- 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही 4 महीने तक शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक काम नहीं किए जाएंगे। हालांकि इन दिनों में खरीदारी, लेन-देन, निवेश, नौकरी और बिजनेस जैसे नए कामों की शुरुआत के लिए शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस साल भगवान विष्णु 117 दिन योग निद्रा में रहेंगे। इस दौरान संत और आम लोग धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और आराधना में समय बिताएंगे।
10 जुलाई को देवशयनी और 5 नवंबर को देवउठनी एकादशी
इस साल 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी और 5 नवंबर को देव उठनी एकादशी रहेगी। इसलिए चातुर्मास 117 दिनों का रहेगा। इन दिनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस अवधि में सृष्टि को संभालने और कामकाज संचालन का जिम्मा भगवान भोलेनाथ के पास रहेगा। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान किए जा सकेंगे पर विवाह समेत मांगलिक काम नहीं होंगे।
चातुर्मास की परंपरा
सावन से लेकर कार्तिक तक चलने वाले चातुर्मास में नियम-संयम से रहने का विधान बताया गया है। इन दिनों में सुबह जल्दी उठकर योग, ध्यान और प्राणायाम किया जाता है। तामसिक भोजन नहीं करते और दिन में नहीं सोना चाहिए।
इन चार महीनों में रामायण, गीता और भागवत पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथ पढ़ने चाहिए। भगवान शिव और विष्णुजी का अभिषेक करना चाहिए। पितरों के लिए श्राद्ध और देवी की उपासना करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों की सेवा करें।
चातुर्मास में कब, किसकी पूजा करें
सावन में भगवान शिव-शक्ति की पूजा की जाती है। इससे सौभाग्य बढ़ता है। भादौ में गणेश और श्रीकृष्ण की पूजा से हर तरह के दोष खत्म होते हैं। अश्विन मास में पितर और देवी की आराधना का विधान है। इन दिनों पितृ पक्ष में नियम-संयम से रहने और नवरात्रि में व्रत करने से सेहत अच्छी होती है। वहीं, कार्तिक महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। इससे सुख और समृद्धि बढ़ती है। इन चार महीनों में आने वाले व्रत, पर्व और त्योहारों की वजह से ही चातुर्मास को बहुत खास माना गया है।
चातुर्मास के चार महीने
श्रावण: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से श्रावण शुक्ल एकादशी तक (10 जुलाई से 8 अगस्त)
भाद्रपद: श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी से भाद्रपद शुक्ल एकादशी तक (8 अगस्त से 6 सितंबर)
आश्विन: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी से आश्विन शुक्ल एकादशी तक (6 सितंबर से 6 अक्टूबर)
कार्तिक: आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक (6 अक्टूबर से 5 नवंबर)