सावन के पहले सोमवार के दिन शिवलिंगों पर दूध, जल से अभिषेक किया गया। शिवलिंगों को पुष्प, बेल पत्र, आंक, धतूरे से सजाकर महाआरती की गई। इस दौरान मंदिरों में घंटी, घडिय़ाल, शंख व झालर के बीच भोलेनाथ के उद्घोष से माहौल भक्तिमय बना रहा। विवियापुर में कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रो के श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। कई लोगों ने पंडित की मौजूदगी में शिव महाभिषेक किया। महामृत्युंजय के जाप शुरू हुए तथा रुद्राभिषेक किया गया। वहीं सावन मास में दो महीने तक प्रत्येक शिव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का दौर चलेगा। वहीं सावन के पहले सोमवार को कस्बे के बारह पत्थर मंदिर मे श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की। विवियापुर मंदिर में भोले के दर्शन करने के लिए सुबह 5 बजे से ही लंबी-लंबी लाइन दिखने लगी वहीं मंदिर परिसर में कोई अप्रिय घटना घटित न हो इसके लिए पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इसके अलावा सावन महीने के पहले सोमवार को कई लोगों ने घर पर ही भगवान शिव की पूजन का बंदोबस्त किया है।
दूध, दही, गंगाजल चढ़ाएं
पंडित राधेश्याम मिश्रा ने कहा कि सावन महीने में भगवान शिव की पूजा से मनवांछित फल प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि इस महीने में भगवान भोले शंकर को दूध, दही, घी, मक्खन, गंगाजल, विल्ब पत्र, आक, धतूरा आदि चढ़ाना चाहिए, क्योंकि इस माह में भगवान भोले नाथ की सच्चे मन से आराधना की जाए, तो उसे मनवांछित फल प्राप्त होता है। वहीं सावन महीने में बेल पत्रों व पुष्पों की मांग बढ़ गई है। पूजन-अर्चन करने वाले श्रद्धालुओं ने दो महीने के लिए बुकिंग करा ली है। ऐसे लोगों ने रोजाना एक माह के लिए बेल पत्र, फूल, आंक व धतूरा लेने के लिए दुकान व्यवस्था कर ली है।
अभिषेक का है महत्व
सावन में शिव अभिषेक का विशेष महत्व है। पंडितों के अनुसार पार्थिव शिवलिंग के पूजन से शिवजी का आशीर्वाद मिलता है। समुद्र मंथन में निकले विष का पान करने के बाद जलन को शांत करने शिवजी का जलाभिषेक किया गया था। यह विधि अपनाई जाती है। इसके साथ ही आंक व बिल्व पत्र चढ़ाने से अनिष्ट ग्रह की दशा भी शांत होती है। दूध में काले तिल से अभिषेक करने से चंद्र संबंधित कष्ट दूर होते हैं।