दाता वाली तू दे दे दया अपनी
बरसे करुणा तेरी सारी अंबर अवनि।
दाता वाली तू दे दे दया अपनी।।
तू करुणामयी,
तू ममतामयी।
दौड़ दुष्ट दलन करती,
कष्ट पल में तू हरती।
मेरे दुखड़े तू हर ले महिषमर्दिनी।
दाता वाली तू दे दे दया अपनी।।
हूं अकेली खड़ी,
भीड़ बड़ी है पड़ी।
इतना कर दे उपकार,
सुन ले मेरी पुकार।
बांह मेरी पकड़ ले, तू जगतजननी।
दाता वाली तू दे दे दया अपनी।।
स्वर सुर सुन, शरीरधारी,
जा शुंभ-निशुंभ मारी।
आ जगत ज्योति कर दे,
दीप्ति दिग-दिगंत भर दे।
भार धरती की हर ले, तू भवमोचनी।
दाता वाली तू दे दे दया अपनी।।
स्वरचित_मौलिक_अर्चना आनंद गाजीपुर उत्तर प्रदेश
लाल लाल चुनरिया सजाई
शेर पे सवार हो माँ आई
उग आये हरे भरे जवारे
जय माता दी सब पुकारें।
हलवा,पूड़ी साग बनाऊँ
मैया को क्या भोग लगाऊँ
लक्ष्मी, सरस्वती, शिव की गौरा
मैया का लाल लाल चौला।
सदन आज देवालय से बने
है गली गली पंडाल सजे
लाल चुनरी चूड़ा हरा है
रूप मैया का सुंदर सजा है।
दीप, ज्योति है अखंड जलती
आभा उज्जवल सी दमकती
व्याकुल भक्त सुनायें दुखड़ा
चाँद से सुंदर माँ का मुखड़ा।
नौ दिन तक है पूजी जाती
नवरात्रि तब यूँ कहलाती
धूप,दीप, हवन ध्यान करना
मैया को तुम प्रसन्न रखना।
नव दिवस के रूप निराले
कितने पावन भोले भाले
शंख,ढोल,मृदंग, झाँझ बजाना
मैया का जयकारा लगाना।
घर घर कंजक पूजन होता
मैया का वो रूप कहाता
खोल देना द्वार सदन के
द्वार पे माता रानी आई।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक



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