- शाहजहांपुर। एस.एस. कॉलेज के वाणिज्य विभाग में परियोजना लेखन पर चल रही तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य वक्ता केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश, धर्मशाला के वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. के.के. वर्मा ने कहा कि किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति हेतु शोध, सर्वेक्षण तथा अनुभव के आधार पर बनायीं गयी विस्तृत योजना ही परियोजना कहलाती है। परियोजना के अंतर्गत पूरे कार्य को छोटे छोटे भागों में बाँट कर निश्चित समय सीमा में पूर्ण किया जाता है ताकि असफलता की कोई संभावना न रहे।
परियोजना रिपोर्ट बनाने का तरीका बताते हुए उन्होंने कहा की सबसे पहले समस्या के औचित्य का अध्ययन करना चाहिए इसके बाद आवश्यक कच्चे माल, संयत्र, पूँजी, कुशल कर्मचारियों, लाइसेंस, करारोपण आदि की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए| अंत में सफलता की संभावना का मूल्यांकन करते हुए संभावित समस्याओं पर विचार करना चाहिए और समाधान को भी मस्तिष्क में रखना चाहिए। ऐसा करने से किसी भी उद्योग या व्यापार में न्यूनतम साधन लगाकर सफलता प्राप्त की जा सकती है। डॉ. देवेंद्र सिंह ने कहा कि परियोजना, कार्य-पूर्व योजना है जो हमारा मार्गदर्शन करती है इसलिए परियोजना जितनी ठोस व गहन बनायी जाती है औधोगिक सफलता की संभावना उतनी ही अधिक रहती है। परियोजना बनाते समय सरकार की व्यापारिक नीतियों और व्यावसायिक विधानों का भी ध्यान रखना चाहिए। डॉ. अनुराग अग्रवाल के संचालन में हुए कार्यक्रम का शुभारंभ स्वामी शुकदेवानंद सरस्वती जी के चित्र पर पुष्पांजलि से हुआ। प्राचार्य डॉक्टर आर.के. आजाद ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वाणिज्य के छात्रों को लघु औद्योगिक परियोजनाएँ तैयार करनी चाहिए और उन्हें बनाने में जनपद के उद्योगपतियों का भी सहयोग लेना चाहिए। कार्यशाला संयोजक डॉ. अजय कुमार वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला के आयोजन में डॉ. कमलेश गौतम, डॉ. गौरव सक्सेना, डॉ. संतोष प्रताप सिंह, डॉ. सचिन खन्ना ने विशेष सहयोग किया। इस अवसर पर देव सिंह कुशवाहा, कशिश खण्डेलवाल, आकांक्षा, दामिनी, वंशिका समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।