सुन लो मेरी पुकार मां
सुनलो मेरी पुकार,
आई तेरे मैं,द्वार,मां अंबा....
ना फूलो के हार, ना कोई उपहार मां अंबा.... सुनो मेरी पुकार मैं आई तेरे द्वार मां अंबा ..=
सब कुछ तेरा हैं,करूं अर्पण तुझे क्या मां अंबा ....
तुम्ही हो अंबा , तुम ही हो काली तुम ही हो माता शेरावाली,, नाम अनेक तूमार भवानी... सबके संकट हरने वाली सुंदर मेरी माता पुकार..... सबकी इच्छा करती पूरी.... सबकी बिगड़ी बनाने वाली आज तो भर दे झोली खाली.. आज आई तेरे द्वार जगदंबा ओ अंबा..
मैं दुनिया से हार गई मां अब हार को लाई मां, मुझे दिखा दो कोई रास्ता तुम्हें मेरी अम्बे मां.
सुना हैं मां तेरे भक्तों से,
नवरात्रि में आती हो,मां,
सब की विनती सुनती हो...मां
मेरी भी अब सुनो मां,....
दुनिया ने मुझे सताया हैं ,
अब अंदर ही तुम्हारा पाया है... मां
मन से ,तन से पाप कमाया,कभी नही तुझे याद किया मां...
मां अब मुझ पर मुसीबत भारी है,
जिनको अपना अपना कहते थे,
उसे समय भी बिसराया मां...
दर पर तुम्हारे आई हूं मां।।
अब माफ करो मुझे मां...
अब आई तुम्हारे दर पर मां..