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शिक्षा के नाम पर निजी स्कूलों का चल रहा काला कारोबार

-शासन-प्रशासन की उदासीनता से अभिभावकों का हो रहा आर्थिक शोषण

--नई शिक्षा नीति के अनुसार प्राइमरी तक शिक्षा हिंदी माध्यम कराई जाएगी


  • शाहजहाँपुर। शासन प्रशासन की उदासीनता से निजी स्कूलों के काले कारोबार पर अभी तक कोई नियंत्रण नही लगाया जा सका है। यही कारण है कि निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा एनसीईआरटी के बजाय ज्यादातर किताबें निजी प्रकाशकों की खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है। विभिन्न कक्षाओं के कोर्स पर मनचाहा रेट लिखवाकर अभिभावकों को कई गुनी ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है।

अभिभावक संघ के अध्यक्ष रामजी अवस्थी का कहना है कि प्रकाशक भी और बुक सेलर भी अप्रत्यक्ष रूप से स्कूल प्रबंधन का हिस्सा बन गए हैं। निजी स्कूलों का कोर्स उनकी खास दुकानों या स्कूलों में ही मिलता है। जहां कोर्स के अतिरिक्त अन्य कापी-किताबों का सेट व स्टेशनरी खरीदने को मजबूर किया जाता है। अभिभावक बताते हैं कि कई स्कूलों में तो एनसीईआरटी की किताब के साथ एक और किताब उसी विषय की बच्चे को अतिरक्ति खरीदनी होती है जो निजी प्रकाशकों की होती है। स्कूल प्रबंधन, बुक सेलर और प्रकाशक द्वारा एनसीईआरटी के नियमों का उलंघन करते हुए कोर्स पर मनचाहा रेट प्रिंट कराकर महंगे दामों में कोर्स बेचा जा रहा है। अभिभावक संघ लगातार स्कूलों की मनमानी का विरोध कर रहा है। अभिभावक संघ के बरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय बताया कि प्राइवेट स्कूल पर सरकार शिकंजा नहीं कसती है, जिस कारण समस्या बढ़ती जा रही है और अभिभावकों का आर्थिक शोषण हो रहा है। संघ के पदाधिकारी अभिषेक मोहन का कहना है कि अभिभावकों को एकजुट होकर शोषण के खिलाफ संघर्ष करना होगा, तभी इस गंभीर समस्या का समाधान हो पायेगा।

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