ये दिन हर युग में बहुत शुभ रहा है। सतयुग में इस तिथि पर औषधियों की पूजा होती थी। त्रेतायुग में राम ने रावण पर जीत के लिए ये दिन चुना। फिर द्वापर युग में अर्जुन ने अज्ञातवास के दौरान शमी पेड़ की पूजा के बाद फिर से धनुष संभाला। इसके बाद राजा विक्रमादित्य और कई राजाओं ने युद्ध पर जाने के लिए ये ही तिथि तय की।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र कहते हैं कि इस बार दशहरे पर पांच राजयोग बन रहे हैं। हंस, शंख, भद्र, पर्वत और केदार नाम के शुभ योग बनने से पूजा और खरीदारी का शुभ फल और बढ़ जाएगा। इस दिन नए बिजनेस की शुरुआत, पैसों का लेन-देन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री और खासतौर से व्हीकल खरीदारी करना फायदेमंद रहेगा।
शमी और अपराजिता पौधे की पूजा
विजयदशमी पर शमी पेड़ की पूजा होती है। लंका पर लड़ाई के लिए जाते वक्त श्रीराम ने इसी पेड़ को प्रणाम किया था। इस दिन अपराजिता के पौधे की भी पूजा होती है। ये भगवान विष्णु को बहुत पसंद है। मान्यता है कि इस पौधे को पूजने से भी दुश्मनों पर जीत मिलती है।
रावण पुतला दहन की परंपरा
विष्णु धर्मोत्तर पुराण के मुताबिक विजयादशमी पर श्रीराम ने युद्ध के लिए यात्रा शुरू की थी। डॉ. मिश्र बताते हैं कि इस दिन धर्म रक्षा के लिए श्रीराम ने शस्त्र पूजा की थी। इसके बाद रावण का पुतला बनाकर विजय मुहूर्त में स्वर्ण शलाका से उसका भेदन किया था। यानी सोने की डंडी से उस पुतले को भेद कर युद्ध के लिए गए थे। ऐसा करने से लड़ाई में जीत मिलती है। माना जाता है तुलसीदास जी के समय से दशहरे पर रावण जलाने की परंपरा शुरू हुई।