर्फ,
उसके लिए सजाओं,
हर दुआ में उसे मांगो,
अपने लिए उसे ही चाहों,
सुनाई दे उसकी ही आवाज,
खुद में भी उसी को पा जाओं,
बातों में उसी का जिक्र हो,
जब तुम बस उसी को गाओं,
तो ध्यान से देखना,
खुद के भीतर,
जो हो रहा उसे महसूस करना,
तुम्हें पता चल जायेगा कि,
प्यार तो ऐसा ही होता हैं।