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डीपीओ एक साल से मामले को क्यों दबाए बैठे रहे, न की कार्यवाही, न दर्ज कराई एफआईंआर

 


--6 माह पहले साक्ष्यों सहित वीडियो सामने आने के बावजूद जिला प्रोबेशन अधिकारी ने क्यों नहीं की थी कार्रवाई, अब उठ रहे सवाल?
--मामले की डीपीओ को थी पूरी जानकारी लेकिन उन्होंने दबाने का किया प्रयास
--केयर टेकर करीब 6 माह तक बच्चों को करती रही प्रताड़ित
  • शाहजहांपुर। राजकीय बाल गृह में बच्चों की पिटाई का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। जहां एक ओर डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने सख्त कार्रवाई करते हुए वीडियो में बच्चों को मारने बाली केयर टेकर की सेवा समाप्त कर करते हुए उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया और प्रभारी अधीक्षक के निलंबन की संस्तुति की, तथा डीपीओ को जवाब तलब किया है। वहीं अब जिला प्रोबेशन अधिकारी (डीपीओ) की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। डीपीओ ने स्वय बताए वायरल वीडियो जून 2024 में सामने आया था। जिसमें बाल गृह में बच्चों के साथ मारपीट और अमानवीय व्यवहार की तस्वीरें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती थीं। बताया जा रहा है कि यह वीडियो स्वयं जिला प्रोबेशन अधिकारी के संज्ञान में साक्ष्यों के साथ लाया गया था, बावजूद इसके उन्होंने तत्काल कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

जब इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई तो 6 माह बाद एक पत्र जारी कर करते हुए केयर टेकर को राजकीय बाल ग्रह से हटाकर वन स्टाफ सेंटर भेज कर लीपा पोती कर दी। जबकि पूरी घटना बाल अपराध से जुड़ी होने के कारण फौरन ही केयर टेकर के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराना चाहिए था। इस लापरवाही को लेकर अब डीपीओ से जवाब तलब किया गया है। डीएम ने पूछा है कि जब वीडियो में इतनी गंभीर बातें स्पष्ट थीं, तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं की गई? क्या इसे दबाने की कोशिश की गई थी? या फिर संवेदनशीलता की कमी थी? देखा जाए तो डीपीओ ने पूरे घटना क्रम को भरसक दबाने का प्रयास किया है। उन्होंने इस गम्भीर घटना को उच्च अधिकारियों से भी छिपाया। जिससे साफ जाहिर होता है कि बच्चो के साथ अमानवीय व्यवहार में डीपीओ की संलिप्तता भी जाहिर हो रही है। बाल कल्याण से जुड़े मामलों में प्रशासनिक लापरवाही को लेकर आमजन और सामाजिक संगठनों में भी रोष है। कई संगठनों ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और यह भी कहा है कि दोषियों को बख्शा न जाए, चाहे वे किसी भी पद पर क्यों न हों। जिला प्रशासन की सख्ती के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस प्रकरण में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी और बाल संरक्षण की जिम्मेदारी निभाने में चूक करने वालों को उनके पद पर बने रहने का कोई हक नहीं होगा।
!!जून 2024 में वीडियो आया, जनवरी 2025 में सिर्फ ट्रांसफर किया?

राजकीय बाल/शिशु गृह में बच्चों की पिटाई का जो वीडियो वायरल हो रहा है जिसे डीपीओ ने जून 2024 का बताया है इससे जाहिर होता है जो बच्चों पर जो अत्याचार हुआ है उसमें डीपीओ गौरव मिश्रा की संलिप्तता पूरी तरह साफ नजर आती है। शिकायतकर्ता मुकेश दीक्षित ने डीपीओ को लिखित शिकायत के साथ वीडियो उपलब्ध कराए थे लेकिन जून से लेकर जनवरी 2025 तक डीपीओ करीब 6 महीने में केयर टेकर का मात्र ट्रांसफर ही किया। जबकि बाल ग्रह और वन स्टाफ सेंटर की दीवार सटी हुई है। बाल गृह में केयर टेकर का बराबर आना जाना लगा हुआ था। जिससे निराश्रित बच्चे एक साल तक केयर टेकर की प्रताड़ना का शिकार होते रहे।
!!कार्यभार संभालते ही विवादों से रहा नाता!!
डीपीओ ने जनपद में कार्यभार संभालते ही विवादों में घिर गए थे पूर्व में रही एक महिला कल्याण अधिकारी ने इनपर गम्भीर आरोप लगाए थे लेकिन शासन में ऊंची पकड़ के चलते उन्होंने मामले को रफा दफा कर दिया और महिला कल्याण अधिकारी की संविदा समाप्त कर दी गई थी। तथा इन पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य सदस्य ने आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को शिकायत भेज कर विभाग में योग्यता न पूर्ण करने बालों को न्युक्तिया देने का भी आरोप लगाया है।

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