भविष्य के भगवान---(चित्र चिंतन)--------०-----०------०-----
हे!भविष्य के भगवान सुन लो,
आज तेरी पहचान बना रहा हूँ|
मैं इंसान तो बना सकता नहीं,
बस जरा भगवान बना रहा हूँ||
क्योंकि अजीब विडम्बना है,
तुम्हारे बनाए इस संसार की|
लोगों के खोखले कर्मकांड और,
उनके जीवन व्यवहार की||
आप जो इंसान बनाते हो न,
वह दर-दर ठोकर खाता है|
किंतु हम जो भगवान बनाते हैं,
वह हर पल पूजा जाता है||
मेरी औकात नहीं है प्रभु कि,
मैं आपसे अपनी तुलना करूँ|
बस आपसे इतनी गुजारिश है कि,
तुम्हें बनाने में कोई भूल न करूँ||
जो छेनी हथौड़ी की मार खाकर,
बिखरते है,वो भगवान नहीं बनते|
जो निज संघर्षो से घबराते हैं वो,
जीवन में सच्चे इंसान नहीं बनते||
हे!ईश्वर अपने भाग्य विधाता को,
इंसानों की तरह कभी भुलना नहीं|
अपने भक्तों की अंधभक्ति पाकर,
अभिमान में कभी भी फुलना नहीं||
रचनाकार:-श्रवण कुमार साहू, "प्रखर"
शिक्षक/साहित्यकार,राजिम,गरियाबंद
हे!भविष्य के भगवान सुन लो, आज तेरी पहचान बना रहा हूँ|
Saturday, September 28, 2024
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