इस दिन पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। जिससे पितर संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं। अश्विन महीने की अमावस्या को पितृ पूजा करने से पितर सालभर के लिए तृप्त हो जाते हैं।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या पर शनिवार का शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही इस दिन बुध और शनि अपनी ही राशियों में रहेंगे। वहीं, सूर्य और बुध से बुधादित्य योग बन रहा है। इस तरह ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस पर्व पर किए गए स्नान-दान और पूजा-पाठ का पूरा फल जल्दी ही मिलेगा।
इस तिथि पर पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का फल मिल सकता है। सर्वपितृ अमावस्या पर ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही कुंडली में ग्रहों की स्थिति से बने पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
पितृमोक्ष अमावस्या पर दान-पुण्य का बहुत महत्व होता है। इस पर्व पर घर में पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में घास या धन का दान करें। माना जाता है कि इस दिन दिए गए दान का कई गुना अधिक पुण्य फल मिलता है।
अमावस्या पर महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के नाम का जाप करें। अमावस्या के दौरान ब्राह्मण भोजन करवा सकते हैं। संभव ना हो तो किसी मंदिर में आटा, घी, दक्षिणा, कपड़े या अन्य जरूरी चीजें दान करें।