- आज से ज्येष्ठ महीना शुरू हो गया है। ये 4 जून तक रहेगा। इस महीने में 9 बड़े व्रत-पर्व होंगे। जिनमें शनि जयंती, वट सावित्री, गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसेी खास तिथियां रहेंगी।
- इस हिंदी महीने में जरुरतमंद लोगों को मौसम के हिसाब से जरूरी चीजों का दान देने और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दौरान गर्मी का मौसम चरम पर होता है, इसलिए ज्येष्ठ मास में जलदान का महत्व बहुत ज्यादा है।
संकष्टी चतुर्थी: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश जी की पूजा के लिए ये व्रत किया जाता है। ये व्रत 8 मई, सोमवार को किया जाएगा। संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
अपरा एकादशी: ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी या अचला एकादशी भी कहा जाता है। ये व्रत 15 मई को किया जाएगा। अपरा एकादशी के दिन तुलसी, चंदन, कपूर, गंगाजल सहित भगवान विष्णु की पूजा की जानी चाहिए। कहीं-कहीं बलराम-कृष्ण का भी पूजन करते हैं। इस व्रत से कीर्ति, पुण्य तथा धन की वृद्धि होती है।
वृष संक्रांति: 15 को ही वृष संक्रांति पर्व भी रहेगा। इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि से निकलकर वृष में चला जाएगा। सूर्य के राशि परिवर्तन पर्व पर तीर्थ स्नान करने की परंपरा है। इस दिन उगते सूरज को अर्घ्य देकर जरुरतमंद लोगों को दान देने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। उम्र भी बढ़ती है।
शनि जयंती: ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 19 मई को है। ग्रंथों के अनुसार इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था। शनि जयंती पर व्रत और शनि पूजा करने से कुंडली में शनि दोष खत्म हो जाते हैं। इसके अलावा हर तरह की परेशानियां इस व्रत से दूर होती है।
वट सावित्री व्रत: ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि पर वट सावित्रि व्रत भी किया जाता है। इस व्रत पर बरगद के पेड़ की पूजा और परिक्रमा की जाती है। पूजा के बाद सत्यवान और सवित्रि की कथा सुनाई जाती है। इस व्रत को करने से पति की उम्र बढ़ती है और परिवार में समृद्धि बढ़ती है। ये व्रत 19 मई को किया जाएगा।
रम्भा तृतीया: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया पर रम्भा तृतीया व्रत किया जाता है। इस दिन देवी पार्वती की पूजा की जाती है। ये व्रत एक साल तक किया जा सकता है। रम्भा तृतीया व्रत खासतौर से महिलाओं के लिए ही होता है। इस व्रत को करने से सौभाग्य प्राप्त होता है। रंभा ने इसे सौभाग्य प्राप्ति के लिए ही किया था। इसलिए इसे रम्भा तृतीया कहा गया है। ये व्रत 22 मई को किया जाएगा।
गंगा दशहरा: गंगा दशहरा एक प्रमुख त्योहार है। ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को ये व्रत किया जाता है। इस दिन गंगा स्नान और विशेष पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन दान का भी महत्व है। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है। ये व्रत 30 मई को किया जाएगा।
निर्जला एकादशी: हिन्दू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। यह व्रत बिना पानी पीए किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। इस व्रत को करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। निर्जला एकादशी का व्रत करने सालभर की सभी एकादशी का फल मिलता है। ये व्रत 31 मई को किया जाएगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा: इस महीने की पूर्णिमा का व्रत और दान करने से सौभाग्य प्राप्त होता है। इस पूर्णिमा पर व्रत करने से संतान सुख भी मिलता है। इस बार ये व्रत 4 जून को किया जाएगा। इसे वट पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन भी सत्यवान और सावित्री की पूजा की जाती है और बरगद की पूजा की जाती है।