दिसम्बर का महीना आया,संग में देखो क्या - क्या लाया।
कांप रहे सब सर्दी में,
लिपटे है ऊनी वर्दी में।
ठंड का बड़ गया कहर,
चल रही है शीतलहर।
स्वेटर टोपी मोजे मफलर,
बन गए है हमसफर।
चलने लगी जब पुरवाई,
निकाले सबने कंबल रजाई।
दुबक गए सब बिस्तर पर,
देर से सूरज पड़े दिखाई।
कभी छाए घना कोहरा,
कभी ओस की हो बरसात।
दिसंबर की ऐसी रात,
करता है सब पर घात।
किसी को सर्दी जुकाम सताए ,
किसी को पिया की याद आए।
सर्दी का ये प्यारा मौसम ,
हर तरफ कोहराम मचाए।
ममता साहू कांकेर छत्तीसगढ़
दिसम्बर का महीना आया, संग में देखो क्या - क्या लाया।
Wednesday, December 18, 2024
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