- अगले एक हफ्ते का मौसम कैसा रहेगा, यह जानने के लिए हमें मौसम विभाग के अपडेट का इंतजार करना पड़ता है। मगर बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जिनके पास मौसम विभाग के अपडेट को जानने के लिए न मोबाइल है और न टीवी। लेकिन, उन्हें पता चल जाता है कि इस बार का मानसून कैसा रहने वाला है। आश्चर्य है न? असल में हमारे पूर्वजों ने अपने अनुभव के आधार पर अपने आस-पास की चीजों को मौसम से जोड़ दिया। वह इन्हीं चीजों को देखकर बता देते हैं कि मौसम कैसा होगा?
आज हम मौसम के उन्हीं देसी अलार्म को जानेंगे। कैसे जानवरों का व्यवहार, पेड़ों की पत्तियां और पक्षियों की आवाज आने वाले मौसम के बारे में बताती है। सबसे पहले अच्छे मानसून के देसी अलार्म जानते हैं...
बेहतर मानसून की भविष्यवाणी के लिए लोग मोर पर भरोसा करते हैं। बुजुर्गों का मानना होता है कि खेतों या फिर बाग में मोर लगातार पीक मार रहा। पंख फैला रहा तो इसका सीधा सा मतलब है कि अगले 4-6 दिन के अंदर जोरदार बारिश होगी। आदिवासियों की मानसून भविष्यवाणी गिरगिट पर भी टिकी होती है। अगर, वह कहीं के लिए यात्रा शुरू कर रहे हों और सामने गिरगिट पेड़ पर चढ़ता दिख जाए तो वह यात्रा स्थगित कर देते हैं। उनका मानना होता है कि इससे जोरदार बारिश होगी।
आपने बटेर पक्षी का नाम सुना होगा। उसे लेकर तो यहां तक कहा जाता है कि आसमान पर बादल हो या न हो, अगर बटेर बोल रहा तो समझिए की आज ही बरसात होगी। ग्रामीण इलाकों में लोग बरसात से बचने के इंतजाम में जुड़ जाते हैं। ठीक इसी तरह से सांप को भी मानसून सूचक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सांप अगर जमीन पर चलने के बजाय पेड़ों पर चढ़कर बैठने लगे तो यह माना जाता है कि आने वाले वक्त में पानी बरसने वाला है।
- यहां तक आपने उन संकेतों को जाना जो बेहतर मानसून बताते हैं। आइए अब उन संकेतों को जानते हैं जो बताते हैं कि इस बार मानसून का संकट होगा।
यूपी के लगभग हिस्सों में घरों के बाहर नीम के पेड़ होते हैं। बिना बरसात अगर यह ज्यादा हरी-भरी दिखाई दे, इसमें आवश्यकता से अधिक निंबोलियो लदे नजर आए, तो यह माना जाता है कि इस बार बारिश कम होगी। घाघ-भड्डरी ने कम बारिश को लेकर जो कहावतें कही हैं, वह यहां देखिए।
- ये था मौसम का देसी अलार्म। बुजुर्ग आज भी टीवी-मोबाइल पर बताए गए मौसम से ज्यादा इन माध्यमों पर भरोसा करते हैं। अब आपको वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बताते हैं कि मौसम कैसा होगा।