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सरकारी अस्पताल की व्यथा आओ हम बताऐ कथा

 

सरकारी अस्पताल की व्यथा 

आओ हम बताऐ कथा 

सुबह-सुबह एक मरीज़ है आया 

4 - 5 घर वालों को संग लाया

 मरीज़ था करहा  रहा 

बीच-बीच में चिल्ला रहा 

घर वाले बोले डॉक्टर बुला दो 

दर्द बहुत है इलाज करवा दो 

नर्स आई बोली थोड़ा धीर धर भाई

पहले होगा फॉर्म भरना 

फिर डॉक्टर के मिलने जाना 

घर वाले लगे लाइन पर भीड़ बड़ी थी 

 इतने में हो गई लाइट गुल 

काम हुआ ढप लाइट थी आई पर 

सरोवर  हो गया डाऊन 

 सरोवर आया तो काऊंटर हुआ बंद 

 ना हुआ इलाज न मिली दवाई 

किसी सज्जन ने प्राईवेट डॉक्टर 

की सलाह सुझाई। 

मरता क्या ना करता 

लेकर बड़े अस्पताल जाते ही 

लेटा दिया 5000 की पर्ची पकडा दी

डॉक्टर बोला  समय पर आ गए

 वर्ना जहर फैलता आज ठीक हो

 जाएगा पर कल नही  बचता 

नर्स बोली अभी करो जमा  

 पचास हजार  बाकी कल देना। 

वर्ना पाच हजार दे दो और

 मरीज़ को करो दफा 

 सरकारी अस्पताल में 

जान से हाथ धोना था 

प्राईवेट अस्पताल

 में जायदाद खोना है

मरता क्या ना करता 

मरीज़ को बचाया 

जीवन भर जोड़ा था धन 

एक झटके में सब  गवाया। 


 स्वरचित मौलिक 

मेघा अग्रवाल 

*नागपूर महाराष्ट्र*मेघा

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