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सजी धरा, सजा मैया का हरेक धाम, भक्ति में डूब गए , भक्त उनके भी तमाम

 

सजी धरा, सजा मैया का हरेक धाम,

भक्ति में डूब गए , भक्त उनके भी तमाम ।

धरती से लेकर दूर , नीले अंबर तलक ,

गूंँजने लगी है माता रानी का ही नाम ।


आया नवरात्रि का प्रतीक्षित पर्व पावन।

राह तक रहे थे जिसका कब होगा आवन ।

देवी माँ का आगमन, हर्षित होते भक्तजन,

सभी त्यौहारों में से ये तो सबसे मनभावन ।


पहला दिन करें माँ शैलपुत्री की पूजा , 

कन्या रूप में श्रेष्ठ तुम न कोई और दूजा ।

भावों में बहती श्रद्धा की अविरल धारा  ,

सुधा रस घोल मांँ का जयकारा गूंँजा ।


नारी के नौ रूपों में से कन्या कुमारी ,

विराजे गौ माता पर श्वेत शुभ्र वस्त्र धारी ।

श्वेत ही मांँ भोग चाहे संग गौ घृत दीप ,

पर्वत राज की है वो तो राजकुमारी ।


अर्धांगिनी शिव की , ब्रह्मांड की रानी ,

ममता से भरपूर , विराट दया की दानी ।

आंँचल का एक कोना भी दे शीतल बयार ,

आओ मिलकर हमें उनकी जयगान है गानी।


मंदिरों व घरों में लगे जलने ज्योत अखंड ,

दुष्टों और पापियों को मांँ देती 

कठोर दण्ड ।

दसभुजा में दस अस्त्र देवों ने देकर रची ,

टिक सका न असुर कोई धारे तेज प्रचंड ।


संकल्प ले गर साधना , करे जो साधक ,

राह का न बन सकता ,कोई बाधक ।

माँ की कृपा से होगा जीवन ये धन्य ,

अगर रहे बनकर तुम सच्चे आराधक ।


नवरात्रि का पहला दिवस होता है विशेष ,

महा उत्सव नवरात्रि का होता श्रीगणेश ।

भक्ति, शक्ति और उच्च आस्था का ,

मिलता है हम सबको अभिनव संदेश।


  गार्गी चटर्जी "आशा "

  कोरबा , छत्तीसगढ़

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