दिन की शुरुआत तुझसे है,
आंख खुलते ही बस तू नजर आती है,,
बस मुझे तेरी ही आदत हैं।
नाम तेरा कोई भी हो,
लेमन टी , ग्रीन टी, ब्लेक टी,,
मिल्क टी,
तू पसंद सब की,
कोई एक बार, कोई कई बार,
बच ना पाया कोई भी तुझे
कोई तो तेरा तलब गार।।
किसी न किसी रूप में सभी को भाती है,
करते सब तेरी बुराई,,,,
तू ठीक नही हैं सेहत के लिए,,,
फिर भी बिन तेरे नही रह
पातेहैं,...
गीत तेरे ही गाते हैं..
तेरे इश्क का अजीब सा जादू है,,
तेरा प्याला देखा जैसे ही,
तेरी तरफ हाथ बड़ जाते है,,,
कोई,,,कई बार,, कोई सुबह शाम,,,
कोई कभी कभार,,,
तेरे दामन को थामे बिना नही रह पाते हैं,
तू दिल की धड़कन की जैसी
कैसी चाहत है,
हर सुख में साथ भले कम हो...
दुख की पक्की सहेली हो,,
कोई दुख के सागर में डूबा हो,,
उस दुख में भी तुम्ही सहारा हो ,,
उस समय निवाला होती हो,
अजब सी कसक है तुम्हारी भी,,
ना चाहते हुए भी सबकी चाहत हो...
हम से अच्छी तुम हो,
बच्चे,, युवा ,,बुजुर्ग ,सभी की
प्रियशी हो ...
वाह क्या किस्मत पाई हो,
जो हर दिल पर छाई हो...
आप का रंग- ढंग सब को सुहाता।
बदले चेहरे, बदले लोग सब करते हैं तेरा उपयोग,,
क्या खासियत पाई है तूने ,
तेरा जादू सब पर छाया है,
क्या गरीब, क्या अमीर,सब को
नशा ही छाए तेरा...
अतिथियों का सत्कार बनी तू..
हर घर का सम्मान बनीतू...
दिल के जख्म का मरहम बनी तू
दर्द ऐसा हो जब सहा नहीं जाएं।
हाथ में बस बार बार तेरा प्याला नजर ,
आएं।
कोई औषधि से नहीं हो कम तुम
थकान को करती हो कम तुम..
भूलती हो गमों को भी तुम...
निर्णयलेने में करती हो मदद तुम..
पूर्ण हो या अपूर्ण दिन हो या रात
हर पल तेरा साथ है,
दुख हो या दर्द
जन्म हो मृत्यु हो,
लाभ हो या हानि हो,,
दुनिया जब कोई ना आस
हो तब भी तुम्ही पास हो,
इस लिए ना चाहते हुए भी,,
बस तुम मेरी खास हो,
सीता सर्वेश त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर।।