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दीवाली का त्यौहार नजदीक आते ही नक़ली दूध, मावा का धंधा शुरू


  • अल्हागंज 13 अक्टूबर 2023. दीपावली का त्यौहार  नजदीक आ रहा है। इस अवसर पर दूध, मावा, पनीर की भरपूर आपूर्ति करने के लिए मिलावटखोर नये नये हथकंडे अपनाना शुरू कर दिया है। ग्रामीण अंचलों में दूध, मावा, पनीर, देशी घी का धंधा करने वाले दूधियों के पास एक भी भैंस नहीं है। लेकिन सीजन पर इनके पास हर समय 400 से 500 लीटर तक नकली दूध उपलब्ध रहता है। 

वैसे नकली दूध की बिक्री बाज़ार मे धडल्ले से बराबर होती रहती है। जिसे मिलावटखोर दूधिये बाज़ार में आपूर्ति करते हैं। इसके अलावा जलालाबाद, फरुँखाबाद, राजेपुर, कलान, मिर्जापुर, जरियनपुर, ढाईघाट आदि कस्बाई बाजारों में केनों में भरभर कर ले जाया जाता है। ये दूध सफेद पोस्टर कलर, खाद्य तेल, ईनो पाउडर, रिफाइंड तेल, तथा सूखा दूध पाउडर का मिश्रण करके बनाया जाता है। इस दूध में झाग के साथ-साथ फैट भी होता है। जिसे आम उपभोक्ता समझ नहीं सकता है। इसके उपयोग से लीवर और किडनी के जल्दी खराब होने की आशंका लगी रहती है। इसी प्रकार मावा, सूखा दूध पाउडर, रिफाइंड पोस्टर कलर  के साथ-साथ केमिकल का भी उपयोग करके मावा तैयार किया जाता है। इसका स्वाद असली मावा से काफी भिन्न होता है। इसी क्रम में नकली पनीर भी बनाकर बाजार में बेचा जाता है। जिससे बंगाली मिठाईयां जैसे - छेना, दिलबहार, काला जामुन, लौज जैसी कई प्रकार की मिठाईयां बनाई जाती है। इन मिठाईयों की सबसे ज्यादा त्यौहारी माँग होती है। जिसके लिए कच्चे माल की आपूर्ति दो सप्ताह से पहले ही शुरू कर दी जाती है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि मिलावटखोर आम जनता के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम इस पर ध्यान नहीं  देती। इस विभाग के अधिकारियों के चहेरे त्यौहारों पर बाजार मे दिखाई पडते है। जो मिलावटखोरों के यहां जाकर त्यौहारी बक्शीश लेकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते है। उन्हें आम जनता व बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं होता है। उन्हें दिखाई देती है तो वो है बक्शीश/

कैसे करें मिलावट की पहचान?

यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जो आपको यह पहचानने में मदद कर सकते हैं कि मिठाई मिलावटी है या नहीं।


1.मिठाइयों में ढेर सारे रंग मिलाए जाते हैं इसलिए रंग-बिरंगी मिठाइयाँ खरीदने से बचें। ऐसी मिठाइयों में रंग की खराब क्वालिटी के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।रंगीन मिठाइयों को हाथ में लेकर चैक करें,अगर रंग आपके हाथ में लग जाए तो इसे न खरीदें।

2.ज्यादातर मिठाइयों पर वर्क (चाँदी का आवरण) होता है लेकिन मिठाई बेचने वाले वर्क को एल्युमिनियम फॉयल से रिप्लेस कर रहे हैं। इसके सेवन से पेट में सीरियस इन्फेक्शन हो सकता है। इसे जाँचने के लिए अपनी ऊँगली से मिठाई के टॉप को धीरे से स्पर्श करें और अगर यह आपकी ऊँगली पर चिपक जाता है तो वर्क नकली है क्योंकि असली वर्क ऊँगली पर चिपकता नहीं है तो अगर मिठाई के ऊपर लगा वर्क आपकी ऊँगली पर चिपक जाए तो समझ जाएँ कि आपके घर नकली मिठाई पहुँच चुकी है यानि मिठाई पर एल्यूमीनियम फॉयल है।

3.हमेशा मिठाई खरीदने से पहले उसे चखें या सूँघें। बासी मिठाइयों में गंध होती है और इनका स्वाद थोड़ा खट्टा होता है।

4.अगर खोया बहुत दानेदार है तो उसमें किसी तरह की मिलावट की गई है। शुद्ध खोया बहुत स्मूथ होता है।

5.खोया में मिला हुआ स्टार्च चेक करने के लिए थोड़ी सी मात्रा में खोया लें और इसे पानी में मिलाकर उबाल लें।इसे ठंडा होने दें और फिर इस में आयोडीन की दो बूंदें मिलाएँ।अगर घोल नीला हो जाता है तो उसमें स्टार्च की मिलावट की गई है।

6.किसी भी खाने की चीज़ के खराब होने की पहचान करने के लिए सबसे पहले उसकी महक को जाँच लें। इसके अलावा मिठाई खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें फंगस तो नहीं है। मिठाई को तोड़कर चैक कीजिए कि कहीं वह तार की तरह चिपक तो नहीं रही है,ये सब चीजें मिठाइयों के खराब होने के संकेत हैं।

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