होली से पहले गले मिलकर,,एक दूसरे को माफ करेंगे
क्यों न हम फिर से एक मुलाकात कर लें,
दिल को दिल से लगा लें।
फिर से नई कोई बात बना लें,
खुशियों से एक दूजे को अपना लें।
रिश्तों में गहराई ला लें,
जो हुआ अब तक उसे भुला दें।
होली से पहले गले मिलकर,
एक दूसरे को माफ कर दें।
नम आंखों में ख़ुशी की बहार ला दें,
हंसते हुए एक खुशी के पल जी लें।
पुरानी बातों को भूलकर नई बात कर लें,
एक साथ मिलकर रहने का वादा कर लें।
बुराइयों को मिटाकर,
अच्छाई से जीना सीख लें।
स्वरचित, मौलिक रचना
दुर्वा दुर्गेश वारीक 'गोदावरी' - गोवा