चैत्र महीने की अमावस्या 31 मार्च और 1 अप्रैल को रहेगी। इनमें गुरुवार को पितरों के लिए श्राद्ध और शुक्रवार को स्नान-दान किया जाएगा। इस बार ये पर्व दो दिन होने से बहुत खास रहेगा। 1 अप्रैल को पूरे दिन-रात सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग बनने से इस दिन किए गए शुभ कामों का पुण्य और बढ़ जाएगा। पुराणों में अमावस्या को पर्व कहा गया है। ग्रंथों का कहना है कि इस दिन किए गए शुभ कामों से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
पितरों की प्रसन्नता के लिए करें ये काम
1. अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान के साथ ही भगवान कृष्ण की पूजा करें और गीता का पाठ करें।
2. सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें। तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
3. पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।4. पीपल के वृक्ष में जल दें और दीपक लगाएं।
शुभ मुहूर्त
चैत्र अमावस्या शुरू: 31 मार्च दोपहर 12.25 पर
चैत्र अमावस्या खत्म: 1 अप्रैल दोपहर 11.56 पर
तिथि का महत्व
अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान, पूजा, जाप और तप की विशेष परंपरा है। अमावस्या के दिन गंगा स्नान कर पूजा करने से साधक की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, साथ ही पितरों के निमित्त दान करने से पितर संतुष्ट होते हैं। इस तिथि को पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए शुभ माना गया है। अत: अमावस्या के दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों और सरोवर में स्नान कर तिल तर्पण भी करते हैं।
घर पर ही करें पवित्र स्नान
इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने के लिए बाहर नहीं जा सकते तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल या अन्य तीर्थ का जल मिलाकर नहा लें। साथ ही उस पानी में तिल मिलाकर नहाने से भी तीर्थ स्नान का फल मिलता है। इस पर्व पर दिन में जरूरतमंद लोगों को भोजन और गरम कपड़ों का दान करना चाहिए।