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अश्विन अमावस्या 14 अक्टूबर को, इस दिन शुभ योग में श्राद्ध-तर्पण से तृप्त होंगे पितर


 शनिवार, 14 अक्टूबर को अश्विन महीने की अमावस्या है। ज्योतिष के संहिता ग्रंथों के अनुसार शनिवार को अमावस्या पर स्नान-दान से कई तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इस तिथि पर पवित्र नदियों-तीर्थों में नहाने के साथ ही दान और पूजा-पाठ करने की परंपरा है।

इस दिन पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। जिससे पितर संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं। अश्विन महीने की अमावस्या को पितृ पूजा करने से पितर सालभर के लिए तृप्त हो जाते हैं।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या पर शनिवार का शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही इस दिन बुध और शनि अपनी ही राशियों में रहेंगे। वहीं, सूर्य और बुध से बुधादित्य योग बन रहा है। इस तरह ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस पर्व पर किए गए स्नान-दान और पूजा-पाठ का पूरा फल जल्दी ही मिलेगा।

इस तिथि पर पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का फल मिल सकता है। सर्वपितृ अमावस्या पर ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही कुंडली में ग्रहों की स्थिति से बने पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।

स्नान-दान और पितृ पूजा का पर्व
डॉ. मिश्र के मुताबिक इस अमावस्या पर सुबह तीर्थ के जल से स्नान करें। इसके बाद पितरों की संतुष्टि के लिए श्रद्धा के मुताबिक जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, कपड़े या अन्य जरूरी चीजों का दान कर सकते हैं। इस दिन गाय को घास भी खिलाना चाहिए। साथ ही इस पर्व पर पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। जिससे पितर संतुष्ट होते हैं।

पितृमोक्ष अमावस्या पर दान-पुण्य का बहुत महत्व होता है। इस पर्व पर घर में पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में घास या धन का दान करें। माना जाता है कि इस दिन दिए गए दान का कई गुना अधिक पुण्य फल मिलता है।

अमावस्या पर क्या करें
सूरज उगने से पहले नहा लें। इसके बाद पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पूजा-पाठ करें। गाय के घी का दीपक लगाएं। श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें। इसके बाद गाय को हरी घास खिलाएं, कुत्तों और कौवों को रोटी खिलाएं।

अमावस्या पर महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के नाम का जाप करें। अमावस्या के दौरान ब्राह्मण भोजन करवा सकते हैं। संभव ना हो तो किसी मंदिर में आटा, घी, दक्षिणा, कपड़े या अन्य जरूरी चीजें दान करें।


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