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28 को प्रदोष, 29 को मासिक शिवरात्रि और 30 अप्रैल को शनिश्चरी अमावस्या


  •  वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष के आखिरी 3 दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए खास रहेंगे। इन दिनों में प्रदोष, शिवरात्रि और अमावस्या का संयोग बन रहा है। अप्रैल का आखिरी शनिवार होने से इस बार शनैश्चरी अमावस्या का शुभ योग रहेगा। शिव पुराण के मुताबिक इन दिनों में दूध और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक किया जाना चाहिए और दिनभर व्रत रखकर भगवान की विशेष पूजा करें। ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं साथ ही उम्र भी बढ़ती है।

शारीरिक परेशानियों से छुटकारा
वैशाख महीने के प्रदोष, शिव चतुर्दशी और अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद जल और दूध से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर मदार, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं। साथ ही शिवजी को मौसमी फलों का भोग लगाएं। इन तीन दिनों में सत्तू, आम और दूध का दान करना बेहद शुभ होता है। इन चीजों का दान करने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं।

शिव पूजा के 3 दिन...

प्रदोष तिथि: 28 अप्रैल, गुरुवार
इस दिन व्रत रखें और शाम को सूर्यास्त के समय शिव पूजा करनी चाहिए। इस दिन शिवलिंग पर बिल्व पत्र और सफेद फूलों की माला चढ़ाएं। साथ ही घी का दीपक लगाएं। मिट्‌टी के मटके में पानी भरकर शिव मंदिर में दान करें।

शिव चतुर्दशी: 29 अप्रैल, शुक्रवार
इस दिन मासिक शिवरात्रि व्रत भी किया जाता है। इस तिथि पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इस दिन देवी पार्वती को सौभाग्य सामग्री यानी 16 श्रृंगार चढ़ाए जाते हैं। जिससे परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

वैशाख अमावस्या: 30 अप्रैल, शनिवार
इस दिन वैशाख कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन रहेगा। इस अमावस्या पर प्रदोष काल में शिव पूजा करनी चाहिए। प्रदोष काल का मतलब, दिन के खत्म होने और रात की शुरुआत के पहले का समय। इस शुभ समय में भगवान शिव का अभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र के साथ विशेष पूजा करनी चाहिए। इससे शारीरिक परेशानियां दूर होने लगती हैं। साथ ही शनि और पितृ दोष का असर भी कम होने लगता है।

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