जो लोग वैशाख में तीर्थ यात्रा करते हैं, उन्हें धर्म लाभ के साथ ही मानसिक और शारीरिक लाभ भी मिलते हैं। मन को शांति मिलती है, सकारात्मकता बढ़ती है। एक जैसे जीवन की वजह से बनी निराशा दूर होती है।
वैशाख मास में पक्षियों के लिए भी पानी और अनाज की व्यवस्था करनी चाहिए, क्योंकि इन दिनों में अधिकतर नदी-तालाब सूख जाते हैं, इस कारण पक्षियों को दाना-पानी नहीं मिल पाता है। तीर्थ यात्रा करते हैं तो पितरों के लिए तर्पण आदि शुभ भी जरूर करना चाहिए।
इस महीने में भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा करनी चाहिए। विष्णु जी, महालक्ष्मी और श्रीकृष्ण का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान को चढ़ाएं। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।
शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। इस महीने में शिवलिंग के ऊपर मिट्टी का कलश स्थापित करना चाहिए और उसमें ठंडा जल भरना चाहिए, जिससे पानी की पतली धारा से शिव जी अभिषेक हो सके। हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
वैशाख महीने में कई खास पर्व मनाए जाते हैं। इस महीने में उत्तराखंड के चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोले जाते हैं। भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है।
इस महीने में जल का दान करने का विशेष महत्व है। किसी मंदिर में या सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगवाएं। ये संभव न हो तो किसी प्याऊ में मटके का दान कर सकते हैं। तीज-त्योहारों पर लोगों को शतबत वितरित कर सकते हैं।
वैशाख महीने में रोज सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए और नहाने के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य अर्पित करके दिन की शुरुआत करें। नहाने के लिए पानी में गंगाजल मिलाएं और फिर स्नान करें। ऐसा करने से घर पर ही तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल जाता है।