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28 अप्रैल को गुरु प्रदोष का संयोग, इस योग में की गई पूजा से बढ़ती है सुख और समृद्धि


वैशाख महीने की त्रयोदशी तिथि में शाम को प्रदोष काल होता है। ये व्रत 28 अप्रैल गुरुवार को किया जाएगा। जो प्रदोष व्रत गुरुवार के दिन पड़ता है, उसे गुरु प्रदोष कहते हैं। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का गुणगान करते हैं। मान्यता यह भी है कि प्रदोष व्रत करने से साधक और व्रत करने वालों के जीवन का हर दोष मिट जाता है।

कैसे करें प्रदोष व्रत
भगवान शिव की आराधना करने के लिए इस दिन व्रत किया जाता है। पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए शाम को प्रदोष काल में पुनः शिव शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान पूर्वक पूजा-उपासना करनी चाहिए। कहते हैं प्रदोष काल में पूजन से पहले एक बार पुनः स्नान कर लेना चाहिए। पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि
1. सुबह स्नान आदि के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें। पूजा में पंचामृत का उपयोग करना चाहिए। भगवान शिव की धूप व दीपक से आरती करें।
2. महादेव को भोग लगाएं और फिर प्रदोष व्रत का संकल्प लें।
3. शाम को महादेव की पूजा करने के बाद आरती उतारें व नैवैद्य अर्पित करें।
4. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। अत: प्रदोष काल में पूजा करते समय इसका विशेष ख्याल रखें।

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