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प्यार में हार जीत होती कहां,

 


सीता त्रिवेदी लेखक
 जलालाबाद शाहजहांपुर


प्यार में हार जीत होती कहां,

प्यार कब किसे हो जाएं कहां।


ख्वाब को हकीकत में बदल,

प्यार में होती नींद कहां।


प्यार का किस्सा होता अलग, 

 उसे समझने की बात कहां।

 

बात अलग कि वह समझते नहीं,

प्यार में होती सफाई कहां।


अब खुली आंखों में सपने सजे,

 अब प्यार छुपाऊं कहां।


जिंदगी ढूंढते सहारा किसी का फिर,

 इश्क में हैं उलाहना कहां।


  मैंने दिल से चाहा उसे अब,

  बताने की मुझ में हिम्मत कहां। 


   प्यार में यह बदला हो जाएगा,

   इश्क को छुपाने की ज़ुरत कहां।

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